कुछ पब्लिक तो कुछ पैसे में इंट्रेस्‍ट के लिए SC की दुष्‍यंत दवे को दो टूक

Supreme Court News: लोकसभा चुनाव के बीच चुनाव आयोग से जुड़ी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. याचिका में बूथ वाइज वोटिंग डेटा जारी करने की मांग है. सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को मामले को लंबित रखा और दखल देने से इनकार कर दिया.

कुछ पब्लिक तो कुछ पैसे में इंट्रेस्‍ट के लिए SC की दुष्‍यंत दवे को दो टूक
नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव के बीच चुनाव आयोग से जुड़ी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. याचिका में बूथ वाइज वोटिंग डेटा जारी करने की मांग है. सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को मामले को लंबित रखा और दखल देने से इनकार कर दिया. एडीआर और अन्य ने वोटिंग खत्म होने के 48 घंटे के भीतर वोटिंग का डेटा पब्लिख किए जाने की मांग की है. सुप्रीम कोर्ट में चुनाव आयोग ने इस मांग का विरोध किया. चुनाव आयोग ने तो याचिककर्ताओं पर जुर्माना लगाने की भी मांग कर दी. वहीं सुप्रीम कोर्ट के वकेशन बेंच के जज ने याचिका की टाइमिंग पर सवाल उठाया. जस्टिस दीपांकर दत्त ने कुछ टफ सवाल भी दाग दिए. दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में चुनाव आयोग की ओर से मनिंदर सिंह पेश हुए. मनिंदर सिंह ने याचिका का विरोध किया. उन्होंने कहा कि यह कानून की प्रक्रिया के दुरुपयोग का क्लासिक केस है. चुनाव चल रहे हैं और ये इस तरह बार-बार अर्जी दाखिल कर रहे हैं. मनिंदर ने अदालत से मांग की कि याचिकाकर्ताओं पर भारी जुर्माना लगाया जाए. उन्होंने कहा कि इस तरह का रवैया हमेशा चुनाव की शुचिता पर सवालिया निशान लगाकर जनहित को नुकसान पहुंचा रहा है. महज आशंकाओं के आधार पर फर्जी आरोप लगाए जा रहे हैं. जबकि सुप्रीम कोर्ट ने हाल दी में दिए अपने फैसले में तमाम पहलू स्पष्ट कर दिए थे. चुनाव आयोग की दलील चुनाव आयोग की तरफ से मनिंदर सिंह ने आगे कहा कि लोकसभा चुनाव के दौरान लगातार आयोग को बदनाम करने का प्रयास किया जा रहा है. फॉर्म 17C को स्ट्रॉन्ग रूम में रखा जाता है. आरोप लगाया गया है कि फाइनल डेटा में 5 से 6 प्रतिशत का फर्क है. यह आरोप पूरी तरह से गलत है. चुनाव जारी है और आयोग को लगातार बदनाम किया जा रहा है. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने एडीआर के वकील से कुछ तीखे सवाल पूछे. जारी हो पाएगा बूथ वाइज वोटिंग डेटा? SC से बोला EC- याचिकाकर्ताओं पर जुर्माना लगाइए, जज ने भी पूछ दिए कड़े सवाल सुप्रीम कोर्ट ने भी दागे सवाल सुप्रीम कोर्ट ने याचिका दायर करने के टाइमिंग पर सवाल खड़ा किया. जस्टिस दीपांकर दत्ता ने याचिकाकर्ता के वकील दुष्यंत दवे से पूछा कि चुनाव प्रक्रिया शुरू होने के बाद यह याचिका सुप्रीम कोर्ट में क्यों दायर की गई? जस्टिस दीपांकर दत्ता ने एडीआर के वकील दुष्यंत दवे को संबोधित करते हुए कहा, ‘हम बहुत तरह की जनहित याचिकाएं देखते हैं. कुछ पब्लिक इंटरेस्ट में होती हैं. कुछ पैसे के इंटरेस्ट में होती हैं. लेकिन हम आपको ये कह सकते हैं कि आपने यह याचिका सही समय और उचित मांग के साथ दायर नहीं की है. किसकी याचिका, क्या-क्या मांग? एडीआर यानी एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स ने यह जनहित याचिका दाखिल की है. याचिका में वोटिंग के आंकड़ों में गड़बड़ी का आरोप लगाया गया है. इसमें कहा गया कि मतदान के कई दिनों बाद आंकड़े जारी किए गये. पहले चरण का डेटा मतदान के 11 दिनों बाद और दूसरे चरण में 4 दिन बाद जारी किया गया. शुरुआती डेटा और अंतिम डेटा में पांच फीसदी के करीब का अंतर होने का भी दावा किया गया. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट में चुनाव आयोग ने इन आरोपों को खारिज किया है. Tags: Election commission, Loksabha Election 2024, Loksabha Elections, Supreme CourtFIRST PUBLISHED : May 24, 2024, 12:53 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed