पहले अटैक करो फिर बताओ कैसे इजरायल ने अमेरिका को बेचारा बना कर रख दिया

इजरायल - हिजबुल्ला जंग: जो बाइडन ने कहा कि अब सीजफायर का टाइम है और वो , मतलब बेन्यामिन नेतन्याहू, उनकी सुनते हैं. अमेरिकी राष्ट्रपति के इस बयान के घंटों बाद इजारयली आर्मी लेबनाने के भीतर कमांडो कार्रवाई कर रही है. तो ऐसी हालत हो गई है सुपरपॉवर अमेरिका की.

पहले अटैक करो फिर बताओ कैसे इजरायल ने अमेरिका को बेचारा बना कर रख दिया
हाय रे अमेरिका. तुम्हारे ही बम से हिजबुल्लाह के चीफ हसन नसरल्लाह को खल्लास कर दिया और भनक तक नहीं. तुम्हारे ही मदद से बनी मिसाइलों ने ईरान के रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स के सात कमांडर्स दमिश्क में मार गिराए और खबर तक नहीं. इस्माइल हनिया को तेहरान के डिप्लोमैटिक सर्किल में ढेर कर दिया और पता नहीं. गजा में 41 हजार फलस्तीनियों का खून देख कर अब बस कहने वाले जो बाइडन की यूएन सेक्योरिटी काउंसिल में कुछ नहीं चलती है. जंग जारी है. इंतकाम लेने तक. आप अमेरिका की बेचारगी की हद को भांप गए होंगे. किसी रीजनल लड़ाई को रोकने में अमेरिका का खबरदार कहना ही काफी होता था , वो आज निसहाय है. इजरायल अपने राष्ट्रहित को सर्वप्रथम मान स्ट्राइक कर रहा है. जो बाइडन की इतनी ही चलती तो नेतन्याहू ये नहीं कहते, “मध्य पूर्व में ऐसा कोई स्थान नहीं है जहां इजरायल नहीं पहुंच सकता.” यह अलगाव बढ़ता जा रहा है क्योंकि यह अमेरिका में होने वाले चुनावों के अंतिम चरण के साथ मेल खाता है. अगर बाइडेन को मध्य पूर्व में युद्ध के घरेलू राजनीतिक प्रभाव को बढ़ाने से बचना है, तो उनके पास पैंतरेबाज़ी करने की सीमित गुंजाइश है. इसे नेतन्याहू निश्चित रूप से समझते हैं. डेमोक्रेटिक उम्मीदवार, उपराष्ट्रपति कमला हैरिस, काफी हद तक प्रशासन की लाइन पर टिकी हुई हैं – पहले की टिप्पणियों के बावजूद कि वह फिलिस्तीनी नागरिकों की दुर्दशा पर जोर देते हुए नेतन्याहू के प्रति थोड़ा सख्त बयानबाजी कर सकती हैं. अमेरिका के लिए एक अपमानजनक पैटर्न बार-बार अमेरिकी नपुंसकता और इजरायली मनमानी का पैटर्न 7 अक्टूबर को इजरायल पर हमास के हमलों के बाद से बार-बार सामने आया है, जिसमें लगभग 1,200 लोग मारे गए थे, जिसने इजरायल को गाजा पर हमला करने और हाल ही में लेबनान में हिजबुल्लाह को नष्ट करने के प्रयास के लिए प्रेरित किया. नेतन्याहू अक्सर पहले कार्रवाई करते हैं और बाद में अमेरिका से सलाह लेते हैं, तब भी जब उनके कार्यों से अमेरिकी कूटनीतिक प्रयासों को झटका लगना तय है और यह डर बढ़ जाता है कि अमेरिका एक विनाशकारी क्षेत्रीय युद्ध में फंस जाएगा. उदाहरण के लिए, अमेरिका को शुक्रवार को इजरायली हवाई हमले के बारे में पहले से सूचित नहीं किया गया था, जिसमें हिजबुल्लाह नेता हसन नसरल्लाह की मौत हो गई थी, जबकि इसके वैश्विक झटके गंभीर होने वाले थे. इस इजरायली दृष्टिकोण ने अक्सर बाइडेन प्रशासन को घटनाओं में सक्रिय खिलाड़ी के बजाय एक दर्शक के रूप में दिखाया है, जैसा कि एक महाशक्ति के लिए नहीं होना चाहिए. विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन द्वारा महीनों तक की गई थकाऊ शटल कूटनीति ज्यादातर खाली हाथ रही है. यह केवल एक कूटनीतिक शर्मिंदगी नहीं है. जब भी किसी अमेरिकी राष्ट्रपति को सार्वजनिक रूप से खारिज किया जाता है, तो उनकी व्यक्तिगत प्रतिष्ठा और अमेरिकी वैश्विक शक्ति की धारणाओं को नुकसान होता है. और संभावना बढ़ रही है कि बाइडेन, जो विदेश नीति विशेषज्ञ होने का दावा करते हुए कार्यालय में आए थे, कुछ महीनों में एक उग्र मध्य पूर्व युद्ध के साथ व्हाइट हाउस छोड़ देंगे, जो उनकी विरासत को दागदार करने वाला है। लेकिन इजरायली नेता का यह दांव सफल रहा है कि अमेरिका का उसे समर्थन करना मजबूरी है न कि विकल्प. और अब तक बाइडेन अपने पास मौजूद प्रभाव का उपयोग करने से कतराते रहे हैं – उदाहरण के लिए, इजरायल के लिए अमेरिकी सैन्य आपूर्ति को स्थायी रूप से बंद करना, एक ऐसा कदम जिसका चुनाव से पहले बहुत बड़ा राजनीतिक प्रभाव होगा और उन पर आतंकवाद से लड़ने वाले सहयोगी को छोड़ने का आरोप लगेगा. Tags: Special ProjectFIRST PUBLISHED : October 1, 2024, 06:17 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed