बड़े ही नहीं अब नवजात बच्चों की आंखें भी हो रही हैं खराब जानें वजह
बड़े ही नहीं अब नवजात बच्चों की आंखें भी हो रही हैं खराब जानें वजह
बीएचयू के क्षेत्रीय नेत्र संस्थान के डॉक्टर दीपक ने बताया कि ऐसे नवजात बच्चों का इलाज उचित जांच के बाद किया जा रहा है. लेकिन जिन बच्चों के आंख के पर्दे कमजोर हैं, उनके आंखों की रोशनी भी कम होने की संभावना रहती है.
अभिषेक जायसवाल/ वाराणसी:आंखों की रोशनी कम होने की समस्या अब आम हो गई है.जवान और बूढों के अलावा अब नवजात बच्चे भी इसके शिकार हो रहे हैं. बीएचयू अस्पताल में लगभग हर 24 घण्टे में ऐसे मामले सामने आ रहे हैं. बीते 10 से 15 दिनों में बीएचयू के क्षेत्रीय नेत्र संस्थान में ऐसे कई पेरेंट्स अपने नवजात बच्चे को लेकर आ चुके हैं, जिनकी आंखें सही से नहीं खुल पा रही हैं.
आंकड़ों के अनुसार एक सप्ताह में करीब 5- 6 नवजात बच्चों में यह शिकायत देखी गई है. ये वे बच्चे हैं जिनकी डिलीवरी समय से पहले हुई है. पेरेंट्स से बातचीत में इस बात का खुलासा हुआ है. डॉक्टरो के मुताबिक, इन नवजात बच्चों के आंखों के पर्दे कमजोर होते हैं.
ऐसे हो रहा इलाज
बीएचयू के क्षेत्रीय नेत्र संस्थान के डॉक्टर दीपक ने बताया कि ऐसे नवजात बच्चों का इलाज उचित जांच के बाद किया जा रहा है. लेकिन जिन बच्चों के आंख के पर्दे कमजोर हैं, उनके आंखों की रोशनी भी कम होने की संभावना रहती है. संस्थान में पहले सेकाई और फिर भी आराम नहीं हो, तो उन्हें इंजेक्शन भी दिया जा रहा है. इसके अलावा कुछ बच्चों को हाई प्रेशर ऑक्सीजन भी दी जाती है. जिससे आंखों के पर्दे पर असर होता है और वो कमजोर हो जाते हैं.
जन्म के एक महीने के भीतर आती है समस्या
बताते चलें कि ऐसी समस्या आम तौर पर नवजात बच्चों के जन्म के एक महीने के भीतर आती है. इसको डॉक्टरी भाषा में रेटिनोपैथी ऑफ प्रीमेच्योरिटी कहा जाता है. आम तौर पर 7 से 8 महीने के बीच जन्मे बच्चों के साथ यह समस्या होती है.
Tags: Health tips, Hindi news, Local18FIRST PUBLISHED : July 10, 2024, 15:26 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed