जयललिता की मौत पर 600 पन्नों की रिपोर्ट तैयार CM स्टालिन ने उठाए कई सवाल
जयललिता की मौत पर 600 पन्नों की रिपोर्ट तैयार CM स्टालिन ने उठाए कई सवाल
तमिलनाडु की दिवंगत मुख्यमंत्री जे जयललिता की मौत की परिस्थितियों की जांच के लिए गठित न्यायमूर्ति अरुमुघस्वामी आयोग ने लगभग 150 गवाहों को सुनने के बाद अंग्रेजी में 500 पन्नों और तमिल में 600 पन्नों की रिपोर्ट तैयार की है.
हाइलाइट्स150 गवाहों को सुनने के बाद अंग्रेजी में 500 पन्नों और तमिल में 600 पन्नों की रिपोर्ट तैयार हुई है दीपा और दीपक ने अपनी मौसी जयललिता की मौत की परिस्थितियों पर संदेह जताया थापूर्ववर्ती अन्नाद्रमुक सरकार ने 2017 में अरुमुघस्वामी जांच आयोग का गठन करके मामले की तफ्तीश की थी शुरू
चेन्नई. मुख्यमंत्री एम के स्टालिन का कहना है कि पूर्व मुख्यमंत्री जे जयललिता की मौत के परिस्थितियों की जांच के लिए गठित न्यायाधीश अरुमुघस्वामी आयोग की रिपोर्ट में कई खामिया थी. पूर्व मंत्री पोंगालुर पलानीस्वामी की पोती की शादी में पहुंचे मुख्यमंत्री एम.के स्टालिन ने कहा कि अभी मेरे लिए कुछ भी बताना मुश्किल है, रिपोर्ट विधानसभा में पेश की जाएगी उसके बाद सार्वजनिक होगी. हालांकि स्टालिन ने यह बात खुलकर नहीं बताई की रिपोर्ट में कई मसलों को उजागर किया गया है या खुद रिपोर्ट में कई खामिया है.
स्टालिन ने आरोप लगाया कि पूर्व मुख्यमंत्री एडापद्दी के पलानसिवामी ने जो समीति का गठन किया था वह महज ओ पनीरसेल्वम जो AIDMK के नेतृत्व के खिलाफ थे उन्हें शांत करने का महज दिखावा भर था.
द्रमुके के सत्ता में आने के बाद उचित जांच के अपने वादे को दोहराते हुए स्टालिन ने कहा कि कमीशन का गठन पूरा होने के बाद लंबी देरी के बाद रिपोर्ट सौंप दी गई है. उन्होंनें कहा कि रिपोर्ट विधानसभा में पेश की जाएगी और फिर रिपोर्ट के आधार पर क्या कार्यवाही की जानी चाहिए इसका फैसला लिया जाएगा.
गौरतलब है कि तमिलनाडु की दिवंगत मुख्यमंत्री जे जयललिता की मौत की परिस्थितियों की जांच के लिए गठित न्यायमूर्ति अरुमुघस्वामी आयोग ने लगभग 150 गवाहों को सुनने के बाद अंग्रेजी में 500 पन्नों और तमिल में 600 पन्नों की रिपोर्ट तैयार की है. आयोग के सामने अन्नाद्रमुक के शीर्ष नेता ओ पनीरसेल्वम, जयललिता की भतीजी दीपा और भतीजे दीपक, डॉक्टर, शीर्ष अधिकारी व ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम (अन्नाद्रमुक) के सी विजयभास्कर (पूर्व स्वास्थ्य मंत्री), एम थंबी दुरई, सी पोन्नइयन और मनोज पांडियन ने बयान दिया है. दीपा और दीपक ने अपनी मौसी की मौत की परिस्थितियों पर संदेह जताया था. 13 महीने के अंदर जमा की गई रिपोर्ट पूर्ववर्ती अन्नाद्रमुक सरकार ने 22 नवंबर 2017 को अरुमुघस्वामी जांच आयोग का गठन करके मामले की तफ्तीश शुरू की थी. आपको बता दें कि पांच दिसंबर 2016 को जब पूर्व मुख्यमंत्री जे.जयललित की मौत हुई उससे पहले वह 75 दिनों तक अपोलो अस्पताल में भर्ती रहीं थी. कार्यवाही के दौरान अपोलो अस्पताल के डॉक्टरों ने वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), दिल्ली के विशेषज्ञों के एक चिकित्सकीय बोर्ड को जयललिता के उपचार के बारे में जानकारी दी. एम्स की समिति ने उच्चतम न्यायालय के निर्देश के तहत चिकित्सा पहलुओं को समझने में आयोग की मदद करने के लिए वर्चुअल माध्यम से कार्यवाही में हिस्सा लिया.
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FIRST PUBLISHED : September 02, 2022, 11:30 IST