Election Report: हिमाचल प्रदेश में हर 5 साल में बदलती रही सरकार क्या इस बार सच में बदल सकेगा रिवाज
Election Report: हिमाचल प्रदेश में हर 5 साल में बदलती रही सरकार क्या इस बार सच में बदल सकेगा रिवाज
हिमाचल प्रदेश में चुनाव के तारीखों के ऐलान के बाद से चुनावी बिगुल बज चुका है. एक तरफ भाजपा तो दूसरी तरफ कांग्रेस लगातार जनता को लुभाने में जुटी हुई है. वहीं इस बार के चुनाव में आम आदमी पार्टी भी कूद चुकी है तो हिमाचल की राजनीतिक लड़ाई त्रिकोणीय हो चली है.
हाइलाइट्सहिमाचल प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए 12 नवंबर को मतदान किये जाएंगे.हिमाचल प्रदेश में इस बार भाजपा और कांग्रेस के साथ आम आदमी पार्टी भी चुनाव लड़ रही है.सभी राजनीतिक दलों ने जनता को लुभाने के लिए चुनावी घोषणा पत्र जारी कर दिया है.
शिमला. हिमाचल प्रदेश में चुनाव के तारीखों के ऐलान के बाद से चुनावी बिगुल बज चुका है. एक तरफ भाजपा तो दूसरी तरफ कांग्रेस लगातार जनता को लुभाने में जुटी हुई है. वहीं इस बार के चुनाव में आम आदमी पार्टी भी कूद चुकी है तो हिमाचल की राजनीतिक लड़ाई त्रिकोणीय हो चली है. 12 नवंबर को मतदान होगा तो वहीं 8 दिसंबर को नतीजे सामने आएंगे. कांग्रेस ‘हिमाचल का संकल्प, कांग्रेस ही विकल्प’ पर अपने अभियान का निर्माण करने की कोशिश कर रही है, वहीं सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी हिमाचल के लोगों को ‘राज नहीं, रियाज बदलेंगे’ का नारा दे चुकी है. बता दें कि साल 1985 के बाद से ‘देवभूमि’ ने कोई सरकार नहीं दोहराई लेकिन सवाल यह है कि क्या बीजेपी इस बार भी उत्तराखंड की तरह हिमाचल प्रदेश में इस बार ट्रेंड बदलेगी?
1985 से कांग्रेस, भाजपा को बारी-बारी से मिला मौका
1985 में, कांग्रेस ने 68 विधानसभा सीटों में से 58 पर जीत हासिल की, जबकि भाजपा को सात सीटें मिलीं. वीरभद्र सिंह को हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में नियुक्त किया गया था. प्रचंड जीत के पांच साल बाद, कांग्रेस 1990 के चुनावों में भाजपा को 46 सीटें जीतने के साथ दूसरा कार्यकाल हासिल करने में विफल रही. वीरभद्र सिंह की जगह बीजेपी के शांता कुमार आए. हालांकि, उनका कार्यकाल पांच साल तक नहीं चल सका क्योंकि 1992 में बाबरी विध्वंस के बाद राष्ट्रपति शासन लगाया गया था.
1993 में फिर लौटी कांग्रेस
फिर जब 1993 में विधानसभा चुनाव हुए, तो कांग्रेस 52 सीटें जीतकर सत्ता में लौटी और वीरभद्र सिंह मुख्यमंत्री के रूप में दूसरी बार सत्ता में आए. 1998 के चुनावों में कांग्रेस और भाजपा ने 31-31 सीटें जीतीं लेकिन भगवा पार्टी ने हिमाचल विकास कांग्रेस की मदद से सरकार बनाई. इस बार प्रेम कुमार धूमल को मुख्यमंत्री बनाया गया.
2017 में भाजपा ने की वापसी
2003 के विधानसभा चुनाव में भी यही पैटर्न जारी रहा जब कांग्रेस ने 43 सीटें जीतकर सत्ता में वापसी की और वीरभद्र सिंह को मुख्यमंत्री बनाया गया. 2007 के चुनाव में बीजेपी ने 41 सीटों पर फिर से कब्जा कर लिया. साल 2012 में, कांग्रेस ने 36 विधायकों के साथ सरकार बनाई, जबकि भाजपा ने 2017 के चुनाव में 44 सीटें जीतकर दो-तिहाई बहुमत हासिल किया.
आप की राह पर चल रही है कांग्रेस?
कांग्रेस सत्ता विरोधी लहर, महंगाई और बेरोजगारी जैसे मुद्दों और पहाड़ी राज्य में वापसी के लिए पार्टी के दिग्गज नेता वीरभद्र सिंह की विरासत पर अपनी उम्मीदें टिका रही है. कांग्रेस के पांच प्रमुख वादों का उद्देश्य मतदाताओं को लुभाना है, जिसे भाजपा में कुछ लोग “आप-शैली की रेवड़ी राजनीति” कह रहे हैं. 48 प्रतिशत मतदाताओं को लुभाने के लिए, कांग्रेस ने 18 से 60 वर्ष की आयु की महिलाओं के लिए 1,500 रुपये प्रति माह का एक बड़ा वादा किया है. साथ ही कुल 300 यूनिट मुफ्त बिजली की भी पेशकश की जा रही है.
पीएम मोदी की लोकप्रियता पर पार्टी को भरोसा
दूसरी ओर, भाजपा ने समान नागरिक संहिता (यूसीसी), सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण और विभिन्न क्षेत्रों के लिए छूट का वादा किया है. पार्टी ने महिलाओं के लिए एक अलग घोषणापत्र भी जारी किया. कक्षा छह से 12 वीं तक की छात्राओं के लिए साइकिल और उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाली लड़कियों के लिए स्कूटर और पांच नए मेडिकल कॉलेज अगर उनकी पार्टी सत्ता में बनी रही तो बनाए जाएंगे. भाजपा पीएम नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता पर भी भरोसा कर रही है जो मतदान से पहले कई रैलियों को भी संबोधित करेंगे.
आम आदमी पार्टी ने मुकाबले को बनाया त्रिकोणीय
दशकों से, हिमाचल में भाजपा और कांग्रेस के बीच मुकाबला रहा है. लेकिन इस बार आम आदमी पार्टी के मैदान में प्रवेश के साथ मुकाबला त्रिकोणीय होने की संभावना है. हालांकि, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा कि हिमाचल प्रदेश के सभी 68 निर्वाचन क्षेत्रों में आप की जमानत जब्त हो जाएगी. पंजाब में जीत से उत्साहित आप गुजरात और हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव लड़ रही है. आप प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने पहाड़ी राज्य के कई दौरे किए हैं, जिसने कई दशकों तक केवल भाजपा और कांग्रेस को चुना है.
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Tags: Assembly election, Himachal Pradesh Assembly ElectionFIRST PUBLISHED : November 07, 2022, 19:38 IST