बाराबंकी के किसान ने इस तकनीक से की है खेती एक फसल से इतनी हो रही कमाई

बाराबंकी के किसान मनमोहन सिंह ने बताया कि दो एकड़ में मचान विधि से लौकी की खेती कर रहे हैं. वहीं एक बीघे में 15 से 20 हजार की लागत लगी है. मचान विधि से खेती करने पर बरसात में सब्जियां खराब नहीं होती और फसल के सड़ने या गलने का खतरा कम रहता है और उत्पादन अधिक होता हे. वहीं एक फसल से तीन लाख तक की कमाई हो जाती है. 

बाराबंकी के किसान ने इस तकनीक से की है खेती एक फसल से इतनी हो रही कमाई
बाराबंकी. सब्जी की खेती में तकनीक का इस्तेमाल कर कहसान बेहतर मुनाफा कमा सकते हैं. तकनीक आधारित खेती में लगात कम आता है और मुनाफा अधिक होता है. सब्जी की खेती में मचान विधि बेहद कारगार है. इससे ना सिर्फ सब्जियों की फसल में उत्पादन क्षमता की वृद्धि हाेती है बल्कि किसानों को अधिक मुनाफा कमाने का अवसर प्रदान करता है. बारांबंकी के किसान मनमोहन सिंह भी मचान विधि से  लौकी की खेती कर अच्छी कमाई कर रहे हैं. 8 वर्षो से सब्जी की खेती कर रहे हैं मनमोहन बाराबंकी जिले के पाटमऊ गांव निवासी किसान मनमोहन सिंह ने लोकल 18 को बताया कि लौकी की खेती मचान बनाकर करें तो सीजन और ऑफ सीजन दोनों में बेहतर क्वालिटी के लौकी का अधिक उत्पादन कर सकते हैं. दरअसल, लौकी की खेती में बेहद कम खर्च में अधिक मुनाफा मिल जाता है. बाजार में इसकी मांग हमेशा बनी रहती है. जिससे किसान अच्छी आमदनी कर सकते हैं. उन्होंने बताया कि पिछले 8 वर्षो से अलग-अलग तरह की सब्जियों की खेती करते आ रहे हैं. शुरूआत में थोड़ा ही लौकी लगाया, लेकिन मुनाफा अधिक हुआ. इसके बाद अब करीब दो एकड़ में लौकी की खेती कर रहे हैं. इस खेती से तीन लाख रुपए तक एक फसल से मुनाफा हो रहा है. किसानों के लिए कारगर है मचान विधि किसान मनमोहन सिंह ने लोकल 18 को बताया कि 2015 से सब्जियों की खेती कर रहे हैं. जिसमें टमाटर, खीरा, लौकी, करेला आदि शामिल है. फिलहाल दो एकड़ में लौकी लगी हुई है. वहीं एक बीघे में 15 से 20 हजार की लागत लग जाती है. इसमें बीज, डोरी, बांस, कीटनाशक दवाइयां, पानी और लेबर आदि का खर्च शामिल है. उन्होंने बताया कि लौकी खेती मचान विधि से ही कर रहे हैं. इससे फायदा यह होता है कि बरसात में सब्जियां खराब नहीं होती और फसल के सड़ने या गलने का खतरा कम रहता है. अन्य विधि के मुकाबले पैदावार भी अधिक होता है. यही वजह है कि इस एक फसल से तीन लाख तक मुनाफा हो जाता है. लौकी की खेती करना है बेहद आसान किसान मनमोहन सिंह ने लोकल 18 को बताया कि लौकी की खेती करना बहुत ही आसान है. पहले खेत की जुताई की जाती है. उसके बाद पूरे खेत में मेड़ बनाते हैं और फिर इस पर मल्चिंग की जाती है. इसके बाद इसमें छेद कर 3 से 4 फीट की दूरी पर लौकी के बीज की बुवाई करते हैं. जब पेड़ थोड़ा बड़ा होने लगता है तब पूरे खेत में बांस और तार का स्ट्रेचर तैयार करते हैं और लौकी के पौधे को डोरी से स्टेचर से बांध देते हैं. इससे लौकी का पौधा स्ट्रेचर पर फैल जाता है. वहीं पौधा लगाने के महज 50 से 60 दिनों में फलन शुरू हो जाता है. इसे खेत से तोड़कर बाजार में बिक्री कर देते हैं. इससे रोजाना आमदनी होते रहती है. Tags: Agriculture, Barabanki News, Local18, UP newsFIRST PUBLISHED : September 13, 2024, 21:44 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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