आजादी के आंदोलन से जुड़ी हैं बहराइच की यादें गांधी जी ने यहां फूंका था बिगुल

Bahraich News: बहराइच में स्थित स्वतंत्रता संग्राम सेनानी भवन आज भी सैकड़ों सेनानियों के बलिदानो की गवाही देता है. जहां आज भी सेनानियों के वंशज बैठकर करते विचार विमर्श करते हैं. यहां पर महात्मा गांधी ने स्वतंत्रता को लेकर जनता को संबोधित भी किया था.

आजादी के आंदोलन से जुड़ी हैं बहराइच की यादें गांधी जी ने यहां फूंका था बिगुल
बहराइचः अंग्रेजों ने उत्तर प्रदेश के बहराइच के लगभग 1500 गांवो को नेपाल के राणा सरकार को बफर स्टेट बनाने की स्वीकृति के रूप में इनाम में दे दिया था. बहराइच में स्थित घंटाघर जो ब्रिटिश काल में अंग्रेजों द्वारा बनवाया गया था. यहीं, पर महत्मा गांधी ने आजादी का बिगुल फूंका था. इस स्थान पर पंडित जवाहर लाल नेहरू,अटल बिहारी बाजपेयी समेत, तमाम महापुरुष जनता संबोधित कर चुके हैं. बहराइच के लोगों को इस घंटाघर से समय की जानकारी मिलती थी. 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में बहराइच की भूमिका 7 फरवरी 1856 को रेजीडेंट जनरल आउट्रम ने अवध पर कंपनी का शासन घोषित कर दिया. बहराइच को एक डिवीजन का केंद्र बनाया गया और मि. विंगफील्ड को उसका कमिश्नर नियुक्त किया गया. लॉर्ड डलहौजी की राज्य हड़पने की नीति के कारण पूरा देश ब्रिटिश शासन के खिलाफ था. स्वतंत्रता संग्राम के नेता नाना साहब और बहादुर शाह जफर के प्रतिनिधि ब्रिटिश शासन के खिलाफ अभियान चला रहे थे. अभियान के दौरान पेशवा नाना साहब स्थानीय शासकों के साथ गोपनीय बैठक करने के लिए बहराइच आए थे. यह बैठक वर्तमान में गुल्लाबीर नामक स्थान पर नाना साहब के आह्वान पर हुई थी. भिनगा, बौंडी, चहलारी, रेहुआ, चरदा आदि के राजा इस स्थान पर एकत्र हुए और नाना साहब को मरते दम तक स्वतंत्रता संग्राम के लिए वचन दिया. महात्मा गांधी से भी जुड़ा है बहराइच का नाता 1929 में गांधी जी बहराइच आए और पुराने सरकारी हाई स्कूल (जिसे अब महाराज सिंह इंटर कॉलेज के नाम से जाना जाता है) में एक जनसभा की. हरिजनों के कल्याण के लिए उन्हें 3500 रुपये की राशि भेंट की गई.  साथ ही देश के अन्य हिस्सों की तरह बहराइच में भी गांधी जी के नमक आंदोलन शुरू करने पर तीखी प्रतिक्रिया हुई. 6 मई 1930 को यहां पर पूर्ण हड़ताल हुई थी. FIRST PUBLISHED : August 8, 2024, 12:50 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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