नौकरी छोड़ इस शख्स ने खेती में अजमाया हाथ अब विदेश से सीखने पहुंच रहे किसान
नौकरी छोड़ इस शख्स ने खेती में अजमाया हाथ अब विदेश से सीखने पहुंच रहे किसान
Farmers of Banda: बांदा के किसान प्रेम सिंह जैविक खेती करने की वजह से सुर्खियों में बने हुए हैं. उनकी खेती करने के तरीको को सीखने के लिए विदेश से भी किसान पहुंच रहे हैं. उनकी इस खेती की वजह से लगभग 100 से अधिक पुरस्कार मिल चुका है.
विकाश कुमार/ बांदा: एक शायरी है ‘तकदीर के खेल से निराश नहीं होते, जिंदगी में ऐसे कभी उदास नहीं होते, हाथों की लकीरों पर क्यों भरोसा करते हो, तकदीर उनकी भी होती है जिनके हाथ नहीं होते…ये महज शायरी नहीं जिंदगी जीने का बेहतरीन तरीका है. आज हम आपको बीहड़ और सूखाग्रस्त क्षेत्र में जन्नत की सैर कराएंगे जहां प्रवेश करते ही प्रकृति की छटा आपके तन मन को अपनी खुशबू और एहसास से ओतप्रोत कर प्रसन्न कर देगी.
जहां विदेशों से लोग ठहरने और सीखने आते हैं और नतीजा है एक किसान के दृढ़ निश्चय और मेहनत का जिन्हे देखकर आज पूरा गांव हरा भरा हो गया है. आश्चर्य की बात यह है की जहां जिले का तापमान 50 डिग्री था. वहीं, इस गांव का तापमान महज 40 डिग्री था. यह गांव मिनी कश्मीर से कम नहीं है.
खेती के दम पर सैकड़ों अवार्ड किए हासिल
हम बात कर रहे हैं, बांदा जिले के बड़ोखर खुर्द गांव की. जहां के किसान प्रेम सिंह विदेश तक मशहूर हैं. वह खेती के दम पर सैकड़ों अवार्ड हासिल कर चुके हैं. इनके आस-पास छोटे कास्तकारों के लिए भी लखपति बनाने का मॉडल है.
बांदा के किसान प्रेम सिंह जिस मॉडल से खेती कर रहे हैं, उसकी पहचान देश ही नहीं, विदेश में भी है. अब तक उनके यहां लगभग 18 देशों के किसान और जानकार खेती की इस तकनीक को सीखने, समझने आ चुके हैं. बांदा के रहने वाले प्रगतिशील किसान प्रेम सिंह ने खेती में जो प्रयोग किए. उसने उस क्षेत्र की तस्वीर ही बदल दी. 80 के दशक में इलाहाबाद विश्वविद्यालय के एमबीए के पहले बैच से पोस्ट ग्रजुऐशन की पढ़ाई पूरी करने के बाद शुरू में तो उन्होंने नौकरी की, लेकिन जल्द ही मोह भंग हो गया और घर लौट आए.
नौकरी छोड़ने के बाद शुरू की खेती
उनका कहना है की वह नौकरी के बाद 25 एकड़ भूमि में तब से जैविक खेती ही कर रहे हैं. उनके आस-पास के सैकड़ों किसान उनसे खेती की तकनीक सीखने आते हैं और उन्हें अपनी उपज भी बेचते हैं. वह लगभग 30 साल से जैविक खेती कर रहे हैं. जिसे सीखने देश ही नहीं, 18 अलग-अलग देशों के किसान आ चुके हैं.
विदेश के किसान यहां कर चुके हैं रिसर्च
किसान प्रेम सिंह बताते हैं कि हर किसान ऐसा कर सकता है. वह जैविक खेती की बात कर रहे हैं. जबकि हमारे यहां तो खेती की पद्धति ही जैविक थी, हमारे पास बाग थे, पशु थे. हम गोबर से खाद बनाते थे और खेतों में डालते थे. चूल्हे की राख से कीटों को भगाते थे, लेकिन हमने तो जानवर पालना ही बंद कर दिया. अब हम बाजार की जहरीली खाद खरीदकर खेतों में डालते हैं.
उन्होंने बताया कि जब वह पढ़ाई करके लौटे तो खेती शुरू कर दी. इसके लिए पशुपालन और बागवानी का मॉडल अपनाया. एक हिस्से में जानवार पाले, दूसरे में उनके लिए चाउन का इंतजाम किया और तीसरे में जैविक खेती शुरू की. इस विधि को आवर्तनशील खेती का नाम दिया. उनकी यह कोशिश सफल रही. किसान ने बताया कि उनके यहां की खेती सीखने के लिए इजरायल, अमेरिका और अफ्रीकन देशों तक के किसान आ चुके हैं. जहां 18 से अधिक किसान रिसर्च कर चुके हैं.
Tags: Banda News, Local18FIRST PUBLISHED : July 16, 2024, 16:35 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed