इस कैंसर अस्पताल ने बाढ़ में भी नहीं हारी हिम्मत पद्मश्री डॉक्टर सड़क पर मरीजों का कर रहे इलाज
इस कैंसर अस्पताल ने बाढ़ में भी नहीं हारी हिम्मत पद्मश्री डॉक्टर सड़क पर मरीजों का कर रहे इलाज
अस्पताल के बाहर जहां बाढ़ का पानी नहीं पहुंचा है, वहीं सड़क किनारे चल रही है ओपीडी. सामान्य ट्रीटमेंट और ब्लड चढ़ाने का काम भी बाहर ही हो रहा है. जिनका इलाज बाहर नहीं हो पा रहा है, उन्हें अस्पताल लेकर जा रहे हैं.
असम बाढ़ से जूझ रहा है. इस बीच राज्य के बड़े शहरों में से एक सिलचर के मेहरपुर से आ रही तस्वीरों ने सबका ध्यान खींचा है. यहां कछार कैंसर अस्पताल के मरीज सड़क किनारे पेड़ों की छांव में इलाज कराने को मज़बूर हैं. ऊपर काले बादल छाए हैं और नीचे डॉक्टर मरीजों का इलाज और कीमोथेरेपी कर रहे हैं. बता दें कि इलाके के ज्यादातर अस्पतालों में पिछले एक हफ्ते से पानी भरा है. ऐसे में अस्पतालों की ओपीडी भी सड़क किनारे ही चल रही है.
न्यूज 18 से बात करते हुए कछार कैंसर अस्पताल सोसायटी के डायरेक्टर पद्मश्री डॉ. रवि कन्नन कहते हैं, “बाढ़ ने सब कुछ तहस-नहस कर दिया है. इससे चीजें लोगों की क्षमता के बाहर चली गई हैं. ऐसे में कुछ एनजीओ, लोग अपनी-अपनी क्षमता के अनुसार मदद करने में लगे हैं. जिला प्रशासन राहत कार्य में लगा हुआ है.”
वह कहते हैं, “हम लोग खुद बचाव कार्य में लगे हुए हैं. अस्पताल आने वाले रास्ते में बाढ़ का पानी भरा है. ऐसे में मरीज उसी को पार करके आने के लिए मजबूर हैं. ऐसे में हम लोग बाहर ही ओपीडी चला रहे हैं. सामान्य ट्रीटमेंट और ब्लड चढ़ाने का काम भी बाहर ही हो रहा है. जिनका इलाज बाहर नहीं हो पा रहा है, उन्हें अस्पताल लेकर जा रहे हैं. न्यूक्लियर मेडिसिन डिपार्टमेंट बाढ़ के पानी से भरा हुआ है.”
3 लाख लोग प्रभावित हैं बाढ़ से
बता दें कि दक्षिण असम के इस शहर में बराक नदी बहती है. वह इन दिनों खतरे के निशान से ऊपर बह रही है. इससे करीब 3 लाख लोग प्रभावित हैं. वहां एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और सेना के जवान राहत कार्य में लगे हुए हैं. वहां पीने का पानी नहीं मिलना सबसे बड़ी चुनौती है. ऐसे में कई संस्थाएं वहां पैकेट में पानी भेज रही हैं.
कछार के डिप्टी कमिश्नर कीर्ति जल्ली ने न्यूज18 से कहा, “भारतीय सेना द्वारा भी हेलीकॉप्टर के जरिए खाना, पानी और दूसरी जरूरी चीजें लोगों तक पहुंचाई जा रही हैं. मानवरहित एरियल व्हीकल (UAVs) को भी वहां राहत कार्य में लगाया गया है. उसके जरिए कहां कितना नुकसान हुआ है उसका अंदाजा लगाया जा रहा है.”
राहत कार्य के भरोसे हैं लाखों लोग
हालांकि, इन दिनों बाढ़ का पानी घटने लगा है. लेकिन, इसके साथ ही वहां दलदल और कीचड़ जैसी स्थिति बनी हुई है. बाढ़ अपने साथ गंदगी छोड़कर लौट रही है. लाखों लोग इससे परेशान हैं और राहत कार्य के भरोसे हैं.
डिप्टी कमिश्नर ने आगे कहा, “जिले की डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी (DDMA), UNICEF और OXFAM ने नाव से राहत बचाव कार्य जारी किया है. इससे वे जरूरतमंदों को न सिर्फ सामान पहुंचा रहे हैं, बल्कि इलाज की भी व्यवस्था की हुई है.”
दूसरी तरफ डॉ. कन्नन का कहना है, “जब बाढ़ तेजी से हमारी तरफ बढ़ रही थी तभी हमने एक क्राफ्ट तैयार कर लिया था. हमने 4 लॉरी ट्यूब्स लेकर उसे लकड़ियों को बांध दिया था. इससे हम मरीजों को अस्पताल से बाहर और बाहर से अस्पताल में ले आ-जा रहे हैं. वह खुद हर एक चीज पर नजर रखे हैं और कोशिश कर रहे हैं कि सब तक मदद पहुंचे.”
2007 में चेन्नई से असम आए थे डॉ. रवि कन्नन
बता दें कि डॉ. रवि कन्नन 2007 में चेन्नई से असम शिफ्ट हो गए थे. वह उस समय एक सेटल लाइफ जी रहे थे, लेकिन मरीजों की मदद के लिए वह असम आ गए थे. धीरे-धीरे उन्होंने अस्पताल तैयार किया. वहां बेड्स बढ़ाए और नर्सों की संख्या बढ़ाई. इसके साथ ही घरों का दौरा करने लगे. मरीजों के साथ आने वाले लोगों को पढ़ाने लगे और उन्हें जागरूक करने लगे.
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Tags: Cancer, up24x7news.com Hindi OriginalsFIRST PUBLISHED : July 01, 2022, 16:01 IST