पितृ दोष से मिलेगी मुक्ति मोहिनी एकादशी के दिन करें इस आरती का पाठ
पितृ दोष से मिलेगी मुक्ति मोहिनी एकादशी के दिन करें इस आरती का पाठ
अयोध्या के ज्योतिष पंडित कल्कि राम बताते हैं कि एकादशी तिथि भगवान श्री हरि विष्णु को समर्पित होती है. पंचांग के मुताबिक वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मोहिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है.
अयोध्या: सनातन धर्म में एकादशी तिथि बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है. साल में 24 बार एकादशी तिथि का व्रत रखा जाता है और हर एकादशी तिथि भगवान श्री हरि विष्णु को समर्पित होती हे. हिंदू पंचांग के मुताबिक प्रत्येक वर्ष वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मोहिनी एकादशी का व्रत रखा जाता है. इस वर्ष यह व्रत 19 में को रखा जाए धार्मिक ग्रंथो के मुताबिक भगवान विष्णु इस दिन मोहिनी का रूप धारण किए थे.
कहा जाता है कि इस व्रत की पुण्य प्रताप से सड़क द्वारा किए गए सभी पाप कर्म नष्ट हो जाते हैं. साथ ही जातक को मृत्यु उपरांत बैकुंठ लोक में स्थान भी प्राप्त होता है. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से पितरों को भी मोक्ष की प्राप्ति होती है साथ ही व्यक्ति को पितृ दोष से मुक्ति भी मिलती है अगर आप भी पितृ दोष से पीड़ित है तो फिर मोहिनी एकादशी के दिन विधि विधान पूर्वक भगवान श्री हरि विष्णु की पूजा आराधना करनी चाहिए साथ ही विष्णु चालीसा का पाठ करना चाहिए.
पितृ दोष से भी मुक्ति
दरअसल अयोध्या के ज्योतिष पंडित कल्कि राम बताते हैं कि एकादशी तिथि भगवान श्री हरि विष्णु को समर्पित होती है. पंचांग के मुताबिक वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मोहिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है. इस दिन भगवान श्री हरि विष्णु की पूजा आराधना करने से पितृ दोष से भी मुक्ति मिलती है. साथ ही विष्णु चालीसा का पाठ करने से जन्म-जन्मांतर के पापों से भी मुक्ति मिल जाती है.
भगवान विष्णु की आरती
ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे।भक्तजनों के संकट क्षण में दूर करे॥
जो ध्यावै फल पावै, दुख बिनसे मन का।सुख-संपत्ति घर आवै, कष्ट मिटे तन का॥ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे॥
मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं किसकी।तुम बिन और न दूजा, आस करूं जिसकी॥ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे॥
तुम पूरन परमात्मा, तुम अंतरयामी॥पारब्रह्म परेमश्वर, तुम सबके स्वामी॥ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे॥
तुम करुणा के सागर तुम पालनकर्ता।मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे॥
तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।किस विधि मिलूं दयामय! तुमको मैं कुमति॥ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे॥
दीनबंधु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे॥ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे॥
विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा।श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा॥ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे॥
विष्णुजी की आरती जो कोई नर गावे।कहत शिवानंद स्वामी, मनवांछित फल पावे॥ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे॥
नोट: यहां दी गई जानकारी मान्यताओं पर आधारित है किसी भी तथ्य की पुष्टि news18 नहीं करता
Tags: Ekadashi, Local18FIRST PUBLISHED : May 18, 2024, 14:23 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ेंDisclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Local-18 व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है. Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed