गौमूत्र से तैयार जीव अमृत का करें प्रयोग कीट का प्रकोप हो जाएगा खत्म

किसान डॉ. अरुण कुमार सिंह ने बताया कि जीव अमृत बनाना बेहद आसान है. 200 लीटर के ड्रम में एक मुट्ठी जीवाणु के लिए मिट्टी डालें. इसके बाद उसमें एक किलो गुड़, एक किलो आटा, 10 किलो गोबर, 10 लीटर गोमूत्र डालकर 7 दिन तक उसको अच्छे से समय-समय बाद मिलाते रहें. इसके बाद 20 लीटर पानी में 1 लीटर मिलाकर इसका फसल पर छिड़काव करें.

गौमूत्र से तैयार जीव अमृत का करें प्रयोग कीट का प्रकोप हो जाएगा खत्म
सहारनपुर. भारत में अधिकतर किसान अपनी फसल पर रासायनिक खाद का इस्तेमाल करते हैं, ताकि  फसल तेजी से बढ़े और उसमें हरियाली भी अच्छी रहे. लेकिन, रासायनिक खाद का फसलों पर दुष्प्रभाव भी अधिक रहता है. इन सभी से बचने के लिए और फसल की एक अच्छी पैदावार लेने के लिए सहारनपुर के किसान डॉ. अरुण कुमार सिंह अपनी फसलों पर रासायनिक खाद नहीं बल्कि गोमूत्र से तैयार जीव अमृत का इस्तेमाल कर रहे हैं.पिछले वर्ष के आंकड़ों की बात करें तो ढाई लाख करोड़ रुपए का यूरिया खाद और डीएपी विदेशों से मंगाना पड़ा. गोमूत्र से ऐसे तैयार किया जाता है जीव अमृत किसान डॉ अरुण कुमार सिंह ने लोकल 18 को बताया कि यूरिया खाद और डीएपी की अधिक खपत होने से देश का पैसा भी बाहर जा रहा है. इसी के चलते विकल्प तालाश कर गाय के गोमूत्र का इस्तेमाल कर जीव अमृत तैयार कर अपनी फसलों पर छिड़कते है. इसका परिणाम यह रहा कि फसलों में कीट नहीं लगता है और पैदावार भी बेहतर हो रहा है. जिस यूरिया को किसान इस्तेमाल करते हैं, उसमें 44% नाइट्रोजन होता है जबकि गायों के गोमूत्र में 100% नाइट्रोजन होता है. 200 लीटर के ड्रम में एक मुट्ठी जीवाणु के लिए मिट्टी डालें. इसके बाद उसमें एक किलो गुड़, एक किलो आटा, 10 किलो गोबर, 10 लीटर गोमूत्र डालकर 7 दिन तक उसको अच्छे से समय-समय बाद मिलाते रहें. इसके बाद 20 लीटर पानी में 1 लीटर मिलाकर इसका फसल पर छिड़काव करें. किसान इसको जीव अमृत भी कहते हैं. इसका इस्तेमाल कर किसान आत्मनिर्भर बन सकते हैं. साथ ही भारत का पैसा विदेशों में नहीं जाएगा. गोमूत्र से फसलों पर नहीं आता है कीट किसान डॉ. अरुण कुमार सिंह ने लोकल 18 को बताया कि जिस चारे पर यूरिया और डीएपी का अधिक इस्तेमाल होता है, वह चार काफी हरा दिखाई देता है. जिससे उस पर कीट आने की संभावना अधिक रहती है. जबकि गोमूत्र से तैयार जीव अमृत का इस्तेमाल करने से चारे में कम हरापन रहता है और उससे चारे में कीट भी नहीं लगता. डॉ अरुण कुमार सिंह ने बताया कि रोजाना गायों का गोमूत्र एकत्र करते हैं. किसानों को यूरिया से दूर रहने और गोमूत्र का इस्तेमाल करने की ट्रेनिंग दे चुके हैं. Tags: Agriculture, Local18, Saharanpur news, UP newsFIRST PUBLISHED : September 20, 2024, 18:22 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed