काला नमक चावल से आती है बेहतरीन खुशबू जानें कैसे करें इस धान की खेती

Kala Namak Rice: बहराइच में काला नमक धान की खेती सामान्य प्रकार के धान के जैसे ही होती है. हालांकि इस धान की एक बीघे में ढाई कुंतल पैदावार होती है. जो बाजारों में सामान्य चावलों से लगभग तीन गुना महंगा होता है.

काला नमक चावल से आती है बेहतरीन खुशबू जानें कैसे करें इस धान की खेती
बहराइचः काला नमक धान से आखिर क्यों आती है खुशबू? नॉर्मल धान से क्यों है अलग. कैसे की जाती है इसकी प्राकृतिक खेती? काला नमक धान की खेती सामान्य प्रकार के धान की खेती जैसी ही होती है. जैसे पहले इस धान की बुआई की जाती है, फिर पौधे तैयार होने के 20 से 30 दिन हो जाने के बाद इसे रोपाई की जाती है. यह चावल सामान्य चावल से काफी मंहगा होता है, लेकिन काला चावल ग्राहकों की पहली पसंद है. इस तरह करें पौधों की रोपाई इस धान की रोपाई करते समय कतार से कतार के बीच 20 सेमी की दूरी और पौधे से पौधे के बीच 15 सेमी की दूरी बरकरार रखना आवश्यक होता है. इस दौरान यह भी ध्यान रखना चाहिए कि एक स्थान पर 2 से 3 पौधे ही लगाए जा रहे हों. प्रकृति खेती मुख्यरूप से घन जीवामृत और तरल जीवामृत से की जाती है. घन जीवामृत एक अत्यंत प्रभावशाली जीवाणुयुक्त सुखी जैविक खाद है. जिसे गाय के गोबर में कुछ और चीजें मिलाकर बनाया जाता है. घन जीवामृत को बुवाई के समय या खेत में पानी देने के तीन दिन बाद भी खेत में डाल सकते हैं. जानें कैसी खाद में होता है तैयार वहीं, तरल जीवामृत एक अत्यधिक प्रभावशाली जैविक खाद है. जिसे गोबर के साथ पानी में कई और पदार्थ मिलाकर तैयार किया जाता है, जो पौधों की वृद्धि और विकास में सहायक है. यह पौधों की विभिन्न रोगाणुओं से सुरक्षा करता है तथा पौधों की प्रतिरक्षा क्षमता को बढाता है, जिससे पौधे स्वस्थ बने रहते हैं. इस वजह से फसल की बहुत ही अच्छी पैदावार होती है. जानें कितनी जमीन में होती है अच्छी पैदावार किसानों ने बताया कि प्रकृति खेती द्वारा काला नमक धान की खेती की जाए तो एक बीघे में ढाई कुंतल तक पैदावार होता है. कृषि विज्ञान केंद्र के प्रभारी ने बताया वहीं, बहराइच कृषि विज्ञान केंद्र प्रभारी अधिकारी डॉ. शैलेंद्र सिंह द्वारा बताया गया कि काला नमक बहराइच में विश्वविद्यालय द्वारा 2023 में दो नई प्रजातियां निकाली गई है. पहली प्रजाति नरेंद्र काला नमक है. ये 2023 में निकाली गई और यह 148 से 152 दिन में पककर तैयार हो जाती है. इसकी पैदावार 40 से 50 कुंतल प्रति हेक्टेयर है. इसकी खासियत यह है कि ये सुगंधित तो है ही, साथ ही पतले गाढ़े भूरे रंग के दाने होते हैं. यह झूठा खंडवा रोग का प्रतिरोधी है, जो पहले की प्रजातियां थी. उसमें इस तरह की समस्याएं आती थी. काला नमक धान में लगने वाली लागत एक हेक्टेयर में करीब चालीस हजार रुपये किसान की लागत लग जाती है. इसी हिसाब से अगर वर्षा ऋतु को देखें तो काफी ज्यादा उतार चढ़ाव होता रहता है. किसी साल वर्षा बहुत कम हो तो किसी साल ठीक होती है. इस हिसाब से खाद खर्चा होता है. काला नमक चावल की खासियत बात अगर बाजारों में रेट पर जाएं तो, सामान्य चावल से इसके रेट में काफी फर्क होता है. जहां बाजार में नार्मल चावल 30 से 35 रुपए प्रति किलो मिल जाते हैं. वहीं, काला नमक चावल की कीमत लगभग 100 रुपए किलो होती है. यह चावल खाने के बाद ग्राहकों की पहली पसंद बन जाता है. Tags: Bahraich news, Local18FIRST PUBLISHED : August 4, 2024, 10:01 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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