धान की नर्सरी लगाते समय इन बातों का ध्यान रखे किसान अच्छी उपज के साथ होगी

खरीफ की खेती का सीजन शुरू हो चुका है. खरीफ फसल में धान मुख्य फसल है. धान की रोपाई से पहले उसकी नर्सरी तैयार की जाती है. नर्सरी की पैदावर पर बहुत हद तक धान की पैदावर निर्भर करती है. ऐसे में इस स्टोरी में हम आपको बताएंगे कि धान की नर्सरी लगाने से पहेल किन बातों पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है.

धान की नर्सरी लगाते समय इन बातों का ध्यान रखे किसान अच्छी उपज के साथ होगी
सौरभ वर्मा/रायबरेली: देश में धान खरीफ सीजन की मुख्य फसलों में से एक है. ऐसे में खरीफ की फसल का समय शुरू हो गया है.  किसान धान की नर्सरी की तैयारी शुरू कर दिए हैं.  वह धान की फसल की अच्छी पैदावार हो इसके लिए किसान तरह-तरह के उपाय करते हैं. जिससे कि धान की नर्सरी की उपज अच्छी हो. अगर नर्सरी की उपज अच्छी होती है, तो रोपाई के समय धान खेत में अच्छे पकड़ता है. ऐसे में धान की नर्सरी लगाना का समय आ गया है. इससे पहले की किसान धान की नर्सरी करें, उससे पहले कृषि वैज्ञानिक की इस टिप्स को याद रखें. रायबरेली  राजकीय कृषि केंद्र शिवगढ़ के प्राविधिक सहायक विवेक कुमार बताते हैं कि धान की नर्सरी करते समय किसान उन्नतशील किस्म की प्रजाति के बीजों का चयन करें. जिसका पूर्ण रूप से जमाव हो साथ ही उसकी शुद्धता और स्वस्थ होने की प्रमाणिकता भी हो अंकुरित धान के बीजों को पक्षियों से बचाने के लिए उसे 2 से 3 दिन तक पुआल से ढका रहने दें, साथ ही धान की नर्सरी तैयार करने के लिए 8 मीटर लंबी एवं डेढ़ मीटर चौड़ी क्यारी बनाकर धान की नर्सरी तैयार कर सकते हैं. नर्सरी करने से पहले रखें इन बातों का विशेष ध्यान लोकल 18 से खास बातचीत में  विवेक बताते हैं कि धान की नर्सरी करने से पहले उन्नतशील किस्म की प्रजातियां का चयन करेंं,  धान के बीज की बुआई से पहले बीज का उपचार कर लेना चाहिए.  इसके लिए किसान 4 ग्राम ट्राइकोडर्मा या 2.5 ग्राम कार्बंडाजिम या थीरम लेकर बीज का शोधन करें.  यदि जीवाणु झुलसा या जीवाणु धारी रोग की समस्या हो तो 2 ग्राम स्ट्रेप्टोसाइक्लिन या फिर 20 ग्राम केप़टोन 20 लीटर पानी में घोल बनाकर 10 किलोग्राम बीज उपचारित कर सकते हैं.  उसके बाद 24 से 36 घंटे तक जमाव होने दें बीच-बीच में पानी का छिड़काव करते रहें.  इस प्रक्रिया के बाद बीज की खेत में बुवाई कर दें. आगे वह बताते हैं कि मध्यम आकार की प्रजातियों के लिए 40 किलोग्राम मोटे धान के लिए 45 किलोग्राम तथा बासमती प्रजाति के लिए 25 से 30 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर पर्याप्त होता है. सिंचाई का रखें ध्यान  धान की नर्सरी के लिए मिट्टी का विशेष ध्यान दें, क्योंकि उच्च पोषक तत्वों वाली दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है.  नर्सरी करने से पहले किसानों को सिंचाई की व्यवस्था दुरुस्त कर लेनी चाहिए. धान की खेती बिना सिंचाई के संभव नहीं है. उचित मात्रा में करें उर्वरक का इस्तेमाल Local 18 से बात करते हुए प्राविधिक सहायक विवेक कुमार बताते हैं कि अधिक पैदावार के लिए जरूरी है कि संतुलित पोषक तत्वों का उपयोग किया जाए, इसके लिए किसान 1000 वर्ग मीटर में 10 क्विंटल गोबर की खाद ढाई किलोग्राम जिंक सल्फेट 10 किलोग्राम डीएपी खेत की जुताई से पहले मिट्टी में अच्छी तरह मिला ले. उसके बाद बीज की बुआई करें. ध्यान रखें कि 10 से 15 दिन बाद पौधे का रंग हल्का पीला हो जाए, तो 7 दिन के अंतराल पर दो बार 10 किलोग्राम यूरिया प्रति 1000 मीटर की दर से मिट्टी की ऊपरी सतह पर मिला दें, जिससे पौधे की वृद्धि अच्छी होगी. Tags: Local18, Raebareilly NewsFIRST PUBLISHED : May 13, 2024, 18:19 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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