इस फल के गुठली को कूड़ा समझकर न फेंके छिपा है कई रोगों का इलाज

अक्सर लोग आम खाकर गुठली को कूड़ेदान में फेंक देते हैं शायद वो इसके हैरान कर देने वाले फायदे के बारे में नहीं जानते हैं. पोषक तत्वों से भरपूर औषधिय गुणों का भंडार यह आम की गुठली किसी संजीवनी बूटी से कम नहीं है. एक नहीं बल्कि अनेक बीमारियों को जड़ से उखाड़ फेंकने में कामयाब सिद्ध होती है.

इस फल के गुठली को कूड़ा समझकर न फेंके छिपा है कई रोगों का इलाज
वसीम अहमद/अलीगढ़ः आपका मोबाइल भले ही आपके जीवन का अहम हिस्सा बन चुका हो, लेकिन यह आपके घर के नौनिहालों को गूंगा बना रहा है. दरअसल, अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज की बाल रोग विभाग की मनोचिकित्सक ने हैरान कर देना वाली बात बताई है. मनोचिकित्सक की कहना है कि मोबाइल से खेलने वाले छोटे बच्चों में बोलने की क्षमता घट रही है. पहले जो बच्चे 2 साल की उम्र में बोलना शुरू कर देते थे. वहीं, अब मोबाइल से खेलने के कारण बच्चे बोलने मे 5 से 6 साल तक का समय लग रहा है. माता-पिता नहीं दे पाते बच्चों को समय अलीगढ़ मेडिकल कॉलेज की मनोचिकित्सक डॉक्टर फिरदोस जहां ने बताया कि पिछले 1 साल में उनके सामने कई ऐसे मामले आए हैं. जिनमें 5 से 6 साल तक का वक्त बच्चों को बोलने में लग रहा है. जिसकी बड़ी वजह मोबाइल है. दरअसल, आजकल के पेरेंट्स काफी व्यस्त रहते हैं. ऐसे में बच्चों को समय नहीं दे पाते है. बच्चे मोबाइल को सिर्फ सुनते हैं मनोचिकित्सक डॉक्टर ने बताया कि अगर छोटा बच्चा घर में रोता है तो उसे शांत कराने के और घुमाने के बजाय माता-पिता मोबाइल पर गाना या कार्टून शुरू कर देते हैं. इससे बच्चा चुप हो जाता है. इसके बाद पेरेंट्स रेगुलर इसका यूज करने में लग जाते हैं, लेकिन इससे बच्चा मोबाइल को सिर्फ सुनता है. वह ना तो बोलने की कोशिश करता है. ना ही जवाब देता है. इसी कारण से उन्हें बोलने और सीखने में काफी दिक्कतें आ रही हैं. मोबाइल को रखें छोटे बच्चों से दूर डॉक्टर फिरदोस जहां बताती हैं कि 5 से 6 साल बाद बोलने वाले बच्चों की संख्या एएमयू के जेएन मेडिकल कॉलेज के बाल रोग विभाग में पिछले डेढ़- 2 सालों में काफी बढ़ी है. 5 से 6 साल तक के बच्चे ठीक से बोल नहीं पा रहे हैं. उनका उच्चारण ठीक से नहीं निकल रहा है. कुछ बच्चे चाह कर भी नहीं बोल पाते हैं. अचानक ऐसे बच्चों की संख्या जब बढ़ने लगी तो डॉक्टरों की टीम ने आंकड़ों के साथ इस पर पड़ताल शुरू की, जिसमें पाया कि बच्चों के जन्म के बाद मोबाइल की लत इस समस्या का बड़ा कारण है. मनोचिकित्सक डॉक्टर ने बताया कि ऐसे माता-पिता बच्चों की देखभाल करते हुए नजर रखें कि वह इंटरनेट या मोबाइल पर कितने घंटे बिताता है. उम्र के हिसाब से स्क्रीन टाइम लिमिट तय करें. बच्चों को फिजिकल एक्टिविटी जैसे कसरत साइकिल चलाना या चलने दौड़ने वाला खेल खिलाएं. इससे बच्चों की सेहत अच्छी होने के साथ-साथ उनके दिमाग का विकास भी अच्छे से होगा FIRST PUBLISHED : May 22, 2024, 14:52 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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