क्या है निपाह वायरस और केरल में ही क्यों फैल रहा क्यों नहीं बनी इसकी वैक्सीन
क्या है निपाह वायरस और केरल में ही क्यों फैल रहा क्यों नहीं बनी इसकी वैक्सीन
Nipah Virus in Kerala: निपाह वायरस पहली बार साल 1998-1999 मलेशिया और सिंगापुर में पालतू सूअरों में देखा गया. उस वक्त इस बीमारी को जड़ से खत्म करने के लिए करीबन 10 लाख सूअरों को मार दिया गया था.
केरल में निपाह वायरस (Nipah Virus) से संक्रमित 14 साल के किशोर की मौत हो गई. राज्य की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने इसकी पुष्टि की है. उन्होंने बताया कि निपाह से संक्रमित लड़के का इलाज कोझिकोड में चल रहा था. 21 जुलाई को हार्ट अटैक के चलते उसकी जान चली गई. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक लड़के को 20 जुलाई को निपाह पॉजिटिव पाया गया था और उसे कोझिकोड मेडिकल कॉलेज में एडमिट कराया गया था. उसे मोनोक्लोनल एंटीबॉडी का डोज दिया जाना था. दवा जब तक पुणे से कोझिकोड पहुंचती, उससे पहले ही उसकी जान चली गई.
अब राज्य सरकार उन सभी लोगों तक पहुंचने की कोशिश कर रही है, जो संक्रमित लड़के के संपर्क में आए थे. इस बीच केंद्र सरकार की एक टीम भी कोझिकोड पहुंच गई है. केरल सरकार के मुताबिक राज्य में अब तक कुल 3 पॉजिटिव केस आ चुके हैं. कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग में 77 लोग ऐसे मिले हैं, जिन्हें हाई रिस्क कैटेगरी में रखा गया है. इन सबको क्वारंटीन कर दिया गया है.
क्या है निपाह वायरस? (What is Nipah Virus)
निपाह वायरस (Nipah Virus) एक संक्रामक रोग है, जो पहली बार साल 1998-1999 मलेशिया और सिंगापुर में पालतू सूअरों में देखा गया. उस वक्त इस बीमारी को जड़ से खत्म करने के लिए करीबन 10 लाख सूअरों को मार दिया गया था. पर बीमारी रुकी नहीं. सूअरों के जरिए यह बीमारी इंसानों में फैली. साल 2001 में बांग्लादेश में बड़े पैमाने पर लोग निपाह वायरस की चपेट में आए. इन लोगों ने खजूर के पेड़ से निकलने वाला ताड़ी पी थी. वैज्ञानिकों के मुताबिक खजूर के पेड़ तक वायरस चमगादड़ों के जरिए पहुंचा, जिसे ‘फ्रूट बैट’ भी कहा जाता है.
चर्चित वायरोलॉजिस्ट और बीआर अंबेडकर सेंटर फॉर बायोमेडिकल रिसर्च के डायरेक्टर प्रो. सुनीत सिंह hindi.news18.com से कहते हैं कि चमगादड़ या फ्रूट बैट निपाह वायरस के सबसे बड़े वाहक हैं. ये किसी फल को चखते हैं, उसमें दांत लगा देते हैं तो उसके जरिये निपाह इंसानों तक पहुंचता है. फ्रूट बैट के सलाइवा और यूरिन से भी वायरस फैलता है. प्रो. सिंह कहते हैं कि निपाह जानवरों से इंसानों में तो फैलता ही है. इंसानों से भी इंसानों में फैलता है. अगर कोई व्यक्ति निपाह संक्रमित मरीज के क्लोज कांटेक्ट में है तो उसे संक्रमण होने की आशंका बढ़ जाती है.
केरल में ही क्यों फैल रहा ये वायरस?
प्रो. सुनीत सिंह कहते हैं कि केरल में बड़े पैमाने पर खजूर की खेती होती, जो चमगादड़ों का पसंदीदा. चमगादड़ खजूर का फल खाते हैं, उसमें दांत लगाते हैं, सलाइवा या यूरिन करते हैं तो ये संक्रमित हो सकता है. यह फल कोई दूसरा जानवर या इंसान खा ले तो उसका निपाह संक्रमित होना तय है.
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क्या हैं निपाह वायरस के लक्षण?
नोएडा के फेलिक्स हॉस्पिटल के चेयरमैन डॉ. डीके गुप्ता hindi.news18.com से कहते हैं कि निपाह वायरस शुरू में असिम्प्टोटिक होता है. यानी इसके कोई लक्षण नहीं दिखते. 3-4 दिन के अंदर बुखार, उल्टी, सांस लेने में परेशानी जैसे लक्षण दिखने लगते हैं. शुरुआती लक्षण वायरल बुखार जैसे नजर आते हैं, लेकिन यह इतना खतरनाक है कि तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करता है. इंसेफेलाइटिस तक हो सकता है. अगर समय पर इलाज ना मिले तो मरीज कोमा में भी जा सकता है. वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन के मुताबिक निपाह वायरस से मौत का अनुपात 40 से 75 फ़ीसदी के आसपास है.
बचाव के लिए क्या करना चाहिए फल-सब्जियों को अच्छे से धोकर खाएं ताड़ी या कच्चा खजूर खाने से बचें. खाएं भी तो अच्छे से साफकर पालतू सूअरों के संपर्क में आने से बचें. फॉर्म पर जाएं तो मास्क लगाकर रखें हाथ को लगातार अच्छे तरीके से साबुन से साफ करें निपाह संक्रमित मरीज के क्लोज कांटेक्ट से बचें
क्यों नहीं बन सकी वैक्सीन?
निपाह वायरस की अभी तक कोई दवा या वैक्सीन नहीं बनाई जा सकी है. WHO के मुताबिक अभी तक न तो जानवरों और न ही इंसानों के लिए निपाह वायरस की कोई वैक्सीन डेवलप की जा सकी है. निपाह से संक्रमित मरीजों को सपोर्टिव मेडिसिन दी जाती है, जो लक्षणों का असर काम करता है. प्रो. सुनीत सिंह कहते हैं कि निपाह वायरस ज्यादातर डेवलपिंग कंट्रीज तक सीमित है. विकसित देशों में इसके बहुत ज्यादा मामले नहीं हैं, जैसे- अमेरिका या यूरोप. इसलिये इसकी वैक्सीन में किसी बड़ी कंपनी की दिलचस्पी नहीं है. हां, सेंटर फॉर वैक्सीन अलायंस ऐसे नेग्लेक्टेड वायरस की वैक्सीन के लिए फंडिंग कर रहा है. पर अभी तक कोई ठोस नहीं नहीं निकल सका है.
Tags: Kerala, Kerala News, Nipah virusFIRST PUBLISHED : July 22, 2024, 15:43 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed