मां विंध्यवासिनी धाम में है शेर जानिए क्यों मां ने बनाया सवारी

Adishakti Maa Vindhyavasini: मिर्जापुर में विंध्य पर्वत पर विराजमान आदिशक्ति मां विंध्यवासिनी का धाम है. मंदिर को लेकर पुजारी ने बताया कि पुराणों में मां भगवती के सिंहवाहिनी होने की कथा का जिक्र है. भगवान शिव एक बार पार्वती को काली कहकर संबोधित किया था. जिसके बाद मां रूष्ट होकर विंध्य पर्वत पर आकर तपस्या करने लगी.

मां विंध्यवासिनी धाम में है शेर जानिए क्यों मां ने बनाया सवारी
मुकेश पांडेय/मिर्जापुर: विंध्य पर्वत पर विराजमान आदिशक्ति मां विंध्यवासिनी का धाम विशेष है. शेर पर सवार मां विंध्यवासिनी भक्तों के दुखों को हर लेती है. मां विंध्यवासिनी के ठीक सामने उनकी सवारी शेर है, जो मां पर टकटकी लगाए हुए है. कहा जाता है कि मां विंध्यवासिनी विंध्य पर्वत पर ध्यान कर रही थी. इसी दौरान यह शेर शिकार बनाने के लिए आया हुआ था. मां को ध्यान में देखकर शेर उनके उठने का इंतजार करने लगा. हालांकि ध्यान से उठने के बाद उन्होंने शेर को बैठा हुआ देखकर प्रसन्न हो गई. जिसके बाद उन्होंने शेर को सवारी बना ली. धर्मगुरु त्रियोगी नारायण मिश्र ने बताया कि माता विंध्यवासिनी धाम में बैठे हुए सिंह को देखेंगे तो उनके पीछे महादेव हैं. पुराणों में इस कथा का जिक्र किया गया है कि पुराणों में शंकर भगवान ने पार्वती को काली से संबोधित किया. शंकर भगवान ने कहा था कि आओ काली आओ. यह बात भगवती को चुभ गई. जिसके बाद मां हिमालय को छोड़कर विंध्य पर्वत पर आ गई. वहीं, तपस्या करने लगी. देवी का शिकार बनाने के लिए आया था शेर धर्मगुरु त्रियोगी नारायण मिश्र ने बताया कि विंध्य पर्वत पर गौर वर्ण होने के लिए मां विंध्यवासिनी तप कर रही थी. उन्हें देखकर एक भूखा और प्यासा शेर शिकार के लिए पहुंच गया. मां के पास पहुंचते ही शेर रुक गया. उसकी निगाह मां भगवती पर पड़ी तो देखा मां ध्यान के चिर मुद्रा में हैं . उनका स्पंदन शून्य हो गया है. शेर जीव न होने पर मां के मुख को देखते हुए वहीं बैठ गया. कुछ समय बाद शेर खुद ध्यान में लीन हो गया. तप से खुश हुए थे भगवान शिव धर्मगुरु त्रियोगी नारायण मिश्र ने बताया कि भगवती का तप पूरा होने के बाद भगवान शिव प्रकट हुए. उन्होंने देवी से कहा कि भगवती हम तुम्हारी तपस्या से प्रसन्न हुए हैं. उत्तर दिशा में गंगा बह रही है. जाओ गंगा स्नान करके अपने आसन पर विराजो. तुम गौर वर्ण की हो जाओगी. गंगा स्नान करने के बाद भगवती मां वापस आई और आसन पर बैठी तो करोड़ों सूर्य की किरण से भगवती का गौर वर्ण हो गया. ध्यानस्थ अवस्था में पाषाण का हो गया शेर धर्मगुरु त्रियोगी नारायण मिश्र ने बताया कि मां विंध्यवासिनी के आसन पर विराजने के बाद उनकी नजर शेर पर पड़ी. जो पाषाण का हो गया था. मां भगवती ने कहा कि यह तो मेरा अनंत भक्त है. मैं इसे अपनी सवारी बनाउंगी. मां ने शेर को सवारी बनाया. जिसके बाद मां शेरावाली हो गई. अगर आप मां के दरबार में आएंगे तो मां के शेर के दर्शन करेंगे. मां के कौशिकी रूप के दर्शन यहीं पर होता है. मां के धाम में शिव और शक्ति दोनों के दर्शन प्राप्त होते हैं. Tags: Local18, Mirzapur City News, Mirzapur news, Mirzapur News TodayFIRST PUBLISHED : June 29, 2024, 10:58 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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