क्या बॉलीवुड फिल्मों की तरह सच में बदला लेती है नागिन क्या कहता है विज्ञान
क्या बॉलीवुड फिल्मों की तरह सच में बदला लेती है नागिन क्या कहता है विज्ञान
बॉलीवुड की बहुत सी फिल्में नाग-नागिन के बदले पर आधारित बनाई गई है. लगभग सभी कहानियों में नागिन को बदला लेते हुए दिखाया गया है.एक पुरानी धारणा है कि अगर नाग को मारा जाए, तो उसकी आंखों में मारने वाले की तस्वीर छप जाती है. बाद में उसका नागिन अपने पार्टनर की मौत का बदला ज़रूर लेती है
शाहजहांपुर: भारत में नाग -नागिन को लेकर एक पुरानी धारणा है कि अगर नाग को मारा जाए, तो उसकी आंखों में मारने वाले की तस्वीर छप जाती है. बाद में उसका नागिन अपने पार्टनर की मौत का बदला ज़रूर लेती है. बॉलीवुड फिल्मों ने इस वहम को और मजबूत किया. यही वजह है कि आज भी नाग-नागिन को मारने के बाद उसका सिर पूरी तरह कुचल दिया जाता है. बॉलीवुड की बहुत सी फिल्में नाग-नागिन के बदले पर आधारित बनाई गई है. लगभग सभी कहानियों में नागिन को बदला लेते हुए दिखाया गया है.
एक लोकप्रिय कहानी के अनुसार एक नाग और एक नागिन बहुत प्यार करते थे. वे जंगल में एक साथ रहते थे. एक दिन एक लकड़हारे ने नाग को मार दिया. नागिन को जब इस बात का पता चला तो वह बहुत दुखी हुई. उसने लकड़हारे से बदला लेने की ठान ली. रात के अंधेरे में, नागिन लकड़हारे के घर पहुंची और उसे काट लिया. लकड़हारा तड़प-तड़प कर मर गया. लेकिन नागिन द्वारा बदला लेने की कहानी को विज्ञान ठीक इससे उलट बताता है.
आंख में तस्वीर बनने का सच
मिशन स्नेक डेथ फ्री इंडिया के कोऑर्डिनेटर डॉ. आशीष त्रिपाठी ने बताया कि नाग- नागिन द्वारा बदला लेने की कहानी विज्ञान के मुताबिक किसी भी एंगल से फिट नहीं बैठती. डॉ आशीष त्रिपाठी का कहना है कि नाग या नागिन की आंख में किसी तरह की कोई इमेज स्टोर नहीं होती, नागिन द्वारा बदला लेने की कहानी मनगढ़ंत है. इसके पीछे वैज्ञानिक कारण है.
मरते वक्त फेरोमोंस रिलीज करता है नाग
डॉ. आशीष त्रिपाठी ने बताया कि सांप या फिर अन्य जीव जंतुओं के शरीर में फेरोमोंस पाए जाते हैं. (फैरोमोन जानवरों द्वारा छोड़े जाने वाले रासायनिक संकेत होते हैं) नाग-नागिन के बदला लेने की कहानी के पीछे भी फेरोमोंस ही काम करते हैं. दरअसल जब नाग या फिर नागिन को मारा जाता है तो उस दौरान नाग या नागिन यूरिन करता है, खास तरह के फेरोमोंस रिलीज करता है. जिंदा रहने के वक्त फेरोमोंस अलग होते हैं और मरने के बाद अलग तरह के फेरोमोंस रिलीज होते हैं. मरते वक्त दर्द से कराह रहा नाग जो फेरोमोंस छोड़ता है. उसके बाद वहां नाग या नागिन पहुंचती है तो वह फेरोमोंस को सूंघकर इस बात का अंदाजा लगा लेती है कि यहां हमारे किसी साथी को मारा गया है.
कैसे काम करते हैं फेरोमोंस?
डॉ. आशीष त्रिपाठी ने बताया कि मरे हुए नाग के फेरोमोंस को महसूस करने के बाद नागिन बेहद आक्रोशित हो जाती है और बदला लेने के लिए निकल देती है. ऐसे में उसके सामने जो भी इंसान आ जाता है, नागिन उसको डस कर मारने की कोशिश करती है. इसके पीछे वजह यह भी है कि नाग या नागिन उस क्षेत्र में खुद को असुरक्षित महसूस करने लगता है. जिसकी वजह से भी वह सामने वाले इंसान को निशाना बना लेती है.
जलाने के बाद भी नहीं मिटता सबूत
डॉ. आशीष त्रिपाठी ने बताया कि नाग या नागिन को मारने के बाद आमतौर पर लोग कहते हैं कि इसको गाड़ दिया जाए या जला दें. ऐसा करने के बाद भी घटनास्थल पर फेरोमोंस मौजूद रहते हैं. जिनको नाग या नागिन सूंघ कर इस बात का पता लगा लेती है कि यहां उनके किसी साथी को मारा गया है.
Tags: Local18, Shahjahanpur News, Uttar Pradesh News HindiFIRST PUBLISHED : August 17, 2024, 14:20 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed