पॉजिटिव कैफेः 7 HIV पॉजिटिव लोग चला रहे हैं ये कैफे देते हैं खास मैसेज

साल 2018 में एक छोटे से गैराज से कैफे की शुरुआत की थी. कोलकाता के इस पॉजिटिव कैफे को 7 HIV पॉजिटिव चलाते हैं. जिससे समाज में सकारात्मक संदेश जाए. ताकि लोग HIV पॉजिटिव लोगों के साथ सामान्य व्यवहार करें और वे समाज में आम लोगों की तरह ही जी सकें.

पॉजिटिव कैफेः 7 HIV पॉजिटिव लोग चला रहे हैं ये कैफे देते हैं खास मैसेज
कई बार जानकारी के अभाव होने के चलते लोग एक-दूसरे से ऐसा व्यवहार करते हैं, जिससे सामने वाले व्यक्ति के मान सम्मान को चोट पहुंचती है. समाज में फैली कई तरह की धारणाओं के कारण न जाने कितने ही लोगों के साथ ऐसा होता है. भारत में जातिवाद है, तो अमेरिका जैसे विकसित और शिक्षित देश में रंगभेद जैसी समस्याओं ने लोगों के जीवन को मुश्किल में ला दिया है. भारत में जिस तरह जातिवाद के चलते इंसान ही इंसानों में बंटे हुए हैं और एक-दूसरे को हीन भावना से देखते हैं. ठीक उसी तरह अमेरिका के रंगभेद ने भी काले-गोरे की लड़ाई को बरकरार रखा है. लेकिन इन सब गलत धारणाओं का कारण अशिक्षा या जागरूकता की कमी ही है. इसी तरह कई बीमारियां जो संक्रामक नहीं हैं फिर भी लोग उन बीमारियों से ग्रसित लोगों का सामाजिक बहिष्कार करते हैं जिससे कि उनके आत्मसम्मान को ठेस ही नहीं पहुंचती बल्कि उनका लोगों के साथ जीना मुश्किल हो जाता है. उन्हीं में से एक बीमारी HIV AIDS (एक्वायर्ड इम्यूनो डिफिसिएंसी सिंड्रोम) है. जो एक संक्रामक रोग तो है लेकिन वह किन कारणों से होती और किस तरह फैलती है इसकी जानकारी या इसके विषय में जागरूकता की कमी के चलते कई HIV  पॉजिटिव लोगों को साथ समाज में दुर्व्यवहार किया जाता है. लेकिन इस जागरूकता की कमी को दूर करने के लिए पश्चिम बंगाल के कोलकाता में एक पहल देखने को मिली है. जिसमें HIV पॉजिटिव लोगों के प्रति समाज में जागरूकता फैलाने के लिए ‘पॉजिटिव कैफे’ चलाया जा रहा है. क्या है इस कैफे की खासियत और किस तरह यह लोगों में HIV के प्रति जागरूकता फैला रहा है. इन सब बातों को जानने के लिए न्यूज़ 18 ने कैफे का संचालन करने वाली रितिमा घोष से विस्तार से चर्चा की. HIV से ग्रसित लोगों के साथ हो रहे र्दुव्यहार को रोकने इसकी शुरुआत की गई. कब हुई कैफे ‘पॉजिटिव की शुरुआत’ रितिमा घोष से बातचीत करने पर उन्होंने बताया कि उनका ‘कैफे पॉजिटिव‘ अपनी थीम के कारण लोगों को आकर्षित करता है. उन्होंने इसका नाम ‘कैफे पॉजिटिव‘ इसलिए रखा है ताकि वह समाज में HIV पॉजिटिव लोगों को लेकर स्थापित मानसिकता को खत्म कर सके. जिससे कि लोग HIV पॉजिटिव लोगों के साथ सामान्य व्यवहार करें और वे समाज में आम लोगों की तरह ही जी सकें. रितिमा घोष और उनके साथी डॉ. कल्लोल घोष ने मिलकर इस कैफे की शुरुआत साल 2018 में की थी. रितिमा बताती हैं कि उन्होंने इसकी शुरुआत एक गैराज के छोटे से रूम से की थी. उसके बाद क्राउड फंडिंग के जरिए पैसे जुटाकर साल 2021 में नई जगह पर इस कैफे को शिफ्ट किया है. कंसेप्ट की वजह से लोगों ने नापसंद भी किया रितिमा कहती हैं कि समाज में आज भी HIV AIDS को लेकर जागरूकता की कमी है. शुरुआत में हमारे कैफे की थीम को लेकर लोगों ने कैफे को नापसंद किया. क्योंकि हमने HIV पॉजिटिव लोगों को लेकर कैफे चलाना शुरू किया तो लोगों के बीच में फैली ये बात कि HIV पॉजिटिव व्यक्ति को काटने वाला मच्छर जिस व्यक्ति को काट लेता है. उसे भी HIV