हज समितियों के गठन के बारे में 2 हफ्ते में जानकारी दें राज्य: सुप्रीम कोर्ट
हज समितियों के गठन के बारे में 2 हफ्ते में जानकारी दें राज्य: सुप्रीम कोर्ट
उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने शुक्रवार को राज्यों को दो सप्ताह के भीतर उसे हज समितियों के गठन की स्थिति के बारे में सूचित करने का निर्देश दिया. पीठ ने राज्यों से समिति के सदस्यों के नाम निर्दिष्ट करने को भी कहा.
हाइलाइट्ससुप्रीम कोर्ट ने राज्यों से हज समिति के गठन के बारे में पूछा सवाल समिति के सदस्यों के नाम निर्दिष्ट करने को भी कहासुप्रीम कोर्ट ने कहा हलफनामा दाखिल करें राज्य
नई दिल्ली. उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने शुक्रवार को राज्यों को दो सप्ताह के भीतर उसे हज समितियों के गठन की स्थिति के बारे में सूचित करने का निर्देश दिया. न्यायमूर्ति एस. ए. नजीर और न्यायमूर्ति जे. के. माहेश्वरी की पीठ ने राज्यों से समिति के सदस्यों के नाम निर्दिष्ट करने को भी कहा. पीठ ने कहा, ‘राज्य हलफनामा दाखिल कर बताएं कि हज समितियों का गठन किया गया है या नहीं. वे समिति के सदस्यों के नाम भी निर्दिष्ट करें.’ यह निर्देश याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता संजय हेगड़े द्वारा पीठ को इस बारे में सूचित किए जाने के बाद आया कि कई राज्यों ने अनुपालन रिपोर्ट दाखिल नहीं की है.
शीर्ष अदालत ने इससे पहले हज समिति अधिनियम 2002 के प्रावधानों के तहत राज्यों के लिए केंद्रीय और राज्य हज समिति की स्थापना के अनुरोध वाली याचिका पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा था. न्यायालय ने केंद्र सरकार, विदेश मंत्रालय, भारतीय हज समिति और अन्य को नोटिस जारी कर छह सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा था. शीर्ष अदालत केंद्रीय हज समिति के पूर्व सदस्य हाफिज नौशाद अहमद आजमी द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें कहा गया था कि केंद्र और राज्य सरकारें हज समिति अधिनियम-2002 के सख्त प्रावधान का अनुपालन करने और इसके तहत हज समितियों का गठन करने में नाकाम रही हैं.
याचिका में हज समिति अधिनियम-2002 के प्रावधानों, विशेष रूप से हज अधिनियम के अध्याय चार के तहत गठित केंद्रीय और राज्य हज फंड के उचित उपयोग से संबंधित प्रावधान का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित करने का निर्देश देने का अनुरोध भी किया गया है. याचिका में कहा गया है, ‘प्रतिवादी केंद्र और राज्य स्तर पर हज समितियों का गठन करने में नाकाम रहे हैं, जिससे ऐसी स्थिति पैदा हो गई है, जहां तीर्थयात्री अकेले पड़ जाते हैं और उनके हितों की रक्षा करने के लिए कोई नहीं होता है.’ इसमें कहा गया है, ‘समितियां वैधानिक समितियां हैं, जो वैधानिक कार्य करती हैं और उनका गठन नहीं करना न केवल प्रावधानों के खिलाफ है, बल्कि संविधान का उल्लंघन भी है.’
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Tags: Haj Committee of India, Supreme CourtFIRST PUBLISHED : August 12, 2022, 15:44 IST