पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में भड़का बगावत का ज्वालामुखी लोग बोले हम आजादी चाहते हैं VIDEO

पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर यानी POK में अब हालात पूरी तरह हाथ से निकल चुके हैं. जिस इलाक़े को पाकिस्तान सालों से ‘आज़ाद कश्मीर’ कहता रहा, वहीं की सड़कों पर अब ‘पाकिस्तान मुर्दाबाद’ के नारे गूंज रहे हैं. जनता ने खुलेआम सरकार और फौज दोनों के खिलाफ बगावत छेड़ दी है. महंगाई, भ्रष्टाचार, और शोषण से तंग लोगों का गुस्सा अब खुलकर विद्रोह में बदल गया है. जम्मू-कश्मीर अवामी एक्शन कमेटी (JKAAC) के बैनर तले लोग सड़कों पर उतर आए हैं. पाकिस्तान के खिलाफ विरोध इतना भड़क गया कि सेना को गोलियां चलानी पड़ीं, इंटरनेट बंद करना पड़ा और कई शहरों को छावनी में तब्दील कर दिया गया. POK के लोगों का आरोप है कि पाकिस्तान दशकों से उनके इलाकों के नेचुरल रिसोर्सेज लूट रहा है, जबकि उन्हें न बिजली मिलती है, न पानी, न रोजगार. अवामी एक्शन कमेटी ने पाक सरकार के सामने 38 मांगें रखीं थीं - लेकिन जब किसी पर भी अमल नहीं हुआ तो उन्होंने ‘आज़ादी मार्च’ का ऐलान कर दिया. कोटली, मीरपुर और रावलाकोट जैसे शहरों में दुकानों और बाजारों के शटर गिर गए. प्रदर्शनकारियों की कई जगहों पर पाकिस्तानी सेना से भिड़ंत हुई. गोलियां चलीं, जिसमें कई लोग घायल हुए. इसके बाद विद्रोह और भड़क गया. हालात बिगड़ते देख पाकिस्तान सरकार ने POK में इंटरनेट बंद कर दिया और मीडिया को रिपोर्टिंग से रोका गया. कोटली समेत कई इलाकों में कर्फ्यू जैसे हालात बना दिए गए हैं. कई एक्टिविस्ट गिरफ्तार किए गए, लेकिन जनता का गुस्सा थम नहीं रहा. जम्मू-कश्मीर के बीजेपी नेता अल्ताफ ठाकुर ने कहा कि POK के लोग अब खुलकर भारत के साथ आने की बात कर रहे हैं. वो कहते हैं - ‘हम जम्मू-कश्मीर का हिस्सा हैं और हिंदुस्तान के साथ रहना चाहते हैं.’पाकिस्तान बार-बार दुनिया में ये दावा करता रहा है कि वो कश्मीरियों की ‘आजादी’ की लड़ाई लड़ रहा है. लेकिन सच्चाई ये है कि उसने खुद अपने कब्जे वाले हिस्से को दो टुकड़ों में बांट दिया है. एक ओर है गिलगित-बाल्टिस्तान (72,000 स्क्वायर किमी) और दूसरी ओर वो हिस्सा जिसे पाकिस्तान ‘आज़ाद जम्मू-कश्मीर’ कहता है, जिसका एरिया सिर्फ 13,000 स्क्वायर किमी है. यानी पाकिस्तान के कब्जे वाले कुल 85,000 स्क्वायर किमी इलाके में से 90% से ज्यादा हिस्सा उसने खुद अलग कर लिया है. नाम ‘आज़ाद’ रखा, पर वहां न कोई अधिकार है, न लोकतंत्र. गिलगित-बाल्टिस्तान पर पाकिस्तान की फेडरल गवर्नमेंट का सीधा कंट्रोल है, मतलब असल में कंट्रोल सेना का है.1947 में जब महाराजा हरी सिंह जम्मू-कश्मीर के शासक थे, तब गिलगित-बाल्टिस्तान उनकी रियासत का हिस्सा था. लेकिन पाकिस्तान ने 1949 में साजिश के तहत वहां विद्रोह भड़काया और कहा कि ‘लोग खुद पाकिस्तान के साथ आ गए.’ तब से लेकर आज तक वो इलाका सीधे पाक सेना के कंट्रोल में है, जबकि पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अब भी कहता है कि ‘कश्मीर विवादित इलाका है.’ यानी एक तरफ वो ‘कश्मीर पर झंडा गाड़ने’ की बातें करता है, और दूसरी तरफ अपने कब्जे वाले हिस्से को ही बांटकर रखता है.

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