संक्रमण हो जाता है. इस तरह की गलत बातों के कारण बहुत ही कम लोग कैफे में आते थे. लोगों को लगता था कि HIV पॉजिटिव लोगों के छूने से भी एड्स फैलता है इस कारण भी लोगों बहुत कम ही हमारे कैफे में आया करते थे. कोई खाना बनाना वाला भी हमारे साथ काम करने के लिए तैयार नहीं था. कई कामों के लिए हमें लोग नहीं मिला करते थे. हालांकि धीरे-धीरे लोगों में इस बात को लेकर हमने काफी जागरूकता फैलाने के प्रयास किए. हमारी मेहनत रंग लाई और कुछ समझदार लोग धीरे-धीरे करके हमारे कैफे में आने लगे. जिसके बाद कैफे ठीक से चलने लगा. लेकिन अभी भी आम कैफे की तरह लोग यहां नहीं आते हैं अधिकतर समझदार और जागरूक लोग ही आते हैं. यहां HIV पॉजिटिव युवा वेटरिंग समेत अन्य काम करते हैं. HIV पॉजिटिव लोग चलाते हैं कैफे रितिमा घोष के इस कैफे में 7 HIV पॉजिटिव लोग काम करते हैं. दरअसल समाज में एड्स के प्रति जागरूकता की कमी के चलते HIV पॉजिटिव लोगों को काम मिलना काफी बेहद कठिन होता है. इसके कारण वह बेरोजगारी की मार झेलते हैं, इसलिए उन्होंने अपने कैफे में काम करने के लिए 7 HIV पॉजिटिव युवाओं को चुना है. जो वेटरिंग के अलावा दूसरे काम भी करते हैं. उनके कैफे की थीम और HIV पॉजिटिव लोगों के काम करने से लोगों के बीच में HIV को लेकर एक जागरूकता का संदेश जाता है, जिससे कि HIV पॉजिटिव लोगों के प्रति समाज के नजरिए में सकारात्मक बदलाव आ सके. HIV एड्स रक्त के मिश्रण या लोगों के साथ यौन संबंध बनाने से फैलता है. यह मां से बच्चों में स्तनपान कराने से भी फैलता है. लेकिन HIV पॉजिटिव लोगों के लार से या उन्हें छूने से एड्स नहीं फैलता. 35 सालों से HIV पॉजिटिव लोगों के लिए कर रहे हैं काम रितिमा बताती हैं कि डॉ. कल्लोल घोष लगभग 35 सालों से HIV पॉजिटिव लोगों के लिए काम कर रहे हैं. उन्होंने एक घर भी बना रखा है जिसका नाम ‘आनंदघर’ है. जिसमें डॉ. घोष के साथ कई HIV पॉजिटिव युवा और बच्चे रहते हैं. डॉ. घोष इन लोगों की पढ़ाई-लिखाई से लेकर काम करने में मदद करते हैं. इसके साथ ही इन्हें अच्छी जिंदगी देने का काम करते हैं. उन्होंने HIV पॉजिटिव लोगों की मदद के लिए अब तक कई काम किए हैं, उनके ‘आनंदघर’ में रहने वाले सभी HIV पॉजिटिव लोगों का खर्च डॉ. घोष ही उठाते हैं. 35 सालों से HIV पॉजिटिव युवाओं के लिए काम कर रहे हैं. लोगों के लिए यह संदेश HIV पॉजिटिव लोगों के साथ समाज में होने वाले व्यवहार में बदलाव लाने के उद्देश्य से ये कैफे खोला गया था. कई लोगों ने उनकी इस पहल को समझा सराहा और उन्हें क्राउड फंडिंग के जरिए डोनेशन भी मिला. लेकिन अभी भी समाज में जिस प्रकार की जागरूकता होनी चाहिए वह नहीं है. रितिमा घोष का कहना है कि HIV पॉजिटिव लोगों के साथ रहने उन्हें छूने या उनके साथ खाना खाने से HIV नहीं फैलता है. इसलिए लोगों को उनके साथ भी आम लोगों को तरह ही व्यवहार करना चाहिए. क्योंकि यदि उनके साथ समाज में उन्हें बहिष्कृत करने वाला व्यवहार होता रहेगा तो वह अपनी बीमारी से नहीं लड़ पाएंगे. लोग जाने अनजाने ऐसे लोगों के साथ दूरी बनाकर उनके लिए एक और मुसीबत खड़ी कर देते हैं. हमें HIV पॉजिटिव लोगों के साथ भी नॉर्मल लोगों की तरह ही व्यवहार करना चाहिए. ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें up24x7news.com हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट up24x7news.com हिंदी | FIRST PUBLISHED : September 02, 2022, 13:16 IST