इस प्रजाति की मछली का करें पालन सालभर में ढाई किलो तक हो जाएगा वजन

जिला मत्स्य निरीक्षक शशांक नमन ने बताया कि रोहू की (जयंती रोहू) प्रजाति एवं कतला, मृगल मछली के बीज का चयन करें, क्योंकि यह मछलियां बेहद कम समय और कम लागत में तैयार होती है. साथ ही  बाजारों में मांग भी अधिक रहती है. जिस तालाब में मछली पालन कर रहे हैं, उस तालाब में औसतन 6 फीट रखें और ऑक्सजन के लिए एयरेटर सिस्टम स्थापित कर दें.

इस प्रजाति की मछली का करें पालन सालभर में ढाई किलो तक हो जाएगा वजन
रायबरेली. मछली पालन एक ऐसा व्यवसाय है, जो बदलते दौर के साथ लोगों की आय दोगुनी करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है. पढ़े-लिखे युवा भी अब मछली पालन कर आत्मनिर्भर बन रहे हैं. यह एक ऐसा व्यवसाय है, जो आसान होने के साथ ही लाभदायक भी है. सरकार भी कई योजनाओं के माध्यम से मत्स्य पालकों को लाभान्वित कर रही है. परंतु मछली पालन करने वाले किसान उन्नत किस्म के बीज का चयन नहीं कर पाते हैं. जिससे उन्हें आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है. आज हम मछली की उन उन्नत बीज के बारे में बताने जा रहे हैं, जिससे मछली पालकों को किसी भी प्रकार के नुकसान का सामना ना करना पड़े. इन प्रजाति की मछलियों का करें पालन रायबरेली के जिला मत्स्य निरीक्षक शशांक नमन ने लोकल 18 को बताया कि किसान मछली पालन करने से पहले सही बीज एवं उसके प्रबंधन का ध्यान रखें. ऐसा करने से कम लागत में अच्छा मुनाफा मिलेगा. मछली पालन करने वाले किसान उन मछलियों के बीज का चयन करें, जो कम समय और कम लागत में आसानी से तैयार हो जाए. जिनमें प्रमुख रूप से रोहू की (जयंती रोहू) प्रजाति एवं कतला, मृगल मछली के बीज का चयन करें, क्योंकि यह मछलियां बेहद कम समय और कम लागत में तैयार होती है. साथ ही  बाजारों में मांग भी अधिक रहती है. किसान इससे अच्छा मुनाफा कमा लेते हैं. मछलियों की यह प्रजाति एक वर्ष में दो से ढाई किलो तक की हो जाती है. तालाब में पानी और आहार का करें बेहतर प्रबंधन  शशांक नमन बताते हैं कि मछली पालन करने वाले किसान तालाब में साफ एवं शुद्ध पानी की व्यवस्था करें. जिस तालाब में मछली पालन कर रहे हैं, उस तालाब में औसतन 6 फीट तक पानी रहना चाहिए. वहीं मछलियों के आहार के लिए उसमें समय-समय पर मछली दाना डालते रहना चाहिए. जिससे मछलियों की मोटिलिटी दर बढ़ती रहे. तालाब में ऑक्सीजन की मात्रा को संतुलित रखने के लिए किसान एयरेटर सिस्टम स्थापित कर दें, जिससे तालाब के पानी में ऑक्सीजन की मात्रा की कमी ना होने पाए. यह तरीका अपनाकर मत्स्य पालक किसान बेहतर मुनाफा कमा सकते हैं. Tags: Agriculture, Local18, Rae Bareli News, UP newsFIRST PUBLISHED : August 25, 2024, 16:12 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed