नमक कानून तोड़ने पर हुई थी ठाकुर अर्जुन सिंह की पहली गिरफ्तारी जानें वजह

Independence Day 2024: उत्तर प्रदेश के सहारनपुर से कई क्रांतिकारियों ने आजादी की लड़ाई में अपने प्राण न्यौछावर किया था. ऐसे में सहारनपुर के ठाकुर अर्जुन सिंह ने भी अंग्रेजों का डंटकर सामना किया था. इसके लिए उन पर राजद्रोह का मुकदमा चला. वह कई बार जेल भी गए. आईये जानते हैं उनके बारे में..

नमक कानून तोड़ने पर हुई थी ठाकुर अर्जुन सिंह की पहली गिरफ्तारी जानें वजह
अंकुर सैनी/सहारनपुर: उत्तर प्रदेश के सहारनपुर की भूमि ने एक से बढ़कर एक स्वतंत्रता सेनानी को जन्म दिया है, जो अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए कई बार जेल गए और अंग्रेजी हुकूमत की कड़ी से कड़ी यातनाओं को हंसी खुशी सहा. आज हम बात कर रहे हैं सहारनपुर जनपद के एक छोटे से गांव भावसी रायपुर निवासी स्वर्गीय ठाकुर अर्जुन सिंह की, जिनकी चर्चा किए बिना स्वतंत्रता संग्राम की बात करना बेमानी होगा. ठाकुर अर्जुन सिंह ने दिया था पहला भाषण ठाकुर अर्जुन सिंह का जन्म सन 1892 में भावसी रायपुर गांव के एक जमीदार परिवार में हुआ था. ठाकुर अर्जुन सिंह बचपन से ही स्वतंत्रता आंदोलन में हिस्सा लेने लगे थे, जिसके चलते उनको कई बार जेल भी जाना पड़ा. साहित्यकार डॉक्टर वीरेंद्र आजम बताते हैं कि 8 मार्च 1930 को मोरा गांव में कांग्रेस की कॉन्फ्रेंस हुई. इस कॉन्फ्रेंस में ठाकुर अर्जुन सिंह ने नमक कानून के प्रति भाषण दिया और लोगों को जागरूक किया. अंग्रेजों ने चलाया राजद्रोह का मामला अंग्रेजी हुकूमत द्वारा ठाकुर अर्जुन सिंह पर राजद्रोह का आरोप लगाते हुए सहारनपुर जिले से उनकी पहली गिरफ्तारी की गई. उनकी गिरफ्तारी की खबर लगते ही देवबंद, रुड़की, नानौता, सरसावा सहित कई स्थानों पर जनसभाएं होनी शुरू हो गई. उसके बाद 18 अप्रैल 1930 को अजीत प्रसाद जैन के नेतृत्व में इस आंदोलन की शुरुआत हुई. स्वतंत्रता सेनानी नौजवान सभा का आयोजन 24 अप्रैल 1930 को स्वतंत्रता सेनानी नौजवान भारत सभा के संयोजक ललिता प्रसाद अख्तर मंजरुल नबी के नेतृत्व में जलसा हुआ. इसके बाद एक योजना बनाई गई और एक जत्था जिनकी भीड़ लगभग 10 हजार थी. जहां फुलवारी आश्रम के लिए नमक कानून तोड़ने के लिए रवाना हुआ. इसके बाद फुलवारी आश्रम में पहुंचकर नमक की पुड़िया बनाई गई. विदेशी कपड़ों की जलाई गई होली यहां नमक की पुड़िया को नीलाम किया गया. इसके बाद विदेशी कपड़ों की होली भी जलाई गई. लगातार 6 दिन तक यह आंदोलन चला, स्वतंत्रता सेनानियों के गुस्से को देखते हुए अंग्रेजी हुकूमत इतनी डर गई थी कि ठाकुर अर्जुन सिंह के मुकदमे की सुनवाई जेल में ही कर उन्हें एक वर्ष की कठोर सजा सुना दी गई. ठाकुर अर्जुन सिंह बने थे प्रथम बोर्ड के अध्यक्ष ठाकुर अर्जुन सिंह आजाद भारत के जिला पंचायत के प्रथम बोर्ड के अध्यक्ष बने और लगातार 10 सालों तक अध्यक्ष रहे. उनके स्वतन्त्रता संग्राम में भागीदारी करने पर तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा ताम्रपत्र प्रदान कर सम्मानित किया गया और नानौता ब्लॉक कार्यालय में लगी शिलापट्ट पर नाम अंकित किया गया था. 1931 को गांधी-इरविन समझौते के तहत उनकी रिहाई हो पाई. 1932 में आन्दोलन दोबारा शुरू होने पर अंग्रेजों ने उन्हें फिर से 6 माह के लिए जेल में डाल दिया. इसके बाद उन्होंने अनेक आंदोलनों का नेतृत्व किया और जेल जाते रहे. Tags: Independence day, Independence Day Alert, Local18, Saharanpur newsFIRST PUBLISHED : August 14, 2024, 11:13 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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