Opinion: मोदी सरकार का सहकार से समृद्धि देश के विकास का अब नया मंत्र बनेगा
Opinion: मोदी सरकार का सहकार से समृद्धि देश के विकास का अब नया मंत्र बनेगा
मोदी सरकार ने सहकारिता (Cooperatives) के माध्यम से विकास का ब्लूप्रिंट (Development Blueprint) तैयार किया है. मोदी सरकार का मानना है कि सहकारिता के माध्यम से ही रोजगार पैदा होगा और किसानों के साथ-साथ छोटे और लघु उद्यमियों (Farmers and Small Scale Entrepreneurs) को भी आत्मनिर्भर बनाया जाएगा. पिछले दिनों ही विश्व सहकारिता आंदोलन के शताब्दी दिवस पर केंद्रीय गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने सहकारिता क्षेत्र से रोजगार उत्सर्जन के साथ ही आत्मनिर्भर भारत बनाने पर बल दिया था.
नई दिल्ली. मोदी सरकार ने सहकारिता (Cooperatives) के माध्यम से विकास का ब्लूप्रिंट (Development Blueprint) तैयार किया है. मोदी सरकार का मानना है कि सहकारिता के माध्यम से ही रोजगार पैदा होगा और किसानों के साथ-साथ छोटे और लघु उद्यमियों (Farmers and Small Scale Entrepreneurs) को भी आत्मनिर्भर बनाया जाएगा. पिछले दिनों ही विश्व सहकारिता आंदोलन के शताब्दी दिवस पर केंद्रीय गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने सहकारिता क्षेत्र से रोजगार उत्सर्जन के साथ ही आत्मनिर्भर भारत बनाने पर बल दिया था. इस मौके पर उन्होंने आने वाले 25 सालों के लिए सहकारिता का ब्लूप्रिंट देश की जनता के सामने रखा. शाह ने बताया कि मौजूदा वक्त में विश्व की 12% आबादी 30 लाख सहकारिता क्षेत्र से जुड़ी हुई है. इसकी कुल अर्थव्यवस्था विश्व में चौथे स्थान पर हैं और भारत की अर्थव्यवस्था से भी बड़ी है. भारत में सहकारिता आंदोलन दुनिया में सबसे बड़ा है. वर्तमान में भारत में 90 प्रतिशत गांवों को कवर करने वाली 8.5 लाख से ज्यादा सहकारी समितियों के नेटवर्क है. यह ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में समावेशी विकास के उद्देश्य से सामाजिक-आर्थिक विकास लाने के लिए महत्वपूर्ण संस्थान हैं.
आपको बता दें कि अमूल, इफ्को, कृभको, नाफेड आदि भारत में सहकारिता आंदोलन की कुछ जानी-मानी सफलता की कहानियां हैं. मोदी सरकार ने जुलाई, 2021 में सहकारिता मंत्रालय का गठन किया था. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को नव गठित सहकारिता मंत्रालय का प्रभार दिया गया था. इसके गठन के बाद से ही मंत्रालय नई सहकारिता नीति और योजनाओं के मसौदे पर काम कर रहा है. भारत सरकार और भारतीय राष्ट्रीय सहकारी संघ (एनसीयूआई) द्वारा बीते 4 जुलाई को नई दिल्ली के विज्ञान भवन में 100वें अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता दिवस का कार्यक्रम रखा गया था, जिसके मुख्य अतिथि अमित शाह थे. एनसीयूआई भारत में सहकारिता शिक्षा और प्रशिक्षण पर केंद्रित सहकारिता आंदोलन का एक सर्वोच्च संगठन है. मोदी सरकार ने जुलाई, 2021 में सहकारिता मंत्रालय की स्थापना की थी.
अब सहकारिता से सशक्त होगा भारत
मोदी सरकार सहकारिता क्षेत्र के जरिए देश के किसान, कृषि और ग्रामीण क्षेत्रों के विकास एवं सशक्तिकरण पर काम कर रही है. यही वजह है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केन्द्र सरकार ‘सहकार से समृद्धि’ के मंत्र के साथ सहकारिता क्षेत्र को सशक्त बना रही है. हाल ही में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (पीएसीएस) के कंप्यूटरीकरण को स्वीकृति देकर सहकारिता क्षेत्र को मजबूत बनाने का अहम फैसला लिया है. इसका उद्देश्य पीएसीएस की दक्षता बढ़ाना, पारदर्शिता लाना और उनके संचालन में विश्वसनीयता लाना, पीएसीएस के कामकाज में विविधता लाने और कई गतिविधियों/सेवाओं के संचालन में सहायता देना है. यह परियोजना 2,516 करोड़ रुपये के कुल बजट के साथ 5 साल की अवधि में लगभग 63,000 सक्रिय पीएसीएस के कंप्यूटरीकरण का प्रस्ताव करती है.
क्या कहा अमित शाह ने
अमित शाह ने सहकारिता के 100 वर्ष पूरे होने पर अपने संबोधन में कहा, ‘देश आज़ादी का अमृत महोत्सव मना रहा है और हमें ये संकल्प लेना है कि देश की आज़ादी के सौ वर्ष होने पर वर्ष 2047 देश में सहकारिता के शिखर का वर्ष होगा. हर क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना को चरितार्थ करने के लिए सहकारिता आगे बढ़ी है. विगत 100 साल में पूरी दुनिया ने साम्यवाद और पूंजीवाद के मॉडल को अपनाया, लेकिन सहकारिता का मध्यम मार्ग का मॉडल समूचे विश्व को एक नया, सफल और टिकाऊ आर्थिक मॉडल प्रदान करता है. प्रचलित आर्थिक मॉडल के कारण जो असंतुलित विकास हुआ, उसे सर्वस्पर्शी और सर्वसमावेशी बनाने के लिए सहकारिता के मॉडल को लोकप्रिय बनाना होगा जिससे आत्मनिर्भर भारत का निर्माण होगा.’ भारत में अपने 100-125 सालों के आंदोलन के दौरान सहकारिता ने अपना एक अलग स्थान बनाया है- अमित शाह
भारत में सहकारिता आंदोलन और उसका भविष्य
भारत में अपने 100-125 सालों के आंदोलन के दौरान सहकारिता ने अपना एक अलग स्थान बनाया है. अमित शाह ने कहा, ‘दुनियाभर में लगभग 12 प्रतिशत से ज़्यादा आबादी 30 लाख से ज़्यादा सहकारी समितियों के माध्यम से सहकारिता से जुड़ी है. दुनिया की संयुक्त सहकारिता अर्थव्यवस्था विश्व की पांचवी सबसे बड़ी आर्थिक इकाई है और ये एक बहुत बड़ी उपलब्धि है. कई लोगों के मन में ग़लत धारणा है कि सहकारिता विफल रही है लेकिन उन्हें वैश्विक आंकड़ों पर नज़र डालनी चाहिए जिससे ये पता चलता है कि कई देशों की जीडीपी में सहकारिता का बहुत बड़ा योगदान है. विश्व की 300 सबसे बड़ी सहकारी समितियों में से अमूल, इफ़्को और कृभको के रूप में भारत की तीन समितियां भी शामिल हैं. हमने देश में सहकारिता के प्राणक्षेत्र को बचाकर रखा है और इसके परिणामस्वरूप अमूल, इफ़्को और कृभको का मुनाफ़ा सीधा किसानों के बैंक खातों में पहुंचाने का काम केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार ने किया है. पूरी दुनिया की 30 लाख सहकारी समितियों में से 8,55,000 भारत में हैं और लगभग 13 करोड़ लोग सीधे इनसे जुड़े हैं. देश के 91 प्रतिशत गांव ऐसे हैं जिनमें कोई ना कोई सहकारी समिति है.’
सहकारिता के माध्यम से कैसे काम हो रहा है
देश के पहले सहकारिता मंत्री ने कहा कि मोदी सरकार ने देश की 65,000 प्राथमिक कृषि क्रेडिट समितियों (PACS) के कम्प्यूटरीकरण का निर्णय किया है, जिससे PACS, ज़िला सहकारी बैंक, राज्य सहकारी बैक और नाबार्ड ऑनलाइन हो जाएंगे. इससे व्यवस्था में पारदर्शिता आएगी. उन्होंने कहा कि PACS राज्यों का विषय है और केन्द्र ने PACS के संदर्भ में मॉडल बाय-लॉ (Model By-laws) राज्यों को उनके सुझावों के लिए भेजे हैं, ताकि PACS को बहुद्देशीय और बहुआयामी बना जा सके. अमित शाह ने कहा कि जल्द ही इन (Model By-laws) को सहकारी समितियों को भी सुझावों के लिए भेजा जाएगा.
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अमित शाह ने कहा कि जल्द ही इन (Model By-laws) को सहकारी समितियों को भी सुझावों के लिए भेजा जाएगा. 25 प्रकार की गतिविधियों को PACS के साथ जोड़ा जाएगा, जिससे रोजगार के अवसर बढ़ेंगे. ये उप-नियम PACS को बहुत सारे कार्य और सुविधाएं देकर गांव की गतिविधियों का केन्द्र बनाएंगे. हाल ही मोदी सरकार ने सहकारी समितियों को बी GEM के ज़रिए ख़रीदी करने की अनुमति दे दी है. सहकारिता मंत्रालय PACS का एक डेटाबेस भी बना रहा है.
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Tags: Cooperative Policy, Home Minister Amit Shah, Modi government, PM ModiFIRST PUBLISHED : July 07, 2022, 19:34 IST