यहां जेल में चल रही पाठशाला 90 साल के तक कैदी हो रहे हैं शिक्षित
यहां जेल में चल रही पाठशाला 90 साल के तक कैदी हो रहे हैं शिक्षित
Kannauj News: कन्नौज जिला कारागार की चारदीवारी के भीतर एक नई उम्मीद जगी है. 45 पुरुष और 5 महिला कैदी, जो कभी अंधेरे में जीने को मजबूर थे, आज साक्षरता की रोशनी की ओर बढ़ रहे हैं.
अंजली शर्मा/ कन्नौज. यूपी के कन्नौज जिले में जेल प्रशासन की इस पहल की सराहना हो रही है. जिन कैदियों ने कभी किताब हाथ में नहीं ली थी, आज वह बुजुर्ग होने के बाद जेल में पढ़ाई कर शिक्षित हो रहे हैं. प्रतिदिन यहां पर शिक्षा के लिए क्लास चलती है और फिर उसके बाद एग्जाम की भी प्रक्रिया होती है. ऐसे में कैदियों का अपराध की तरफ से ध्यान हटाकर उनको शिक्षा की ओर आकर्षित किया जा रहा है. जिसमें युवाओं के साथ कुछ बुजुर्ग ऐसे हैं, जो की 70 से 90 वर्ष की आयु में पढ़ाई कर रहे हैं. पढ़ाई का माहौल उनको बहुत पसंद आ रहा है. अब वह भी अंगूठे की जगह साइन करेंगे . कैदी भी जेल प्रशासन की इस कदम को लेकर तारीफ कर रहे हैं.
किस योजना के तहत शुरू हुई पहल
कन्नौज जिला कारागार की चारदीवारी के भीतर एक नई उम्मीद जगी है. 45 पुरुष और 5 महिला कैदी, जो कभी अंधेरे में जीने को मजबूर थे, आज साक्षरता की रोशनी की ओर बढ़ रहे हैं. ‘नव भारत साक्षरता परीक्षा’ ने इन कैदियों के जीवन में एक नया अध्याय जोड़ा है. ढाई महीने की मेहनत और लगन के बाद ये कैदी अब साक्षरता के शिखर पर पहुंचने के लिए तैयार हैं. जिला कारागार प्रशासन की इस सराहनीय पहल की अब तारीफ हो रही है.
क्या बोले कैदी
हाथ में कलम और मेज पर प्रश्नपत्र को हल करते हुए ये वो लोग हैं, जो किसी न किसी अपराध के चलते जेल में सजा काट रहे हैं. समाज की मुख्यधारा से दूर जा चुके इन कैदियों को फिर से मुख्यधारा से जोड़ने के लिए जिला कारागार ने इन अशिक्षित कैदियों को शिक्षित किया. अब ये शिक्षित कैदी साक्षरता की परीक्षा दे रहे हैं. परीक्षा दे रहे कैदियों में सबसे बुजुर्ग कैदी राधेश्याम जो खुद को 90 साल हैं, उन्होंने बताया कि कभी उन्होंने कलम कागज़ नहीं पकड़ा, हमेशा अपना अंगूठा लगाया, लेकिन जेल की पाठशाला में पढ़कर वह अब अपना नाम लिख लेते हैं. राधेश्याम का कहना है कि जब जेल से छूटेंगे, तो वह अपने साइन करके बाहर जायेंगे. साक्षरता की परीक्षा दे रही महिला कैदी शहनाज कहती है कि वह भी अंगूठा छाप थी, लेकिन जेल की पाठशाला में वह अब शिक्षित हो गई है. जेल से रिहा होने के बाद वह अपने बच्चों को शिक्षित करेंगी.
क्या बोले जेल अधीक्षक
कन्नौज जेल अधीक्षक मोहम्मद अकरम खान लोकल 18 से बात करते हुए बताते हैं कि वर्तमान समय में जेल अब सुधार ग्रह के रूप में तब्दील हो चुकी है. अब हमें दो उद्देश्यों पर काम करना है. एक कस्टोरिअल दूसरे रिफॉर्मर की, हमको रेफोर्मेशन के पार्ट में भी काम करना है. हमारी कोशिश रहनी चाहिए कि जो बंदी जेल में आया है, उसको कुछ ऐसा पढ़ाया जाए कुछ ऐसा सिखाया जाए कि उसकी मानसिकता में परिवर्तन हो. सोच बदले और जब जेल से बाहर निकले तो समाज में अच्छे नागरिक के रूप में समाज में शांति से रहे और मेहनत मजदूरी से ईमानदारी से रोजी रोटी कमाए. बाहर जाकर दुबारा अपराध न करे. इसी उदेश्य के तहत विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम आयोजित कर रहे हैं. इस कड़ी में हम शिक्षा और साक्षरता में विशेष बल दे रहे हैं, क्योंकि इंसान के मानसिक विकास के लिए शिक्षा और साक्षरता होना बहुत जरुरी है. निरक्षर होने के बाद भी ये कैदी बड़ी मेहनत से जेल में पढ़ रहे हैं. जेल में इस तरह के सुधारात्मक कार्य से आने वाले समय में ये कैदी अपराध से दूर रहेंगे.
Tags: Hindi news, Local18FIRST PUBLISHED : September 25, 2024, 14:47 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed