बाढ़ में डूबे खेतों में किसान करें यह खेती सरकार भी दे रही 50% की सब्सिडी
बाढ़ में डूबे खेतों में किसान करें यह खेती सरकार भी दे रही 50% की सब्सिडी
ढैंचा का बीज किसान अपने नजदीकी राजकीय कृषि केंद्र से खरीद सकते हैं. यह बीज किसानों को 50% अनुदान पर सरकार उपलब्ध करा रही है. यह अनुदान उन्हें तुरंत मिल जाता है.
सौरभ वर्मा/रायबरेली: जुलाई का आधा महीना बीत गया है. लगभग धान की रोपाई भी पूरी होने वाली है.किसान धान की फसल के साथ ही रबी की फसल की भी तैयारी कर रहे हैं. जिन किसानों के खेत ऊंचाई पर हैं या पानी की समस्या है. वह अपनी जमीन को खाली छोड़ दे रहे हैं. जिसमें वह रबी की फसल गेहूं, आलू, सरसों की अगेती बुवाई कर सके. इतना ही नहीं जिन क्षेत्रों में जल जमाव या बाढ़ की वजह से फसल नष्ट हो जाती है. उन किसानों के लिए रायबरेली के कृषि विशेषज्ञ शिव शंकर वर्मा की यह सलाह बेहद जरूरी है. क्योंकि खाली पड़ी जमीन या फिर जल जमाव, बाढ़ में खराब हुई फसल से खाली हुए खेत पर किसान ढैंचा की फसल उगाकर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. इससे किसानों को दोहरा फायदा होगा. पहले तो फसलों को हरित खाद मिल जाएगी. जिससे मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ेगी, दूसरा फसल में रोग लगने का खतरा भी कम हो जाएगा. ढैंचा की फसल खेत के लिए संजीवनी बूटी का काम करता है.
राजकीय कृषि केंद्र पर आसानी से मिल जाएगा बीज
ढैंचा का बीज किसान अपने नजदीकी राजकीय कृषि केंद्र से खरीद सकते हैं. यह बीज किसानों को 50% अनुदान पर सरकार उपलब्ध करा रही है. यह अनुदान उन्हें तुरंत मिल जाता है. क्योंकि अब यह भी कृषि केंद्रों पर POS मशीन से वितरित किया जा रहा है. जिससे किसानों को अनुदान का पैसा तुरंत हस्तांतरित हो जाता है. इसके लिए उन्हें अब पहले की तरह विभाग के चक्कर भी नहीं लगाने पड़ेंगे.
मृदा की उर्वरा शक्ति बढ़ने के साथ ही जल धारण शक्ति बढ़ेगी
ढैंचा के पौधे की जड़ों में एक खास किस्म का जीवाणु पाया जाता है, जो हवा से नाइट्रोजन का शोषण कर मृदा को स्थिर कर देता है. जिसका लाभ आगे बुवाई करने वाली फसल को मिलता है. वह बताते हैं कि कार्बनिक तत्व मिट्टी की आत्मा माने जाते हैं. मृदा में ऑर्गेनिक रूप से कार्बनिक तत्वों की मात्रा बढ़ाने के लिए ढैंचा एकमात्र उपाय है. यह मृदा की उर्वरा शक्ति बढ़ाने के साथ ही मृदा में जलधारा शक्ति को भी बढ़ाने में कारगर होता है.
एक हेक्टेयर में इतने बीज की होगी बुवाई
1 हेक्टेयर खेत में ढैंचा के बीज की बुवाई के लिए 60 से 80 किलोग्राम की जरूरत पड़ती है. इसकी बुवाई के लगभग 6 से 8 सप्ताह बाद पौधे में फूल आने लगते हैं. फूल आने से पहले ही इसकी पलटाई कर दें. यह जल्दी से खेत में डीकंपोज हो जाए. इसके लिए सिंचाई के पहले प्रति एकड़ 5 किलोग्राम यूरिया भी खेत में डाल सकते हैं .उसके बाद तीन से चार सप्ताह बाद यह डीकंपोज होने लगता है.
सरकार दे रही अनुदान
LOCAL 18 से बात करते हुए कृषि विशेषज्ञ शिव शंकर वर्मा बताते हैं कि सरकार हरित खाद के प्रति किसानों को जागरूक करने के लिए ढैंचा का बीज 50% अनुदान पर उपलब्ध करा रही है. यह बीज किसान राजकीय कृषि केंद्र से खरीद सकते हैं.
Tags: Hindi news, Local18FIRST PUBLISHED : July 18, 2024, 17:13 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed