यह वक्फ की जमीन 30 दिन में खाली करेंवक्फ बोर्ड के घोटाले पर ग्राउंड रिपोर्ट
यह वक्फ की जमीन 30 दिन में खाली करेंवक्फ बोर्ड के घोटाले पर ग्राउंड रिपोर्ट
Waqf Board News: वक्फ बोर्ड अमेंडमेंट बिल आज देशभर में चर्चा में बना हुआ है. वक्फ के नियमों, कानून और अधिकारों को लेकर सवाल खड़े होते रहे हैं. वक्फ बोर्ड के अधिकारों से जुड़ी आज जिस कहानी की बात कर रहे हैं वो हैरत में डालने वाली है. वक्फ के काम करने के तरीकों और उसकी मनमानी की ऐसी कहानी जिसे सुनकर आप न केवल चौंक जाएंगे बल्कि वक्फ बोर्ड पर बड़े सवाल खड़े करती है. गोविंद पुर के लोगों के दर्द की कहानी दस्तावेजों के साथ समझिये.
हाइलाइट्स वक्फ बोर्ड ने फतुहा के गोविंदपुर में अवैध रूप से जमीन दखल करने का नोटिस लगाया. वक्फ बोर्ड की नोटिस पर पटना प्रशासन ने भी गांववालों को जमीन खाली करने को कहा. गोविंदपुर गांव के लोगों ने पटना हाईकोर्ट में अपील की, कोर्ट ने नोटिस को अवैध करार दिया.
पटना. जिस घर में आप सालों से रह रहे हों और जो जमीन आपके बाप दादाओं की 50 साल ज्यादा समय से हो, मगर अचानक आपको कहा जाए कि इस जमीन पर आपने ही अतिक्रमण कर रखा है और 30 दिनों के भीतर इसको खाली करना है, तो क्या सोचेंगे? ये बातें आपके होश उड़ाने के लिए काफी हैं. जी हां, पटना से सटे फतुहा में ऐसी ही घटना सामने आई है. फतुहा के गोविंदपुर के रहने वालों के साथ अचानक ऐसा ही नोटिस जब आया तो उनके होश उड़ गए. इस घटना के बारे में जब हमे जानकारी मिली तो पूरी सच्चाई जानने हमारी टीम सीधे फतुहा पहुंची.
फतुहा पहुंचने के बाद लोगों के साथ बात हुई और जो दस्तावेज हमारे हाथ लगे वो वक्फ के सारे कारनामों की पोल खोलने वाली थी. दरअसल, यहां के सभी लोग पटना जिले के फतुहा के गोविंदपुर के रहने वाले हैं. यह किसी की जमीन 100 साल पुरानी है तो किसी की 40 साल. सभी घर बनाकर दशकों से पुश्तैनी रूप से रहते हैं. अचानक वक्फ की तरफ से नोटिस दिया जाता है कि यह संपति वक्फ की है और इसे वक्फ में 1959 में रजिस्ट्रेशन किया गया है. इस भूमि पर अतिक्रमण किया गया है इसे खाली करें. गांव के लोग अभी संभल पाते तभी पटना डीएम की तरफ से चिट्ठी भेजी जाती है कि वक्फ बोर्ड के अधिनियम 1995 की धारा 52,2 के तहत विक्रेता/क्रेता को आदेश दिया जाता है कि नोटिस निर्गत होने के 30 दिनों के भीतर भूखंड को अवैध कब्जा से मुक्त कर वक्फ बोर्ड को वापस किया जाए. अगर समय से खाली नहीं किया जाता है तो विधि सम्मत कारवाई की जायेगी. फतुहा के गोविंदपुर गांव के बाहर सुन्नी वक्फ बोर्ड का वह बोर्ड जिसमें जमीन खाली करने के लिए कहा है.
इस नोटिस में जो लिखा गया था वह कुछ इस प्रकार था. वक्फ का नाम- दरगाह इमामबाड़ा. रजिस्ट्रेशन नंबर और तारीख-969/29.07.1959. मौजा-गोविंदपुर फतुहा. खाता नंबर-130/खेसरा संख्या-217/रकबा 21 डिसिमल. इस नोटिस के जवाब में सभी लोग डीएम कार्यालय में आवेदन देते हैं और अपनी-अपनी जमीनों के दस्तावेज की कापी सौंपते हैं और इसकी जांच करने की मांग करते हैं. काफी मशक्कत के बाद अंचलाधिकारी फतुहा द्वारा जांच के बाद जो रिपोर्ट दी जाती है उसमें साफ तौर पर लिखा गया है कि “उक्त भूमि खतियान से रैयती है एवं कई लोगों के मकान बना हुआ हैं. उक्त भूमि राज्य सुन्नी वक्फ बोर्ड में किस प्रकार निबंधित हुई है, उक्त संबंध में बिहार राज्य वक्फ बोर्ड से सूचना के आधार पर कार्रवाई की जा सकती है.
