यूपी के इस शहर में बच्चों में बढ़ रही आक्रामकता सप्ताह में आए 20 केस

Psychiatrist in Moradabad: मुरादाबाद के मनोरोग विशेषज्ञ डॉक्टर कार्तिकेय गुप्ता ने बताया कि मौजूदा समय में बच्चों में भावशून्यता और चिड़चिड़ापन के मामले अधिक आ रहे हैं. बच्चों में हिंसात्मक प्रवृत्ति भी विकसित हो रही है. ऐसे में बच्चों को इन बीमारियों की चपेट में लाने का मुख्य कारण संयुक्त परिवार का न होना और मोबाइल फोन है. दिन-रात मोबाइल में खेलने से बच्चों के मानसिक स्तर पर बहुत बुरा असर पड़ रहा है.

यूपी के इस शहर में बच्चों में बढ़ रही आक्रामकता सप्ताह में आए 20 केस
पीयूष शर्मा/मुरादाबाद: आज की भागदौड़ भरी जिंदगी और नौकरीपेशा व्यवसाय आदि के लिए लोगों का घरों से दूर जाना संयुक्त परिवारों के लिए संकट बन गया है. इसका पूरा असर बच्चों के बचपन पर पड़ रहा है. छोटे और एकल परिवारों के बच्चे बहुत तेजी से बिहेवियर डिसऑर्डर की चपेट में आ रहे हैं. एंजाइटी और कंडक्ट डिसऑर्डर बच्चों को अपनी गिरफ्त में ले रहा है. शहर के मनोचिकित्सकों की मानें तो एक सप्ताह में 15 से 20 केस आ रहे हैं. बच्चों में बढ़ रहा भाव शून्यता और चिड़चिड़ापन मुरादाबाद के चिकित्सकों का कहना है कि बच्चों में भावशून्यता और चिड़चिड़ापन बढ़ने के साथ ही उनमें हिंसात्मक प्रवृत्ति भी विकसित हो रही है. बच्चों को इन बीमारियों की चपेट में लाने का मुख्य कारण संयुक्त परिवार का न होना और मोबाइल फोन है. दिन-रात मोबाइल में खेलने से बच्चों के मानसिक स्तर पर बहुत बुरा असर पड़ रहा है. जिले में कई मामले आए सामने डॉ. नीरज गुप्ता ने बताया कि ऐसे कई मामले सामने आए हैं जो एकल परिवारों में रहने वाले बच्चों का मानसिक स्वास्थ्य बिगडने और उनमें सकारात्मक मानसिक भाव विकसित नहीं होना प्रमाणित करते हैं. इस पर माता-पिता को ध्यान देना होगा. मनोरोग विशेषज्ञ डॉक्टर कार्तिकेय गुप्ता ने बताया कि बच्चों में बिहेवियर डिसऑर्डर जितना गंभीर शक्ल में वर्तमान समय में सामने आ रहा है. उतना पहले कभी नहीं दिखाई दिया. बच्चों में मानसिक समस्याएं बहुत तेजी से बढ़ने का एक बड़ा कारण परिवारों का छोटे होते जाना बन रहा है. साइकोलॉजिस्ट ने बच्चों को लेकर बताया डॉ. नीरज गुप्ता ने बताया कि रिश्तों की वास्तविक दुनिया से बच्चे वंचित हो रहे हैं. जहां आभासी दुनिया से उनका रिश्ता लगातार जुड़ता जा रहा है. जिला अस्पताल में कार्यरत राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट डॉ एस धनंजय ने बताया कि बच्चों की काउंसलिंग करने पर उनमें अकेलेपन का अवसाद बड़ी समस्या के रूप में सामने आया है. दादा-दादी का सानिध्य मिलने की जगह अकेलापन महसूस कर रहे बच्चों के वर्चुअल दुनिया में सुकून ढूंढन की कोशिश नुकसान पहुंचा रही है. Tags: Local18, Moradabad NewsFIRST PUBLISHED : May 18, 2024, 16:40 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed