Opinion: बाबा साहेब अम्बेडकर के विचारों पर चल रही मोदी सरकार

अब मोदी सरकार लैटरल एंट्री में सोशल जस्टिस और SC, ST, EWS तथा OBC को  जोड़ने की व्यवस्था करने जा रही है. मोदी सरकार ही है जो अपने विरोधियों की भी आवाज सुनने के लिए तैयार है.

Opinion: बाबा साहेब अम्बेडकर के विचारों पर चल रही मोदी सरकार
पिछले दिनों केंद्र सरकार में जॉइंट सेक्रेटरी, डिप्टी सेक्रेटरी और डायरेक्टर लेवल के लेटरल एंट्री पर घमासान मच गया। यूपीएससी ने 45 पद लेटरल एंट्री का विज्ञापन जारी किया. विज्ञापन आते ही विपक्ष के बांक्षे खील गयी, विपक्ष को लगा इस मुद्दे से केंद्र सरकार को जबरदस्त घेरा जाए। लेकिन ये मोदी सरकार है. जिसे विपक्ष की सियासत से दूर, सामाजिक समरसता और पिछडो की चिंता ज्यादा रहती है. इस लेटरल एंट्री की सिफारिश भले ही कांग्रेस के शासन के दौरान हुआ हो, लेकिन पीएम मोदी को लेटरल एंट्री में आरक्षण का ना होना ठीक नहीं लगा. आलम ये हुआ है कि यूपीएससी ने तो तत्काल इस फैसले को वापस लेना का फरमान जारी कर दिया गया. पीएम मोदी के आदेश पर लिए गए फैसले पर सूचना और प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव से साफ कर दिया कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने के लिए ‘लेटरल एंट्री’ के जरिये नियुक्ति में आरक्षण के सिद्धांत को लागू करने का फैसला किया है. वैष्णव ने कहा कि प्रधानमंत्री ने इस महत्वपूर्ण निर्णय से एक बार फिर बीआर आंबेडकर की संविधान के प्रति प्रतिबद्धता को मजबूत किया है. ऐसा नहीं है कि केंद्र के बड़े पदों पर लैटरल एंट्री की शुरुआत मोदी सरकार में ही हुई है. बिना नियम कायदे कानून के पिछले 75 सालो से केंद्र के बड़े नौकरीयों में लेटरल एंट्री होती रही है. लेकिन इन एंट्री में किसी तरह का रिजर्वेशन पहले कभी दिया गया, लेकिन अब मोदी सरकार लैटरल एंट्री में सोशल जस्टिस और SC, ST, EWS तथा OBC को  जोड़ने की व्यवस्था करने जा रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश के हर वक़्त हर व्यक्ति यहाँ तक कि अपने विरोधियों की आवाज़ सुनने को तैयार हैं। पीएम मोदी के लिए राष्ट्र हित सर्वोपरि है और इसके लिए हर मामले में झुकने को तैयार, और अगर मामला सामाजिक समरसता और सामाजिक न्याय का हो तो फिर मोदी रुकते नहीं है. आज एक कदम पीछे हटकर अब उन्होंने दुनिया भर से टैलेंट लाने का लैटरल एंट्री का नया रास्ता खोल दिया है, जिसका अब कोई विरोध नहीं करेगा। लैटरल एंट्री और डायवर्सिटी का ये मेल राष्ट्र हित में चमत्कार करेगा। हर समाज से आएँगे। बाबा साहब के आदर्शो पर अग्रसर मोदी सरकार बाबा साहेब के नाम पर गाहे बगाहे देश के सभी राजनीतिक पार्टियां अपनी राजनीति चलाती है. लेकिम मोदी सरकार बाबा साहेब के आदर्शो पर चलने में अग्रणी भूमिका निभाते रहे है. पीएम मोदी ने संविधान दिवस समारोह की शुरुआत की. 1950 से ये होना चाहिए था। अब जाकर सरकारी लेवल पर ये समारोह हो रहा है। बाबा साहब के जीवन से जुड़े पंचतीर्थ भी उनको ही बनवाने पड़े। लंदन का बाबा साहब का घर ख़रीदकर म्यूज़ियम बनाया गया। वह भी इसी सरकार में हुआ। NEET ऑल इंडिया सीट में ओबीसी कोटा कोई भी पीएम कर सकते थे। पर ये भी पीएम मोदी ने किया। ओबीसी आयोग को संवैधानिक दर्जा 1993 में दिया जा सकता था, वह भी पीएम मोदी ने अपनी सरकार के आते दिया। पीएम मोदी ने भारत में पहला विश्व बौद्ध सम्मेलन करवाया. भारत