ISRO चीफ ने IIT-Madras से 61 साल की उम्र में पूरी की PHD जानें क्या है विषय
ISRO चीफ ने IIT-Madras से 61 साल की उम्र में पूरी की PHD जानें क्या है विषय
S Somnath IIT-Madras PHD: इसरो चीफ की लीडरशिप में ही पिछले साल भारत का चंद्रयान-3 चांद पर सफलतापूर्वक लैंड हुआ. अब आईआईटी-मद्रास ने एस. सोमनाथ को पीएजडी की डिग्री से नवाजा है. उन्होंने इसके लिए कड़ी मेहनत की थी.
नई दिल्ली. चंद्रयान-3 की सफलता के जनक इसरो चीफ एस. सोमनाथ ने अपने निजी जीवन में एक बड़ा कीर्तिमान स्थापित कर लिया है. उन्होंने 61 साल की उम्र में अपनी पीएचडी की पढ़ाई पूरी कर ली है. 61 साल की उम्र में उन्हें आईआईटी मद्रास ने दीक्षांत समारोह के दौरान शुक्रवार को यह डिग्री प्रदान की. अब एयरोस्पेस इंजीनियर और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के अध्यक्ष एस सोमनाथ को हम डॉक्टर एस. सोमनाथ के नाम से पहचानेंगे.
संस्कृत में सोमनाथ का अर्थ है ‘चंद्रमा के भगवान’. इसरो चीफ की लीडरशिप में ही पिछले साल भारत का चंद्रयान-3 चांद पर सफलतापूर्वक लैंड हुआ. एस सोमनाथ डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त करने के बाद बहुत खुश हैं. बता दें कि डॉ सोमनाथ के पास पहले से ही लगभग एक दर्जन पीएचडी की डिग्री हैं. यह डिग्रियां भारत के भारी लांचर, लॉन्च मार्क व्हीकल मार्क-3 के प्रमुख डेवलपर के रूप में उनके काम और चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास विक्रम लैंडर की पंख जैसी लैंडिंग को सफलतापूर्वक आगे बढ़ाने में उनकी भूमिका के कारण हैं.
यह पहला मौका है जब रिसर्च के माध्यम से एस. सोमनाथ को पीएचडी की डिग्री प्राप्त हुई है. यह उनके लिए एक अगल ही एहसास है और जश्न मनाने का एक बड़ा कारण भी है. डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त करने के बाद डॉ. सोमनाथ ने कहा कि आईआईटी-मद्रास जैसे प्रतिष्ठित संस्थान से डिग्री प्राप्त करना “बहुत बड़ा सम्मान एक गांव के लड़के के रूप में, भले ही मैं टॉपर था, लेकिन मेरे पास आईआईटी की प्रवेश परीक्षा देने की हिम्मत नहीं थी, लेकिन मेरा सपना था कि एक दिन मैं यहीं से स्नातक करूंगा. मैंने बेंगलुरु के प्रतिष्ठित भारतीय विज्ञान संस्थान से अपनी मास्टर डिग्री प्राप्त की और अब आईआईटी-मद्रास से पीएचडी की उपाधि प्राप्त की है.”
डॉ. सोमनाथ ने एनडीटीवी से बातचीत में कहा, “पीएचडी हमेशा मुश्किल होती है, खासकर आईआईटी-मद्रास जैसे प्रतिष्ठित संस्थान से. यह एक लंबी यात्रा रही है. मैंने कई साल पहले रजिस्ट्रेशन कराया था, लेकिन शोध विषय मेरे दिल के बहुत करीब था. यह वाइब्रेशन आइसोलेटर से संबंधित था, जिसे मैंने दशकों पहले इसरो परियोजना में एक इंजीनियर के रूप में शुरू किया था.”
Tags: IIT Madras, Space newsFIRST PUBLISHED : July 19, 2024, 17:02 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed