यूपी के इस सेंचुरी में बढ़ रहा है तेंदुए का कुनबा जानें कितनी है इसकी संख्या

इटावा के जिला वन अधिकारी अतुलकांत शुक्ला ने बताया कि एक अनुमान के अनुसार करीब 50 के आस-पास तेंदुए की संख्या हो सकती है. तेंदुआ शेड्यूल-1 श्रेणी का वन्यजीव है, इससे जंगल क्षेत्र में संतुलन बना रहता है. चंबल सेंचुरी में बाह से लेकर भरेह तक के 165 किलोमीटर लंबे बीहड़ में तेंदुए बा बसेरा है. चंबल अभ्यारण तेंदुओं की ब्रीडिंग के लिए अनुकूल सिद्ध हो रहा है. 

यूपी के इस सेंचुरी में बढ़ रहा है तेंदुए का कुनबा जानें कितनी है इसकी संख्या
इटावा. कुख्यात डाकुओं के आतंक का पर्याय रहा चंबल के राष्ट्रीय सेंचुरी में तेंदुओं का कुनबा बढ़ रहा है. उत्तर प्रदेश के इटावा के वन अधिकारी ऐसा मानते हैं कि इटावा के लोग वन्यजीवों के प्रति संजीदा हैं, इसलिए ऐसा माहौल बना है. यही वजह है कि खूंखार माने जाने वाले दुर्लभ प्रजाति के जानवर की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है. इटावा के जिला वन अधिकारी अतुलकांत शुक्ला ने लोकल 18 को बताया कि बेशक राज्य के तराई बेल्ट के जिलों में मानव और वन्य जीवों के बीच संघर्ष की घटनाएं आम हो गई हो,  लेकिन इटावा में ऐसा नहीं है. यहां उनको भोजन आसानी से उपलब्ध हो जाता है, इसलिए तेंदुओं का यहां आशियाना बना हुआ है. 50 से अधिक हो सकती है तेंदुए की संख्या इटावा के जिला वन अधिकारी अतुलकांत शुक्ला ने बताया कि एक अनुमान के अनुसार करीब 50 के आस-पास तेंदुए की संख्या हो सकती है. जंगल के भीतर अगर कोई किसान जाता भी है तो तेंदुए ने किसी को आज तक नुकसान भी नहीं पहुंचाया है. किसी भी किसान को नुकसान पहुंचाए जाने की कोई घटना अभी तक प्रकाश में नहीं आया है. इटावा के लोगों का वन्यजीवों के प्रति स्नेह के कारण चंबल इलाका वन्य जीवों के लिए सुरक्षित स्थान बन गया है. सेंचुरी क्षेत्र के तेंदुओं की अभी गणना नहीं की गई है, लेकिन इनकी संख्या 50 के आस-पास से मानी जा रही है. खास बात यह है कि इनमें कई मादा हैं और वे अपने कुनबे को बढ़ा रही हैं.  राष्ट्रीय सेंचुरी क्षेत्र वन्यजीवों के संरक्षण के लिहाज से एक शुभ संकेत है. शेड्यूल-1 श्रेणी के वन्यजीव है तेंदुआ तेंदुआ शेड्यूल-1 श्रेणी का वन्यजीव है, इससे जंगल क्षेत्र में संतुलन बना रहता है. इनके मरने से जंगल में नील गाय व जंगली सुअर तेजी से बढ़ेंगे जो इस क्षेत्र के किसानों के लिए परेशानी पैदा करेंगे. यह जानवर उनका शिकार कर इस स्थिति पर नियंत्रण करता है. तेंदुआ अगर किसी जानवर पर हमला करता है तो उसे खाता जरूर है अन्यथा वह हमला नहीं करता है. वह मनुष्य पर तब तक कोई हमला नहीं करता जब तक कि उसे छेड़ा न जाए. पर्यावरणीय संस्था सोसाइटी फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर के महासचिव डॉ. राजीव चौहान का कहना है कि 2007 में भी जगतौली गांव के पास एक तेंदुए की करंट लगने से मौत हुई थी. तब चंबल इलाके में तेंदुओं की मौजूदगी की जानकारी सामने आई थी. पिछले एक दशक से तेंदुए का बढ़ रहा है कुनबा 2022 में चंबल नदी के किनारे मादा तेंदुए ने दो नर शावकों को जन्म दिया था. उसके बाद उस इलाके के  रास्ते को बंद कर दिया गया. चंबल का वातावरण तेंदुओं के लिए अनुकूल है, इसलिए कुनबा बढ़ रहा है. कुछ अन्य वन अधिकारियों के मुताबिक चंबल सेंचुरी में बाह से लेकर भरेह तक के 165 किलोमीटर लंबे बीहड़ में करीब 70 से 80 तेंदुआ हैं, हालांकि इनकी कोई गणना तो अभी तक नहीं हुई है, लेकिन ग्रामीण, चरवाहे व एनजीओ की गणना के आधार पर इनका आकलन किया गया है. यह कुनबा लगातार बढ़ रहा है. चंबल अभ्यारण का खुला वातावरण तेंदुओं की ब्रीडिंग के लिए अनुकूल सिद्ध हो रहा है. सेंचुरी क्षेत्र में बीते 10 साल में तेंदुओं के कुनबा में इजाफा हुआ है. डीएफओ ने बताया कि चंबल सेंचुरी से ना तो तेंदुए हटाए जा सकते हैं और न ही गांव खाली कराए जा सकते हैं, इसलिए जनता को सुरक्षा के साथ रहना होगा. Tags: Etawah latest news, Local18, National Chambal Sanctuary, UP newsFIRST PUBLISHED : August 25, 2024, 12:46 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed