8 महीने में तैयार हो जाती है ये रोहू मछलीछोटे तालाब में करें पालन!

मत्स्य निरीक्षक शशांक नमन बताते हैं कि किसान कम समय में रोहू प्रजाति की जयंती नस्ल का पालन करके अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं . जयंती रोहू मछली 8 से 10 माह में ही तैयार हो जाती है, जबकि अन्य प्रजाति की मछलियां 16 से 18 महीने का समय लेती हैं.

8 महीने में तैयार हो जाती है ये रोहू मछलीछोटे तालाब में करें पालन!
रायबरेली. बदलते समय के साथ ही लोग खेती के साथ मछली पालन करके अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं. मछली पालन लोगों का एक प्रमुख कारोबार बन कर सामने आया है. मछली पालन न केवल ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार का एक महत्वपूर्ण साधन है बल्कि शहरी क्षेत्र में भी लोगों की आय दोगुनी करने का अच्छा माध्यम है.गौरतलब है कि राज्य से लेकर केंद्र सरकार तक मछली पालक किसानों को विभिन्न योजनाओं के माध्यम से लाभान्वित कर रही है. मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए सरकार सब्सिडी भी प्रदान कर रही है. परंतु मछली पालक किसानों को मछली की उन्नत प्रजातियों के बारे में जानकारी न होने के कारण उन्हें कई बार नुकसान उठाना पड़ता है. तो आइए मत्स्य निरीक्षक से जानते हैं, कि आखिर कौन सी ऐसी प्रजाति है. जो बेहद कम समय में और कम लागत में अच्छा मुनाफा देती है. 300 रुपये किलो तक है कीमत रायबरेली जिले के मत्स्य निरीक्षक शशांक नमन बताते हैं कि किसान कम समय में रोहू प्रजाति की जयंती नस्ल का पालन करके अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं . जयंती रोहू मछली 8 से 10 माह में ही तैयार हो जाती है, जबकि अन्य प्रजाति की मछलियां 16 से 18 महीने का समय लेती हैं. जयंती रोहू करीब एक से डेढ़ किलो की होती है. अच्छी प्रजाति की मछली होने के चलते जयंती रोहू को किसान 300 रुपये किलो तक बाजार में बेच सकते हैं. नहीं पड़ेगी बड़े तालाब की जरूरत शशांक नमन बताते हैं कि जयंती रोहू किस्म की मछली का पालन मुख्य रूप से आंध्र प्रदेश, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल और असम राज्य में होता है. लेकिन अब धीरे-धीरे अन्य राज्यों के मत्स्य पालक किसान भी इसका पालन करके अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं. साथ ही ये मछली औषधीय गुणों से भरपूर होती है. जो एरोमोनास रोग के लिए प्रतिरोधी मानी जाती है. इसीलिए बाजारों में इसकी मांग अधिक रहती है. रोहू का पालन करने के लिए बड़े तालाब की जरूरत नहीं होती है. यह अन्य मछलियों की तुलना में अधिक पौष्टिक होती है. ऐसे करें मछली पालन की तैयार ⦁ तालाब का चयन व तैयारी : तालाब की गहराई कम से कम 1.5 से 2 मीटर होनी चाहिए. ⦁ पानी की गुणवत्ता का ध्यान रखें.पानी का pH स्तर 6.5 से 8.5 के बीच होना चाहिए. ⦁ बीज की गुणवत्ता: अच्छी गुणवत्ता के जयंती रोहू के बीज का चयन करें.बीजों की सघनता प्रति हेक्टेयर पांच हजार से दस हजार होनी चाहिए. ⦁ खाद्य प्रबंधन: शुरूआत में मछलियों को प्रोटीन युक्त आहार दें .जलीय पौधों का भी उपयोग कर सकते हैं .⦁ स्वास्थ्य प्रबंधन: मछलियों की नियमित रूप से जांच करें.तालाब में पानी का प्रवाह बनाए रखें. ताकि बीमारियों से बचाव हो सके. Tags: Agriculture, Local18, Rae Bareli News, Trout Fish Farming, Uttar Pradesh News HindiFIRST PUBLISHED : August 2, 2024, 15:45 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed