ट्विटर पर केंद्र का वार- देश के कानूनों का उल्लंघन किया देश विरोधी सामग्री और नफ़रत को दिया बढ़ावा जानिए क्या है मामला
ट्विटर पर केंद्र का वार- देश के कानूनों का उल्लंघन किया देश विरोधी सामग्री और नफ़रत को दिया बढ़ावा जानिए क्या है मामला
केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई) ने कर्नाटक उच्च न्यायालय के समक्ष कहा, ‘‘याचिकाकर्ता ने जानबूझकर कानूनों का अनुपालन नहीं किया और उनकी अवज्ञा की. प्रतिवादी नंबर-2 के जवाब और 27 जून 2022 को कारण बताओ नोटिस जारी होने के बाद ही याचिकाकर्ता ने अचानक उन दिशा-निर्देशों पर अमल किया, जिनका पालन वह पहले नहीं कर रहा था.’’
हाइलाइट्सकेंद्र सरकार ने ट्विटर पर अवमानना का आरोप लगाया है. केंद्र ने कहा कि सार्वजानिक मुद्दों पर फैसला सरकार करती है न कि कोई 'सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म'सरकार का आरोप है कि ट्विटर ने देश विरोधी भावनाओं को बढ़ावा दिया है.
बेंगलुरु. केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ( एमईआईटीवाई) ने कर्नाटक उच्च न्यायालय के समक्ष अपनी आपत्तियों के संबंध में दायर 101 पन्नों के बयान में ट्विटर को देश के कानूनों का उल्लंघन करने वाला सोशल मीडिया मंच बताया है. मामले पर 8 सितंबर को सुनवाई की जाएगी. एमईआईटीवाई ने बृहस्पतिवार को अदालत के समक्ष अपना बयान दाखिल किया. मंत्रालय ने कहा, ‘‘याचिकाकर्ता ने जानबूझकर कानूनों का अनुपालन नहीं किया और उनकी अवज्ञा की. प्रतिवादी नंबर-2 के जवाब और 27 जून 2022 को कारण बताओ नोटिस जारी होने के बाद ही याचिकाकर्ता ने अचानक उन दिशा-निर्देशों पर अमल किया, जिनका पालन वह पहले नहीं कर रहा था.’’
केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा रोक के संबंध में जारी किए गए 10 अलग-अलग आदेशों के खिलाफ ट्विटर इंक ने उच्च न्यायालय का रुख किया है. ये आदेश दो फरवरी 2021 से 28 फरवरी 2022 के बीच के हैं. इनमें अकाउंट, ट्वीट, यूआरएल और हैशटैग को ब्लॉक करने से जुड़े आदेश शामिल हैं. केंद्र ने कहा कि ट्विटर की देश की सुरक्षा में कोई भूमिका नहीं है और सुरक्षा से जुड़े सभी फैसले सरकार ही कर सकती है. सरकार ने कहा, ‘‘जब सार्वजनिक व्यवस्था से जुड़ा कोई मुद्दा उठता है तो सरकार कार्रवाई करने के लिए जिम्मेदार होती है, न कि कोई मंच. इसलिए, कौन-सी सामग्री राष्ट्रीय सुरक्षा या सार्वजनिक व्यवस्था से जुड़े मुद्दों के लिए सही है या नहीं, इसे तय करने की अनुमति मंच को नहीं दी जा सकती.’’
सरकार ने कहा कि इंटरनेट का इस्तेमाल करने वाले 84 करोड़ से अधिक भारतीयों को भारत विरोधी प्रचार, फर्जी खबरों और नफरत भरे भाषणों से बचाना उसकी जिम्मेदारी है.
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Tags: Central govt, Karnataka High Court, Twitter IndiaFIRST PUBLISHED : September 02, 2022, 14:14 IST