को पहली बार एक आदिवासी राष्ट्रपति भी पीएम मोदी  के कार्यकाल में हुआ. मोदी कार्यकाल में कलाकार कटेगरी से पहली बार एक दलित और सर्वश्रेष्ठ संगीतकार इलैयाराजा मोदी के समय ही मनोनीत कटेगरी से राज्य सभा पहुँचते हैं। ग़रीब सवर्णो का ख़्याल भी पहली बार मोदी जी ने ही किया और EWS को 10% दिया। महिला आरक्षण संविधान संशोधन बिल भी उन्होंने ही पास कराया। लेटरल एंट्री की सिफारिश कांग्रेस सरकार में सैद्धांतिक रूप से लेटरल एंट्री की सिफारिश साल 2005 में वीरप्पा मोइली की अगुवाई में गठित द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग ने की थी. 2013 में छठे वेतन आयोग की सिफारिशें भी इसी दिशा में थीं. इसके पहले और बाद में, लेटरल लेटरल एंट्री के कई हाई-प्रोफाइल मामले सामने आए हैं. पिछली सरकारों में विभिन्न मंत्रालयों में सचिव जैसे महत्वपूर्ण पद, यूआईडीएआई का नेतृत्व आरक्षण की किसी प्रक्रिया का पालन किए बिना लेटरल एंट्री वालों को दिए गए हैं. यह भी सभी जानते हैं कि राष्ट्रीय सलाहकार परिषद के सदस्य एक सुपर-नौकरशाही चलाते थे जो पीएमओ को कंट्रोल करती थी. 2014 से पहले अधिकांश प्रमुख लेटरल एंट्रीज तदर्थ तरीके से की गई थीं जिनमें पक्षपात के आरोप भी लगे. वीरप्पा मोइली की गिनती कांग्रेस के बड़े नेताओं में होती है. 2004 से 2014 तक देश में कांग्रेस की अगुवाई वाले यूपीए की सरकार रही. सचिव और यूआईडीआईए के नेतृत्व, एनएसी का जिक्र और लेटरल एंट्रीज में पक्षपात के आरोप, ये सब सरकार की ओर से ये स्थापित करने की कोशिश बताए जा रहे हैं कि लेटरल एंट्री उसी कांग्रेस ने शुरू की थी जो आज इसे मुद्दा बनाकर सरकार को घेर रही है. कांग्रेस नेता की अगुवाई वाली कमेटी ने ही इसकी सिफारिश की थी और आज जब मोदी सरकार के दौरान उसी तरह की नियुक्तियों के लिए विज्ञापन जारी किए गए तब वे हंगामा कर रहे हैं. उन्होंने अपने पत्र में लिखा भी है- सरकार का प्रयास लेटरल एंट्री की प्रक्रिया को खुला, पारदर्शी और संस्थागत बनाने का है. ‘लैटरल एंट्री’ का सिलसिला दशकों से चल रहा, जानिए किन प्रमुख व्यक्तियों को पीछे के दरवाजे से दिए गए पद लैटरल एंट्री पंडित जवारलाल नेहरू के प्रधानमंत्री के कार्यकाल के दौर से ही चलती रही हैं. ये सिलसिला इदिरा गांधी के जमाने से राजीव गांधी से होते हुए मनमोहन सिंह सरकार तक चलती रही है. लैटरल एंट्री के जरिए हुईं प्रमुख नियुक्तियां- सन 1971 में मनमोहन सिंह को विदेश व्यापार मंत्रालय में सलाहकार नियुक्त किया गया था. सिंह सन 1991 में  वित्त मंत्री बनाए गए थे. इसके बाद वे 2004 से 2014 तक दो बार प्रधानमंत्री रहे. सैम पित्रोदा को सन 1980 में पब्लिक इन्फ्रा और इनोवेशंस के लिए प्रधानमंत्री का सलाहकार नियुक्त किया गया था. बिमल जालान ने सन 1077 से 2003 तक प्रमुख आर्थिक सलाहकार के रूप में सेवाएं दीं. कौशिक बसु सन 2009 में प्रमुख आर्थिक सलाहकार नियुक्त किए गए थे. अरविंद वीरमानी ने सन 2007 से 2009 तक प्रमुख आर्थिक सलाहकार के पद पर कार्य किया. रघुराम राजन को भी प्रमुख आर्थिक सलाहकार नियुक्त किया गया था. मोंटेक अहलूवालिया सन 2004 से 2014 तक योजना आयोग के चेयरमेन रहे थे. नंदन नीलकेणी को सन 2009 में यूआईडीएआई (UIDAI) का चेयरमेन नियुक्त किया गया था Tags: Ambedkar Jayanti, PM ModiFIRST PUBLISHED : August 22, 2024, 10:46 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed