बीबी को बदचलन साबित करने के लिए बच्चे का DNA टेस्ट नहीं करा सकते: हाईकोर्ट
बीबी को बदचलन साबित करने के लिए बच्चे का DNA टेस्ट नहीं करा सकते: हाईकोर्ट
Allahabad High Court News: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अवैध संबंधों के शक में बच्चों के डीएनए टेस्ट को लेकर अहम फैसला दिया है. कोर्ट ने कहा कि केवल सनक और शक के आधार पर बच्चों के डीएनए टेस्ट का आदेश नहीं दिया जा सकता.
हाइलाइट्स हाईकोर्ट ने कहा मियां-बीबी शादी के चार साल तक साथ रहे इसलिए नहीं कहा जा सकता इस दौरान उन्होंने शारीरिक संबंध नहीं बनाए
प्रयागराज. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि बिना सबूत केवल सनक में बीबी पर अवैध संबंध में रहने के आरोप से बच्चे का डीएनए टेस्ट का आदेश नहीं दिया जा सकता. कोर्ट ने कहा मियां-बीबी शादी के चार साल तक साथ रहे. शौहर ने अपनी अर्जी में कहीं नहीं कहा कि इस दौरान उसका अपनी बीबी के साथ कभी शारीरिक संबंध नहीं कायम हुआ.
कोर्ट ने कहा वैध शादी के दौरान यदि बच्चे पैदा होते हैं तो कानूनी उपधारणा यही होगी कि बच्चे उन्हीं मां-बाप के है. यदि कोई शक करता है तो उसे साबित करना होगा कि वह उसकी संतान नहीं है. कोर्ट ने कहा अदालत के आदेश पर ही हुआ डीएनए टेस्ट ही मान्य है. किसी की सहमति बगैर डीएनए टेस्ट नहीं कराया जा सकता.
कोर्ट ने याची पिता द्वारा चुपके से गुजारा भत्ता देने से बचने के लिए बेटी का ब्लड सैंपल लेकर मंगाई गई डीएनए जांच रिपोर्ट को स्वीकार्य नहीं माना और याची द्वारा नये सिरे से डीएनए टेस्ट कराने की मांग भी अस्वीकार कर दी. कोर्ट ने ग्राम अदालत के बीबी व दो बच्चों के हक में पारित गुजारा भत्ते के बकाये का भुगतान एक माह में करने तथा एक जुलाई से नियमित गुजारा भत्ता देने का याची को निर्देश दिया है. और निचली अदालत के आदेशों की वैधता की चुनौती याचिकाओं को खारिज कर दिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति राहुल चतुर्वेदी ने डॉ इफ्राक उर्फ मोहम्मद इफ्राक हुसैन की याचिका व पुनरीक्षण अर्जी पर दिया.
याची की शादी विपक्षी साजिया परवीन के साथ 12 नवंबर 2013 को हुई थी. पांच लाख नकद व मोटरसाइकिल दहेज में मांगने को लेकर विवाद हुआ और बीबी दो बच्चों को लेकर मायके चली आई.
और दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 125 में गुजारा भत्ते के लिए ग्राम अदालत कासगंज में अर्जी दी. केस सुनवाई के दौरान डाक्टर याची ने बच्चियों के खून का सैंपल लेकर हैदराबाद लैब से डीएनए टेस्ट रिपोर्ट मंगा ली और अदालत में पेश कर विपक्षी की तीन बेटी को नाजायज औलाद करार दिया. अदालत ने बीबी से आपत्ति मांगी. इसके बाद गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया. जिसके खिलाफ अपर जिला न्यायाधीश ने दाखिल अपील खारिज कर दी. जिसपर हाईकोर्ट में याचिका व पुनरीक्षण अर्जी दाखिल की गई थी.
कोर्ट ने कहा डीएनए जांच याची ने गुजारा भत्ता देने से बचने के लिए कराया. कोर्ट के आदेश से जांच नहीं की गई. ऐसी रिपोर्ट विश्वसनीय नहीं मानी जा सकती. कोर्ट ने कहा केवल बीबी पर आरोप लगाकर बच्चों के पितृत्व से इनकार नहीं किया जा सकता. बिना ठोस सबूत या आधार के डीएनए जांच का आदेश नहीं दिया जा सकता.
Tags: Allahabad high court, UP latest newsFIRST PUBLISHED : June 27, 2024, 09:18 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed