ऐसे तैयार होता है अखाड़े की मिट्‌टी इन बातों का रखा जाता है ख्याल

प्रयागराज स्थित लोकनाथ अखाड़े से प्रदेश के दो नामी पहलवान हुए. जिसमें देवकीनंदन पांडेय और पप्पू पहलवान को उत्तर प्रदेश केसरी तक का सम्मान मिला. वही प्रयागराज जिला के चैंपियन रहे भोलानाथ पांडे को राष्ट्रीय स्तर की कुश्ती में चांदी का गदा मिला था. आज भी इस अखाड़े में चांदी के गदे की पूजा के बाद ही दंगल का शुभारंभ होता है.

ऐसे तैयार होता है अखाड़े की मिट्‌टी इन बातों का रखा जाता है ख्याल
प्रयागराज. वैसे तो अब अखाड़े पर की जाने वाली कसरत मिट्टी से निकलकर वातानुकूलित जिम वाले कमरे तक पहुंच गई है. मिट्टी की गर्मी से निकलने वाला पसीना अब एक एसी कमरे वाले जिम में छिप जाता है. लेकिन, आज भी कुछ ऐसे माटी के पहलवान हैं, जो मिट्‌टी के अखाड़े में रेसलिंग करते हुए देखे जाते हैं. आज भी कुछ प्रमुख त्योहारों पर विराट दंगल समारोह का आयोजन होता है और अखाड़े में जोर आजमाइश देखने को मिलती है. प्रयागराज के कुछ अखाड़े में आज भी कुश्ती जिंदा है. सिमटता जा रहा है कुश्ती का दायरा प्रयागराज वैसे तो पहले कुश्ती के लिए ही जाना जाता था. यहां से कई बड़े पहलवान निकलकर देश में अपना नाम रोशन किया. लेकिन, धीरे-धीरे इसका दायरा काम होता गया. हालांकि प्रमुख्य त्योहारों के दौरान प्रयागराज के लोकनाथ, झूसी, दारागंज एवं चमेली अखाड़े में पहलवानों को जोर आजमाइश करते हुए दिख जाएंगे. इन अखाडों में प्रयागराज, प्रतापगढ़, बनारस, सुल्तानपुर, कौशांबी के पहलवान दांव-पेंच लगाते हुए एक-दूसरे के पटखनी देने के लिए ताकत लगाते हैं. ये है लोकनाथ अखाड़े का इतिहास प्रयागराज में स्थित लोकनाथ अखाड़े से प्रदेश के दो नामी पहलवान हुए. जिसमें देवकी नंदन पांडेय और पप्पू पहलवान शामिल हैं. इनको उत्तर प्रदेश केसरी तक का सम्मान मिला है. वही प्रयागराज जिला के चैंपियन रहे भोलानाथ पांडे को राष्ट्रीय स्तर की कुश्ती में चांदी का गदा मिला था. आज भी इस अखाड़े में नाग पंचमी के अवसर पर चांदी के गदे की पूजा के बाद ही दंगल का शुभारंभ होता है. प्रयागराज को कुश्ती का माना जाता था गढ़  जिला कुश्ती संघ के अध्यक्ष मुकेश यादव प्रयागराज के अतीत को याद करते हुए लोकल 18 को बताया कि एक समय था जब प्रयागराज उत्तर प्रदेश में कुश्ती का गढ़ हुआ करता था. यहां गामा जैसे अंतरराष्ट्रीय पहलवान दो महीने तक अभ्यास करने आते थे. वहीं जगदीश रमन, गुरु हनुमान, चंदगी राम, विद्यासागर, भोलाराम जैसे पहलवान दंगल करने आया करते थे. लेकिन, आज यह कुश्ती मिट्टी से निकलकर मैट पर सिमट गई है. इस अखाड़े की स्थापना 1947 में देश की आजादी के हीरो रहे छन्नन गुरु ने किया था. तब से यहां से सैकड़ों पहलवान निकल चुके हैं. ऐसे तैयार करते हैं अखाड़े की मिट्टी मुकेश यादव ने बताया कि अखाड़े की मिट्टी तैयार करना इतना आसान नहीं होता. यहां पहले मिट्टी को खूब बारीक करने के बाद छानना पड़ता है. इसके बाद मिट्टी को नरम करने के लिए इसमें पानी का छिड़काव किया जाता है. इतना होने के बाद इस मिट्टी में माथा, नीम का पत्ती, दूध एवं हल्दी को मिक्स कर मिलाया जाता है. ताकि पहलवानों के शरीर में किसी प्रकार की कोई स्वास्थ्य चुनौती ना उत्पन्न हो. Tags: Local18, Prayagraj News, Uttarpradesh news, Wrestling Federation of IndiaFIRST PUBLISHED : August 17, 2024, 14:14 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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