गन्ने के तने से निकल रहा हो भूरे रंग का बुरादा तो लगा दें 50 रुपए वाला कार्ड

गन्ने की फसल के लिए तना भेदक कीट बेहद ही एक बड़ी समस्या है. यह कीट गन्ने के परिपक्व तने में घुसकर छेद करता है. गन्ने का रंग लाल होने के बाद गन्ने का पूरा पौधा सूखकर नष्ट हो जाता है. जिससे गन्ने की फसल के उत्पादन पर विपरीत प्रभाव पड़ता है. ऐसे में जरूरी है कि किसान रासायनिक और जैविक तरीके से तना भेदक कीट का नियंत्रण करें.

गन्ने के तने से निकल रहा हो भूरे रंग का बुरादा तो लगा दें 50 रुपए वाला कार्ड
शाहजहांपुर: गन्ने की फसल के लिए तना भेदक कीट एक गंभीर समस्या है. यह कीट गन्ने की पत्तियों से होते हुए तने में छेद करके अंदर घुस जाता है. इससे गन्ने की पैदावार कम होती है और गुणवत्ता भी खराब होती है. कीटों की चपेट में आने से पौधे मर जाते हैं. जिससे उत्पादन में कमी आती है. संक्रमित गन्ने में चीनी की मात्रा कम होती है और रस की गुणवत्ता खराब हो जाती है. जरूरी है कि समय पर तना भेदक कीट का नियंत्रण किया जाए. उत्तर प्रदेश गन्ना शोध संस्थान की वैज्ञानिक अधिकारी डॉ नीलम कुरील ने बताया कि जुलाई से लेकर गन्ने की फसल काटने तक तना भेदक कीट गन्ने की फसल को प्रभावित करते हैं. कीट के अंडे पत्ती की निचली सतह पर कतार में होते हैं. यह हल्के पीले कलर के होते हैं, एक सप्ताह में अंडे से छोटे-छोटे लार्वा निकल आते हैं जो कि बाद में पत्तियों की मध्य शिरा से होते हुए गन्ने के अंदर प्रवेश कर जाते हैं. धीरे-धीरे तने को खाना शुरू कर देते हैं. जिसके बाद छोटे-छोटे छेद दिखाई देते हैं और उन छेद से कीट मल बाहर निकलते हैं. गन्ना चीरकर देखने पर पूरा गन्ना लाल रंग का दिखाई देता है. गन्ने में छेद के साथ-साथ पत्तियों में भी छेद हो जाते हैं. रासायनिक उपचार से नहीं बनेगी बात डॉ. नीलम कुरील ने बताया कि जुलाई महीने की शुरुआत में ही 200 ml इमिडाक्लोप्रिड (imidacloprid) नाम की दवा को 625 लीटर पानी में घोल बनाकर एक हेक्टेयर गन्ने की फसल में छिड़काव कर दें. छिड़काव करते समय सूखी पत्तियों को हटाकर अलग कर दें. लेकिन अगर कीट गन्ने के तने में प्रवेश कर गए हैं तो रासायनिक उपचार कारगर नहीं रहता, ऐसे में जरूरी है कि किसान जैविक उपचार करें. 10-12 दिन कारगर होगा 1 कार्ड डॉ. नीलम कुरील ने बताया कि अगर गन्ना परिपक्व हो चुका है और पौधे के अंदर कीट गन्ने में घुस चुका है तो कोई भी रासायनिक दवा काम नहीं करेगी. ऐसे में एकमात्र जैविक उपाय ही कारगर हो सकता है. किसान ट्राइकोकार्ड काइलोनिस खेत में लगा दें. एक कार्ड पर 20000 मित्र कीटों के अंडे रहते हैं और एक कार्ड एक एकड़ खेत के लिए पर्याप्त होता है. इस कार्ड में मौजूद मित्र कीट तना छेदक कीटों को मार देते हैं. यह कार्ड जुलाई से अक्टूबर तक किसानों को लगातार लगाना चाहिए. एक कार्ड 10 से 12 दिन तक कारगर रहता है. एक कार्ड की कीमत 50 रुपए है. Tags: Agriculture, Local18, Shahjahanpur News, Sugarcane Farmers, Uttar Pradesh News HindiFIRST PUBLISHED : September 10, 2024, 13:48 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed