प्रेमानंद महाराज ने 8वीं तक की पढ़ाई 13 साल की उम्र में बन गए संन्‍यासी

Premanand Ji Maharaj Education: राधारानी के जन्‍मस्‍थान को लेकर प्रेमानंदजी और पंडित प्रदीप मिश्रा के बीच विवाद छिड़ गया है. चर्चा में आने के बाद लोग प्रेमानंदजी महाराज के बारे में जानना चाहते हैं, तो आइए हम आपको बताते हैं कि कितने पढ़े-लिखे हैं प्रेमानंदजी.

प्रेमानंद महाराज ने 8वीं तक की पढ़ाई 13 साल की उम्र में बन गए संन्‍यासी
Premanand Ji Maharaj: यूं तो आध्‍यात्मिक संत प्रेमानंदजी किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं, क्योंकि उनके प्रवचन सोशल मीडिया पर तैरते रहते हैं, लेकिन इन दिनों वह दूसरे कारणों से चर्चा में हैं. दरअसल, राधारानी का जन्‍म बरसाना में हुआ या कहीं और, इसको लेकर प्रेमानंदजी महाराज और पंडित प्रदीप मिश्रा के बीच लगातार बयानबाजी हो रही है. जिसके बाद प्रेमानंदजी एक बार फिर चर्चा में हैं. दरअसल, प्रेमानंद जी महाराज के बारे में बहुत कम लोग जानते होंगे कि वह उत्तर प्रदेश के कानपुर के रहने वाले हैं. प्रेमानंद महाराज का जन्‍म कानपुर के सरसौल ब्लॉक के अखरी गांव में हुआ था. प्रेमानंदजी का जन्‍म एक साधारण परिवार में ही हुआ. उनके परिवार में शुरू से पूजा-पाठ का माहौल रहा. उनके पिता भी धार्मिक आस्‍था वाले व्‍यक्‍ति थे. प्रेमानंदजी के बचपन का नाम अनिरुद्ध कुमार पांडे था. इनके पिता शंभू पांडे और माता रामा देवी थी. प्रेमानंद जी के दादाजी ने भी संन्यास ग्रहण किया था. Premanand Ji Maharaj education:8वीं तक की पढ़ाई प्रेमानंद महाराज की पढ़ाई-लिखाई गांव से ही हुई. परिवार में पूजा-पाठ और अन्‍य धार्मिक कार्य होने के कारण उनका भी रुझान आध्‍यात्‍म की तरफ होने लगा. लिहाजा, वह भी पांचवीं क्‍लास से ही पिता के साथ पूजा-पाठ में जुड़ गए. पढ़ाई चलती रही, लेकिन आठवीं के बाद जब वह 9वीं क्‍लास में पहुंचे, तो उन्‍होंने पूरी तरह से आध्‍यात्मिक जीवन जीने का निर्णय लिया, हालांकि यह आसान नहीं था. उन्‍होंने अपने इस फैसले से घरवालों को अवगत कराया. सबसे कठिन था मां को समझाना, लेकिन वह इस कार्य में भी सफल रहे. इस तरह महज 13 साल की उम्र में ही उन्‍होंने घर त्‍याग दिया और भगवत भक्‍ति में लीन हो गए. Premanand Ji Maharaj life: गंगाजल पीकर काटे दिन घर से निकलने के बाद प्रेमानंद महाराज का अधिकांश समय गंगा के किनारे बीता. वह संन्‍यासी के रूप में गंगा के घाटों पर घूमते रहे. गंगा किनारे ही वह रहते। किसी ने खाना दे दिया तो खा लिया, वरना गंगाजल पीकर रह जाते थे. उन्‍होंने गंगा को अपनी दूसरी मां मान लिया, इसलिए उन्होंने वाराणसी से लेकर हरिद्वार के गंगा घाटों पर भी अपना समय व्‍यतीत किया. ये भी पढ़ें छेड़खानी करने वाले को भरे बाजार में पीटा, बाद में बनी देश की पहली महिला IPS Success Story: सैनिक स्‍कूल के दो दोस्‍तों ने संभाला मोर्चा, एक बना थलसेना अध्‍यक्ष, दूसरा नौसेना का प्रमुख प्रेमानंद महाराज कैसे पहुंचे वृंदावन? प्रेमानंद की मुलाकात एक संत से हुई, जिन्‍होंने उन्‍हें रासलीला देखने के लिए वृंदावन आने को कहा, लेकिन वह इनकार कर गए. काफी आग्रह पर जब वह वृंदावन पहुंचे तो रासलीला और चैतन्य लीला देखकर उनका मन वही रम गया. एक महीने बाद जब दोनों लीलाएं खत्‍म हुईं, तो वह वहां से लौट गए, लेकिन उनके मन में चैतन्य लीला और रासलीला के प्रति लगाव पैदा हो गया. जिसके बाद प्रेमानंद ने उस संत से आग्रह किया, तो उन्‍होंने उन्‍हें वृंदावन आकर बस जाने की सलाह दी, जिसके बाद वह उसी संत की सेवा करने लगे और वृंदावन में रहने लगे. Tags: Education, Education news, Job and career, Sadhu SantFIRST PUBLISHED : June 13, 2024, 18:44 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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