श्रीकृष्ण जन्मभूमि के निर्माण में इतनी आई थी लगात इनका रहा था अहम योगदान

भगवान कृष्ण के जन्म स्थान का निर्माण कार्य 1958 में शुरू हुआ था. रामनाथ गोइंका, राम किशन डालमियां, जय दयाल डालमियां एवं अन्य दर्जनों लोगों ने निर्माण कार्य में सहयोग दिया था. भागवत भवन के निर्माण में 1 करोड़ और मंदिर प्रांगण के निर्माण कार्य में करीब 1.50 करोड़ रूपये खर्च हुए. मंदिर के सम्पूर्ण निर्माण में करीब 2.5 करोड़ रूपये खर्च आया था.

श्रीकृष्ण जन्मभूमि के निर्माण में इतनी आई थी लगात इनका रहा था अहम योगदान
मथुरा. भगवान श्री कृष्ण के जन्म स्थान का दर्शन करने के लिए हर दिन हजारों लोग मथुरा आते हैं. क्या आपको पता है इस जन्म स्थान को बनाने में कितना समय लगा और कितना धन खर्च हुआ. अगर आपको नहीं पता है तो इस खबर के जरिए आपको जानकारी मिल जाएगी. भगवान श्री कृष्ण का जन्म स्थान दिव्य और भव्य बना हुआ है. यहां हर दिन हजारों श्रद्धालु दर्शन कर उनका कृपा पात्र बनते हैं. इस मंदिर का निर्माण किसने कराया था और कब कराया था वह हम आपको पूरी जानकारी इस खबर के जरिए देंगे. औरंगजेब ने मंदिर को कर दिया था नष्ट बता दें कि भगवान श्री कृष्ण के प्रपोत्र वज्रनाभ ने श्री कृष्ण जन्म स्थान की खोज की थी. उक्त स्थान को उन्होंने श्री कृष्ण जन्म स्थान का दर्जा दिया था. मंदिर के निर्माण कार्य और उसमें खर्च हुए धन की जानकारी देते हुए श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर के प्रशासनिक अधिकारी विजय बहादुर ने लोकल 18 को बताया कि भगवान श्री कृष्ण का अंतिम मंदिर राजा वेयर सिंह बुंदेला ने बनवाया था. इस मंदिर का निर्माण शाहजहां के काल में हुआ था. 1670 ईस्वी में औरंगजेब ने मंदिर को तोड़ दिया था. 1832 ईस्वी में नीलामी के दौरान सरकारी संपत्ति के रूप में बनारस के साहूकार और धर्मालू राजा पटनीमल ने कई मंदिरों का निर्माण कराया था. विजय बहादुर ने बताया कि राजा पटनीमल ने नीलामी में मंदिर के भूखंड को खरीद लिया था. 1944 में ख़रीदा गया था जन्मभूमि का सम्पूर्ण भूखंड श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर के प्रशासनिक अधिकारी विजय बहादुर ने बताया कि 1932 तक मुकदमा चलता रहा. 1940 में पंडित मदन मोहन मालवीय का आगमन मथुरा हुआ था. उन्होंने यहां की स्थिति को देखा तो उनका मानव व्यथित हुआ और उन्होंने भगवान श्री कृष्ण के जन्म स्थान का पूर्ण उद्धार करने की मन में ठान ली. राजा पटनीमल के वंशजों से पंडित मदन मोहन मालवीय ने 100 साल बाद जन्म स्थान के भूखंड को खरीद लिया. मदन मोहन मालवीय और उनके साथियों ने करीब 100 साल बाद 13,400 रूपये में सम्पूर्ण भूखंड खो खरीद लिया गया. 1944 में मदन मोहन मालवीय ने विक्रय पत्र पर भूखंड को खरीद लिया था. 1958 में मंदिर का शुरू हुआ निर्माण कार्य श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर के प्रशासनिक अधिकारी विजय बहादुर ने बताया कि मदन मोहन मालवीय का निधन 1946 में हो गया था. 1956 में मंदिर का रजिस्ट्रेशन पब्लिक ट्रस्ट में कराया गया था. विजय बहादुर ने आगे बताया कि 1953 में अखंदानंद सरस्वती मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष रहे. लोकसभा सांसद मंदिर ट्रस्ट के सभापति नियुक्त हुए थे. 1958 में मंदिर का निर्माण शुरू हुआ. 1962 में कृष्ण चबूतरे को नाम दिया गया. वहीं  1963 में भागवत भगवान का निर्माण कार्य हुआ और जय दयाल डालमिया का 90 फीसदी सहयोग रहा था. 1982 में मूर्तियों की हुई थी प्राण-प्रतिष्ठा श्री कृष्ण जन्मभूमि मंदिर के प्रशासनिक अधिकारी विजय बहादुर ने बताया कि 1982 में बसंत पंचमी के दिन मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा हुई थी. 1953 से 1982 तक करीब 30 वर्ष में मंदिर का निर्माण कार्य पूर्ण हुआ. उस समय भागवत भवन का निर्माण करीब डेढ करोड रुपए से पूर्ण हुआ था. संपूर्ण मंदिर परिषद का निर्माण कार्य करीब ढाई करोड़ रुपए की लागत से संपूर्ण कराया गया था. डालमिया और बिरला परिवार का सहयोग जन्मभूमि मंदिर के निर्माण कार्य में रहा है. Tags: Local18, Lord krishna, Mathura news, UP newsFIRST PUBLISHED : September 5, 2024, 19:27 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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