बेहद पौराणिक है शिव का यह मंदिर यहां पांडवों ने भी की थी पूजा जानें मान्यता

मुकुट नाथ धाम अमेठी जिले के ताला गांव में स्थित है. ताला गांव में स्थित मुकुट नाथ धाम की महिमा अपार है. शताब्दी वर्ष पूर्व के समय में राजा अपने मुकुट यहां रखा करते थे और मुकुट रखकर वे पूजा पाठ कर युद्ध के लिए निकलते थे.

बेहद पौराणिक है शिव का यह मंदिर यहां पांडवों ने भी की थी पूजा जानें मान्यता
 आदित्य कृष्ण /अमेठी : भगवान शंकर का अतिप्रिय माह सावन चल रहा है. सावन माह में हर शिवालयों में जलाभिषेक के साथ शिव भक्ति की गूंज रहती है. अमेठी में शताब्दी वर्ष प्राचीन मंदिर मुकुट नाथ धाम की अपनी अनोखी मान्यता है. प्राचीन कालीन यह मंदिर बेहद खास है. कहा जाता है कि पांडवों ने भी इस मन्दिर में पूजा अर्चना कर भगवान शिव की भक्ति की थी. अमेठी के प्राचीन शिव मंदिर में भक्तों की भीड होती है और दूर दूर से भक्त यहां दर्शन पूजन करने आते हैं.  राजाओं से जुडी है कहानी मुकुट नाथ धाम अमेठी जिले के ताला गांव में स्थित है. ताला गांव में स्थित मुकुट नाथ धाम की महिमा अपार है. शताब्दी वर्ष पूर्व के समय में राजा अपने मुकुट यहां रखा करते थे और मुकुट रखकर वे पूजा पाठ कर युद्ध के लिए निकलते थे और युद्ध में विजयी हो जाते थे. इसके साथ ही सूखा और अकाल पड़ने पर यहां पूजा अर्चना करने से सब कष्ट, बाधा और समस्याएं भगवान भोलेनाथ दूर करते हैं. खंडित मूर्तियां देती हैं प्राचीनता की गवाही मंदिर में स्थापित शिवलिंग एक तरफ जहां रामेश्वरम की झलक दिखाता है, वहीं मंदिर में प्राचीन खंडित मूर्तियां मंदिर की प्राचीनता की गवाही देती है. दूर-दूर से भक्त दर्शन पूजन करने आते हैं . स्थानीय लोगों के अनुसार पहले यहां भर राजाओं का किला था और जब किला खंडहर में तब्दील हो गया तो यहां पर खुदाई के दौरान शिवलिंग मिला. फिर लाख कोशिश के बाद जब शिवलिंग जमीन से नहीं निकला तो वहीं पर राज परिवार ने इस मंदिर की स्थापना और जीणोद्धार करा दिया. अब सावन माह में बड़ी संख्या में भक्तों की भीड़ यहां पर भगवान भोलेनाथ के दरबार में अर्जी लगाने के लिए आती है. बाबा मुकुट नाथ धाम परिसर में पुराना हनुमान मंदिर, नवनिर्मित हनुमान मंदिर, नंदी महाराज व अन्य कई मंदिर भी बने हैं. इसके अलावा दुर्गा मंदिर निर्माणाधीन है. परिसर में हाई मास्टलाइट एवं श्रद्धालुओं के जलभरने के लिए टोटियां और बारादरी के साथ दो तरफ पक्का ग्राउंड बनाया गया है. श्रद्धालुओं के बैठने के लिए कुर्सियां भी बनी हैं. मंदिर के पुजारी कामतानाथ ने बताया कि यह मंदिर काफी ही पुराना है. मंदिर से लोगों की दिली आस्था जुड़ी है. बादशाहों के समय में इस मंदिर में पूजा-पाठ हुआ करती थी. मंदिर में मूर्ति स्थापित नहीं की गई बल्कि स्वयं ही मूर्ति प्रकट हुई है. गांव के विकसित होने के बाद इस मंदिर की स्थापना की गई और आज मंदिर ने विस्तार रूप ले लिया है. यहां पर रखी प्राचीन मूर्तियों से मंदिर की प्राचीनता दिखाई देती Tags: Hindi news, Local18, Religion 18, Sawan MonthFIRST PUBLISHED : August 5, 2024, 16:12 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ेंDisclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Local-18 व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.
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