चांद पर जहां भारत ने रचा इतिहास वहां अब क्या करने पहुंचा का चीन का चंद्रयान
चांद पर जहां भारत ने रचा इतिहास वहां अब क्या करने पहुंचा का चीन का चंद्रयान
China Moon Mission: चांद पर जहां भारत के चंद्रयान-3 ने झंडे गाड़े थे, अब वहां चीन भी पहुंच गया है. जी हां, चांद के साउथ पोल पर अब चीन लैंड कर गया है, जहां भारत ने सबसे पहले पहुंचकर दुनिया में इतिहास रचा था. चीन का मून अंतरिक्ष यान रविवार को चंद्रमा के एक सुदूर हिस्से में उतर गया.
बीजिंग: चांद पर जहां भारत के चंद्रयान-3 ने झंडे गाड़े थे, अब वहां चीन भी पहुंच गया है. जी हां, चांद के साउथ पोल पर अब चीन लैंड कर गया है, जहां भारत ने सबसे पहले पहुंचकर दुनिया में इतिहास रचा था. चीन का मून अंतरिक्ष यान रविवार को चंद्रमा के एक सुदूर हिस्से में उतर गया. चीन का यह ‘चंद्रयान’ मिट्टी और चट्टान के नमूने एकत्रित करने के लिए भेजा गया है. यह चीन का अपनी तरह का पहला प्रयास है. बता दें कि पिछले साल अगस्त में भारत के चंद्रयान-3 ने चंद्रमा के साउथ पोल पर लैंड कर इतिहास रच दिया था. इसके बाद भारत चांद के साउथ पोल पर लैंड करने वाला दुनिया का पहला देश बन गया था.
अब चीन ने अभी अपना चंद्रयान वहां भेज दिया है. चीन के राष्ट्रीय अंतरिक्ष प्रशासन के अनुसार, चांग’ए-6 मानव इतिहास में पहली बार दक्षिणी ध्रुव-एटकेन बेसिन नामक एक विशाल गड्ढे में बीजिंग के स्थानीय समयानुसार, सुबह छह बजकर 23 मिनट पर उतरा. ये सैंपल चंद्रमा के कम खोजे गए क्षेत्र और अच्छी तरह ज्ञात इसके निकटतम भाग के बीच अंतर के बारे में जानकारियां उपलब्ध करा सकते हैं. चंद्रमा का निकटतम भाग चंद्र गोलार्ध है, जो हमेशा सुदूर भाग के विपरीत यानी पृथ्वी की ओर होता है. चांग’ए-6 में एक ऑर्बिटर, एक रिटर्नर, एक लैंडर और एक आरोहक है. इस मिशन का नाम चीन की पौराणिक चंद्रमा देवी के नाम पर रखा गया है.
यह चीन का पहला प्रयास
सरकारी समाचार एजेंसी ‘शिन्हुआ’ ने बताया कि सबसे जटिल प्रयास में से एक चंद्रमा की सतह पर उतरने के लिए बाधाओं का पता लगाने के लिए एक स्वायत्त दृश्य बाधा निवारण प्रणाली का इस्तेमाल किया गया. एक लाइट कैमरा ने चंद्रमा की सतह पर उजाले और अंधेरे के आधार पर अपेक्षाकृत सुरक्षित उतरने के लिए एक स्थान का चयन किया. चांग’ए-6 मिशन को चंद्रमा के सुदूर हिस्से से नमूने एकत्रित करके लौटने का जिम्मा दिया गया है जो अपने आप में पहला प्रयास है.
भारत ने रचा था इतिहास
भारत पिछले साल चंद्रमा के कम खोजे गए दक्षिणी ध्रुव हिस्से के समीप उतरने वाला पहला देश बन गया था. प्रज्ञान रोवर को लेकर जा रहा उसका चंद्रयान-3 का लैंडर वहां सफलतापूर्वक उतरा था. चंद्रमा के सुदूर क्षेत्र तक मिशन भेजना ज्यादा मुश्किल है क्योंकि यह पृथ्वी के सामने नहीं होता जिसके कारण संचार बनाए रखने के लिए रिले उपग्रह की आवश्यकता होती है. साथ ही यह हिस्सा अधिक उबड़-खाबड़ है जहां लैंडर के उतरने के लिए बहुत ही कम समतल भूमि है.
पाकिस्तान भी पहुंचा चांद पर
चांग’ए-6 के चंद्रमा पर उतरने के बाद दो दिन के भीतर उसे नमूने एकत्र करना है. उसने चंद्रमा से नमूने एकत्रित करने के लिए दो पद्धतियां अपनाई हैं, जिसमें उपसतह के नमूने एकत्रित करने लिए ड्रिल का इस्तेमाल करना और रोबोट के जरिए सतर से नमूने एकत्रित करना शामिल है. यह पहली बार है जब चीन ने अपने चंद्र मिशन में सहयोगी देश पाकिस्तान के एक ऑर्बिटर को शामिल किया है. इससे पहले 2020 में चांग’ए 5 ने भी चंद्रमा के निकटतम भाग से नमूने एकत्रित किए थे.
चीन का क्या है फ्यूचर प्लान?
चीन का भविष्य में चंद्रमा पर एक चंद्र स्टेशन स्थापित करने की भी योजना है. चांग’ए-6 कार्यक्रम अमेरिका और जापान तथा भारत समेत अन्य देशों के साथ बढ़ती प्रतिद्वंद्विता के बीच शुरू किया गया है. चीन ने अंतरिक्ष में अपना खुद का अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित किया है और वह वहां नियमित रूप से चालक दल के सदस्यों को भेजता रहता है. प्रमुख अंतरिक्ष शक्ति के रूप में उभरे चीन ने पहले भी चंद्रमा पर मानवरहित अभियान भेजे हैं जिनमें एक रोवर भेजना भी शामिल है। चीन ने मंगल ग्रह पर भी एक रोवर भेजा है और एक अंतरिक्ष स्टेशन बनाया है जो अभी काम कर रहा है. चीन का उद्देश्य 2030 से पहले चंद्रमा पर एक मनुष्य को भेजना है जिससे वह अमेरिका के बाद ऐसा करने वाला दूसरा देश बन जाएगा. अमेरिका 50 साल से अधिक समय बाद पहली बार चंद्रमा पर फिर से अंतरिक्ष यात्रियों को भेजने की योजना बना रहा है.
Tags: China, China Space, Mission MoonFIRST PUBLISHED : June 3, 2024, 13:46 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed