ऐसा देश है मेरा: 120 साल पहले मुस्लिम पहलवान ने अखाड़े में मनाया था गणेश उत्सव आज भी जारी है परंपरा
ऐसा देश है मेरा: 120 साल पहले मुस्लिम पहलवान ने अखाड़े में मनाया था गणेश उत्सव आज भी जारी है परंपरा
Lord Ganesha Utsav: जुम्मा दादा व्यायाम मंदिर के मैनेजिंग ट्रस्टी ने बताया कि, जुम्मा दादा ने युवाओं को एक साथ लाने और उनमें देशभक्ति का जोश भरने के लिए सार्वजनिक गणेश उत्सव आयोजित किया था. वहीं शहर के इतिहासकार चंद्रशेखर पाटिल ने कहा कि, जुम्मा दादा ऐसे पहले शख्स थे जिन्होंने बड़े पैमाने पर गणेशोत्सव मनाया था ताकि सांप्रयादिय सद्भाव और लोगों के बीच आपसी एकता बनी रहे.
हाइलाइट्सदेशभक्ति और भाईचारे की भावना पैदा करने के लिए 1901 में अखाड़े में बिठाए थे गणपति जी जुम्मा दादा ऐसे पहले शख्स थे जिन्होंने बड़े पैमाने पर गणेशोत्सव मनाया था- स्थानीय इतिहासकार
वडोदरा: गणेशोत्सव के सबसे पुराने सार्वजनिक समारोहों में से एक की शुरुआत करीब 120 साल पहले एक 107 वर्षीय मुस्लिम पहलवान ने की थी. बड़ौदा की तत्कालीन रियासत के एक प्रसिद्ध पहलवान जुम्मा दादा ने युवाओं में देशभक्ति और भाईचारे की भावना पैदा करने के लिए 1901 में अपने अखाड़े में सार्वजनिक गणेश महोत्सव की शुरुआत की थी.
जुम्मा दादा व्यायाम मंदिर के मैनेजिंग ट्रस्टी, प्रोफेसर मानेक राव ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि, जुम्मा दादा ने युवाओं को एक साथ लाने और उनमें देशभक्ति का जोश भरने के लिए सार्वजनिक गणेश उत्सव आयोजित किया था. वहीं शहर के इतिहासकार चंद्रशेखर पाटिल ने कहा कि, जुम्मा दादा ऐसे पहले शख्स थे जिन्होंने बड़े पैमाने पर गणेशोत्सव मनाया था ताकि सांप्रयादिय सद्भाव और लोगों के बीच आपसी
एकता बनी रहे.
लोकमान्य तिलक से मिली थी जुम्मा दादा को प्रेरणा
वहीं प्रोफेसर मानेक राव ने कहा कि, उनकी इस पहल से पहले कुछ मंदिर गणेश उत्सव का आयोजन करते थे. आज भी जुम्मा दादा के समर्थकों ने उनकी इस परंपरा को बरकरार रखा है. महान स्वतंत्रता सेनानी लोकमान्य तिलक ने महाराष्ट्र में गणेश उत्सव की शुरुआत की थी. तिलक हमेशा बड़ौदा के महाराजा सायाजी राव गायकवाड़ तृतीय से मिलने जाते थे. इस दौरान उन्हें जुम्मा दादा के बारे में पता चला कि एक 107 वर्षीय बुजुर्ग उनसे प्रेरित है.
लोकमान्य तिलक के साथ मुलाकात के बाद जुम्मा दादा ने व्यायाम मंदिर में गणेश उत्सव की शुरुआत की. इस व्यायाम शाला को 1880 में स्थापित किया गया था. इसके बाद इस आयोजन की लोकप्रियता बढ़ती गई और बड़ी संख्या में युवा इसमें शामिल होने लगे. बता दें कि ब्रिटिश राज के दौरान स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को व्यायाम शाला में शरण दी जाती थी.
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Tags: Ganesh Chaturthi, Gujarat, Top Ganesh PandalsFIRST PUBLISHED : September 01, 2022, 08:30 IST