जन्माष्टमी पर दूसरा वृंदावन बन जाता है इटावा का यह राधा वल्लभ मंदिर
जन्माष्टमी पर दूसरा वृंदावन बन जाता है इटावा का यह राधा वल्लभ मंदिर
Radha Ballabh temple Etawah: मंदिर से जुड़े लोगों का कहना है कि उनके पूर्वज करीब 500 साल पहले वृंदावन से तब यहां आए जब मुगल शासकों ने आक्रमण किया. राधा वल्लभ की मूर्तियों को मुगल आक्रमणकारियों से बचने के लिए.......
रिपोर्ट- रजत कुमार
इटावा: उत्तर प्रदेश के इटावा में करनपुरा में स्थित राधा वल्लभ मंदिर करीब 500 साल पुराना माना जाता है. जानकार ऐसा मानते है कि भगवान श्री कृष्ण की जन्माष्टमी बड़े जोर शोर से इटावा के इस राधा वल्लभ मंदिर में कृष्ण भक्त मनाते हैं. वैसे तो राधा वल्लभ मंदिर में हिंदू धर्म से जुड़े हुए तमाम पर्व हर्षोल्लास के साथ बनाए जाते हैं लेकिन होली पर रंगीली होली को जोरदारी से खेला जाता है. रंगीली होली बिल्कुल ऐसी लगती है जैसे मानो वृंदावन में यह होली हो रही हो.
राधा वल्लभ मंदिर की स्थापना के बारे में मंदिर से जुड़े हुए लोग बताते हैं कि राधा वल्लभ मंदिर करीब 500 साल पुराना है जिसकी खासियत यह है कि राधा बल्लभ के दर्शन बहुत ही कठिन हैं. राधा बल्लभ के जो भक्त दर्शन करना चाहते हैं वही इस मंदिर में पहुंचते हैं अन्यथा भगवान किसी ऐसे व्यक्ति को अपने यहां बुलाते भी नही हैं. इस मंदिर में पूर्ण श्रद्धा रखने वाला ही पूजा अर्चना करने के लिए पहुंच पाता है जब कि हज़ारों की संख्या में लोग छैराहा से निकलते हैं लेकिन दर्शन करने वही आता है जिसे भगवान राधा वल्लभ बुलाते हैं.
होली और जन्माष्टमी मनाने के लिए लोग देश के विभिन्न हिस्सों से भी इस मंदिर में पहुंचते हैं. राजस्थान, मध्यप्रदेश, उत्तराखंड और दिल्ली आदि से बड़ी तादात में श्रद्धा भाव से भक्त यहां आते हैं.
मंदिर से जुड़े लोगों का कहना है कि उनके पूर्वज करीब 500 साल पहले वृंदावन से तब यहां आए जब मुगल शासकों ने आक्रमण किया. राधा वल्लभ की मूर्तियों को मुगल आक्रमणकारियों से बचने के लिए संदूक में बंद करके यमुना नदी के माध्यम से इटावा तक लाए थे उसके बाद से लगातार इटावा में उनकी सेवा की जा रही है. एक शख्स ने कहा कि पहले उनके बाबा जो इटावा के ऑनरीरी मजिस्ट्रेट इटावा थे वह मंदिर के सेवादार रहे. उनके ना रहने पर पिता मंदिर के सेवादार हो गए. पिता के निधन के बाद अब वह खुद मंदिर की सेवा कर रहे हैं.
इटावा का राधा वल्लभ मंदिर कृष्ण जन्माष्टमी पर दूसरा वृंदावन नजर आता है. यहां दूर दराज के भक्त भी आते हैं फूल बंगला की भी यहां स्थापना की जाती है. कृष्ण जन्माष्टमी की तैयारी करीब 1 महीने पहले से इस मंदिर में शुरू कर दी जाती है.
इटावा का राधा वल्लभ मन्दिर प्राचीन मन्दिर है. वृंदावन में करीब पांच सौ वर्ष पहले मुगल बादशाह औरंगजेब के शासनकाल में जब हमला किया गया था तब राधा वल्लभ की मूर्तियों को संदूक में बंद करके यमुना नदी में प्रवाहित करके इटावा तक लाया गया.
राधा वल्लभ मंदिर के मुख्य सेवादार गोपाल गोस्वामी बताते हैं कि भगवान श्री कृष्ण की जन्माष्टमी को मनाने के लिए राधाबल्लभ मंदिर में करीब एक महीने से तैयारी शुरू कर दी जाती है और बिल्कुल ऐसे श्री कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाती है जैसे वृंदावन में मनाई जाती है. इटावा के राधा वल्लभ मंदिर को दूसरा वृंदावन भी कह सकते हैं.
Tags: Local18FIRST PUBLISHED : August 25, 2024, 19:22 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed