40 दिनों तक दर्शन के बाद पूरी होती हैं सभी मनोकामनाएं!

सुबह 4:30 बजे से ही भक्त आने लगते हैं. पहले चबूतरे पर शिव जी की स्थापना की गई थी. गंगा के किनारे पर राजा द्रुपद का किला हुआ करता था और वहीं ऋषि धौम्य का आश्रम भी था.

40 दिनों तक दर्शन के बाद पूरी होती हैं सभी मनोकामनाएं!
फर्रुखाबाद: विविधताओं से भरा देश भारत, जहां हर जगह कहीं न कहीं ऐसे मंदिर हैं जिनका इतिहास काफी प्राचीन रहा है. उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद जिले में स्थित पांडेश्वर नाथ मंदिर भी ऐसा ही एक मंदिर है, जो रेलवे स्टेशन मार्ग पर स्थित है. इस मंदिर की स्थापना महाभारत काल के दौरान माता कुंती द्वारा शिवजी की स्थापना से जुड़ी हुई मानी जाती है. इतिहास और मान्यता सदियों पहले, जब फर्रुखाबाद की स्थापना नहीं हुई थी, तब इस क्षेत्र में बड़े रकबे में जंगल हुआ करते थे. ऐसे समय का यहां पर प्राचीन पीपल का पेड़ मौजूद है, जिसके पास एक चबूतरे पर पांडवों द्वारा शिव ज्योतिर्लिंग स्थापित किया गया था. विशेष मान्यता और आशीर्वाद मंदिर के महंत बताते हैं कि जो भी सच्चे मन से आराध्या शिव के दरबार में आकर लगातार 40 दिन विधि-विधान से पूजा-अर्चना करता है, तो 41वें दिन उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. पंडित गोपाल शर्मा के अनुसार पांडेश्वर नाथ मंदिर के महंत गोपाल शर्मा ने बताया कि इस मंदिर की स्थापना उस समय हुई जब पांडव वनवास के लिए गए थे. तब यहां जंगलों के पास कुम्हारों की बस्ती हुआ करती थी. वहीं पर माता कुंती के साथ पांचों पांडव रहने आए थे. उस दौरान माता कुंती ने अपने पुत्रों से कहा कि जिस कारण हम इतने कष्ट काट रहे हैं, हमें शिव जी की आराधना करनी है. इसलिए हमें शिवलिंग की जरूरत है. पांचों पांडव अलग-अलग दिशाओं में शिवलिंग की खोज में गए और जब वे लौटे, तो सबसे पहले युधिष्ठिर शिवलिंग लेकर आए. इसे धौम्य ऋषि द्वारा पांडवों के सामने ही स्थापित किया गया. इसी शिवलिंग को आज हम पांडेश्वर नाथ मंदिर के नाम से जानते हैं. भीमसेन द्वारा लाए गए शिवलिंग को गंगा जी के किनारे स्थापित किया गया, अर्जुन द्वारा लाए गए शिवलिंग को तामेश्वर नाथ के नाम से जाना जाता है, नकुल के द्वारा लाए गए शिवलिंग को कोतवालेश्वर नाम से और सहदेव द्वारा लाए गए शिवलिंग को कंपिल में स्थापित किया गया. स्थापना के समय से अब तक स्थापना के समय से अब तक भक्तगण यहां आते हैं. सुबह 4:30 बजे से ही भक्त आने लगते हैं. पहले चबूतरे पर शिव जी की स्थापना की गई थी. गंगा के किनारे पर राजा द्रुपद का किला हुआ करता था और वहीं ऋषि धौम्य का आश्रम भी था. पांडवों ने यहां काफी समय व्यतीत किया था. मंदिर परिसर में स्थित तीन कुएं उस समय पानी की जरूरत को पूरा करते थे. आज भी क्षेत्र के लोग पांचाल नगरी पहुंचकर मां गंगा से जल भरकर लाते हैं और पांडेश्वर नाथ मंदिर में रुद्राभिषेक करते हैं. यहां प्रतिदिन हजारों की संख्या में भक्त आते हैं और मान्यताओं के अनुसार, शिवजी उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं. सावन के दौरान विशेष भक्ति सावन के इन दिनों में आसपास के कई प्रदेशों से लोग यहां आ रहे हैं. सुबह से लेकर देर रात तक महादेव की भक्ति, पूजा-अर्चना होती रहती है. महिलाएं भी पूजा के साथ-साथ विशेष भक्ति कीर्तन का आयोजन करती हैं. यही कारण है कि यहां पर शिवजी की भक्ति की विशेष रसधारा बह रही है. Tags: Local18, Religion 18FIRST PUBLISHED : July 30, 2024, 09:53 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ेंDisclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Local-18 व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed