Bareilly: दिन में इस जगह बिछाई जाती थी रेल पटरी लेकिन अगली सुबह पाई जाती थी उखड़ी हुई

इज्जत नगर रेलवे स्टेशन पर मजार में मौजूद फातिमा शबनम बताती हैं कि उस वक्त यहां जंगल हुआ करता था. जंगल में सैयद नन्हें शाह का मजार बना हुआ था. इस जंगल से अंग्रेजी हुकूमत रेल की पटरी डालकर ट्रेनों के आने-जाने का इंतजाम कर रही थी. प्रतिदिन अंग्रेज अफसर मजार के पहले तक रेल लाइन डलवाते थे और अगली सुबह यहां दोबारा आने पर लाइन अपनी जगह से हटा हुआ पाते थे. यह सिलसिला कई दिन तक इसी तरह चला

Bareilly: दिन में इस जगह बिछाई जाती थी रेल पटरी लेकिन अगली सुबह पाई जाती थी उखड़ी हुई
अंश कुमार माथुर बरेली. देश गुलामी की जंजीरों से जकड़ा हुआ था. यह बात है वर्ष 1875 की. भारत में ब्रिटिश हुकूमत थी. उन्होंने उस वक्त कोलकाता, दिल्ली और इलाहाबाद से पहाड़ तक जाने के लिए ट्रेन चलाने का फैसला किया. इसके लिए अंग्रेजी हुकूमत ने पहाड़ से रेल लाइन डालने का काम शुरू कर दिया. मगर इज्जत नगर रेलवे स्टेशन पर रेल लाइन के बीच में एक मजार आ गई. अंग्रेजी हुकूमत ने मजार को हटाकर रेलवे लाइन डालने का मैप तैयार किया था. इज्जत नगर रेलवे स्टेशन पर मजार में मौजूद फातिमा शबनम बताती हैं कि उस वक्त यहां जंगल हुआ करता था. जंगल में सैयद नन्हें शाह का मजार बना हुआ था. इस जंगल से अंग्रेजी हुकूमत रेल की पटरी डालकर ट्रेनों के आने-जाने का इंतजाम कर रही थी. प्रतिदिन अंग्रेज अफसर मजार के पहले तक रेल लाइन डलवाते थे और अगली सुबह यहां दोबारा आने पर लाइन अपनी जगह से हटा हुआ पाते थे. यह सिलसिला कई दिन तक चला. इससे ब्रिटिश हुकूमत के अधिकारी परेशान हो गए. उनको शक हुआ कि रात में कोई आकर ट्रैक को हटा जाता है. मजार के पास लगाई गई फौज की ड्यूटी इसके बाद अंग्रेज सिपाहियों की यहां ड्यूटी लगा दी गई. उसके बाद भी अंग्रेजी फौज की मौजूदगी में रेल लाइन अपने आप हटने लगी. सिपाहियों ने अपने अफसरों को इस बात की जानकारी दी. इसके बाद अगले दिन अफसर रात में पहुंचे. उनके सामने भी यह रहस्यमयी घटना हुई. इसके बाद ब्रिटिश हुकूमत ने रेल लाइन के मैप में बदलाव किया तब जाकर रेल लाइन आगे बन सकी. यह मजार स्टेशन पर अप-डाउन लाइन की दो रेल पटरी के बीच में था जो अब प्लेटफार्म पर आ गया है. मजार को हटाने का किया गया प्रयास अंग्रेजों ने वर्ष 1853 में देश की पहली ट्रेन दौड़ाई थी. इसके कुछ वर्ष बाद पहाड़ों से भी ट्रेनों का संचालन शुरू करना उनकी प्राथमिकता में था. इसके लिए पहाड़ से मैदानी इलाकों को जोड़ने के लिए 1875 में प्रयास शुरू हो गये थे. अंग्रेजी हुकूमत जाने के बाद इज्जत नगर रेल मंडल में 14 अप्रैल, 1952 को भारत सरकार के जीएम और डीआरएम स्टेशन पर आए. बताया जाता है कि उन्होंने भी मजार को हटाने की कोशिश की, लेकिन वो भी इसमें कामयाब नहीं हो पाए. उनके साथ भी कुछ रहस्यमयी घटनाएं हुई. इसके बाद उन्होंने भी मजार को हटाने से मना कर दिया. स्टेशन का रेल ट्रैक मीटरगेज से ब्रॉडगेज में परिवर्तित हुआ. इस दौरान भी प्रयास किया गया, लेकिन फिर रेल प्रशासन ने अचानक यह इरादा छोड़ दिया. मजार पर पहुंचते हैं दूर-दूर से जायरीन सैयद नन्हे शाह की मजार की देखभाल करने वाली खादिम फातिमा शबनम बताती हैं कि यहां मई में हर साल सालाना उर्स होता है. इसमें दूर-दूर से जायरीन आते हैं. प्रतिदिन यहां इबादत करने वाले हर धर्म और पंथ के लोगों का आना-जाना लगा रहता है. वहीं, इज्जत नगर रेल मंडल के पीआरओ राजेंद्र सिंह ने बताया कि यहां अंग्रेजों के समय से सैयद नन्हे मियां का मजार इज्जत नगर स्टेशन परिसर में मौजूद है. यह पहले अप-डाउन लाइन के बीच में था जिसे अब हादसों से बचाव के लिए पुनर्निर्माण में प्लेटफॉर्म पर ले लिया गया है. ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें up24x7news.com हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट up24x7news.com हिंदी| Tags: Bareilly news, Indian Railways, Up news in hindiFIRST PUBLISHED : November 09, 2022, 20:03 IST