अंचलाधिकारी की रिपोर्ट से यह साफ हो चुका था कि यह जमीन रैयती है और यहां के रहने वालों की ही है, पर वक्फ बोर्ड के अधिकार चुनौती देना मुश्किल थी. लोगों ने सच्चाई को जानने के लिया वक्फ बोर्ड में RTI के तहत सूचना मांगी. पहले तो सूचना देने से इंकार किया गया. बाद में लोगों ने लोक जन शिकायत अधिनियम के तहत जानकारी मांगी. इसके बाद सूचना में जो जानकारी दी गई वो और हैरान करने वाली थी. वक्फ बोर्ड द्वारा जो दस्तावेज दिये गये उसमें किसने दान दिया दिया और किससे लिया गया, इसकी भी कोई जानकारी नहीं दी गई और पूरा कॉलम खाली छोड़ दिया गया. समाहरणालय पटना ने भी गोविंदपुर की जमीन के लिए वक्फ बोर्ड की नोटिस को लेक गांव वालों को नोटिस जारी की थी.
वक्फ के काम करने के तरीकों पर अगर गौर करें तो कई ऐसे दस्तावेज सामने आए जो बड़े सवाल खड़े करती है. वक्फ के द्वारा दस्तावेज मांगने के लिए जो आवेदन दिये जाते हैं वो उर्दू में होते हैं. जो जानकारियां दी गईं वो भी उर्दू में दी गईं. जब लोगों ने इसका हिंदी ट्रांस्लेशन करके देने की मांग की तो जवाब दिया गया कि हिंदी अनुवाद नहीं कराया जा सकता है. हालांकि, जैसे-जैसे दस्तावेज की कॉपी सामने आती गई वक्फ के कारनामे सामने आते गए. सवाल खड़ा होता है कि अगर वक्फ की संपति है तो फिर प्रमाण देने में आनाकानी क्यों? दान देने वाली का नाम आखिर क्यों नहीं शामिल किया गया?
फतुहा के इस खेसरा संख्या 217 की जमीन पर मालिकाना हक किसका है इसका ठोस प्रमाण तब साबित हुआ जब बिहार सरकार द्वारा ही जारी किया गया गजट सामने आया. बिहार सरकार को जब फतुहा में बाजार समिति का निर्माण करना था तो 1973 में कृषि विभाग ने 217 खेसरा संख्या के 21 डिसिमल जमीन में से 2 डिसिमल जमीन का अधिग्रहण करता है और इसके बदले लोगों को मुआवजा भी देती है. सरकार ने अधिग्रहण कागजात के मुताबिक, यहां के रैयती लोगों के साथ करार किया और मुआवजा भी इन्हें ही दिया गया. बाद के दिनों में मुआवजे की राशि के रूप में है कोर्ट में मामला गया जिसके बाद कोर्ट ने भी फैसला सुनाते हुए इन्हें मुआवजा देने की बात कही. सुन्नी वक्फ बोर्ड ने गोविंदपुर की जमीन खाली करने के लिए नोटिस दिया था.
बड़ा सवाल यह खड़ा होता है कि अगर वक्फ के द्वारा 1959 में ही रजिस्ट्रेशन किया गया और उसके नाम से संपत्ति हो गई थी तो सरकार ने यहां के रैयती के साथ अधिग्रहण कैसे किया और मुआवजा कैसे दिया? यह साफ तौर पर दर्शाता है कि दस्तावेजों के अनुसार, पूरी जमीन रैयती की ही थी. वक्फ के पास कोई ठोस प्रमाण नहीं थे. लोगों ने सीधा आरोप लगाया है कि वक्फ ने मनमाने तरीके से इस जमीन पर अपना हक जताया. लोग अब खुलकर मांग करने लगे हैं कि वक्फ को दिए गए अधिकार और इसके कानून गैर कानूनी और एकतरफा हैं. वक्फ के कई अधिकारों को खत्म किया जाना चाहिए.
इस पूरे मामले में जब सुन्नी वक्फ बोर्ड का पक्ष जानना चाहा तो कई घंटों के टाल मटोल के बाद भी इस पर कोई सफाई नहीं दी गई. घंटो बाहर खड़े रहने के बाद भी अपना पक्ष रखने के लिए नहीं बुलाया गया. इस पूरे मामले में जब कोई सुनवाई होती नहीं देख रैयती मामले को उच्च न्यायालय में मामला लेकर गए और वहां से रैयती की इंसाफ मिला. पटना हाई कोर्ट के आदेश के बाद जिलाधिकारी के द्वारा एक बार फिर पत्र निर्गत किया जाता है जिसे जमीन को रैयती करारा दिया गया और पुराने नोटिस को रद्द किया गया.
सवाल यह है कि वक्फ ने अगर रजिस्ट्रेशन कराया तो सबूत क्यों नहीं दिया? किन लोगों के द्वारा दान दिया गया इसकी कोई जानकारी क्यों नहीं दी गई? लगातर सबूतो को छुपाने की कोशिश क्यों की गई? अंचलाधिकारी की रिपोर्ट के बाद भी क्यों नहीं मिला न्याय? बाजार समिति के लिए सरकार ने अधिग्रहण गांव वालों के साथ कैसे किया? अधिग्रहण के बाद गांववालों को मुआवजा भी मिला, अगर वक्फ की संपत्ति होती तो मुआवजा वक्फ को मिलना चाहिए.
Tags: Bihar News, Patna News Today, Waqf BoardFIRST PUBLISHED : September 13, 2024, 16:07 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed