सूखे क्षेत्रों में करें कैंसर टॉनिक की खेती 80 दिनों में हो जाएंगे मालामाल

कृषि एक्सपर्ट डॉ. एनसी त्रिपाठी ने बताया कि कंगनी जिसको सूखा प्रभावित क्षेत्रों में भी उगाया जा सकता है. यह कम समय और कम पानी में उगाई जाने वाली ऐसी फसल है. जिसकी खेती कर किसान मालामाल हो सकते हैं. इतना ही नहीं कंगनी औषधि गुणों से भी भरपूर होती है. कंगनी को कैंसर टॉनिक के नाम से भी जाना जाता है.

सूखे क्षेत्रों में करें कैंसर टॉनिक की खेती 80 दिनों में हो जाएंगे मालामाल
सिमरनजीत सिंह/शाहजहांपुर : दुनिया का सबसे पुराना मिलेट जिसे भारत में कौणी, कंगनी और चीन में छोटा चावल भी कहते हैं. इसे कैंसर टॉनिक के नाम से भी जाना जाता है. कंगनी की खेती उत्तराखंड में बड़े पैमाने पर की जाती है. लेकिन बढ़ते पलायन के बीच उत्पादन कम हो गया है. लेकिन कंगनी की खेती आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु, राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना में की जाती है. कम पानी वाले क्षेत्रों में भी इसको आसानी से उगाया जा सकता है. इसमें कम खाद का इस्तेमाल होता है. कृषि विज्ञान केंद्र नियामतपुर के कृषि एक्सपर्ट डॉ. एनसी त्रिपाठी ने बताया कि कंगनी जिसको सूखा प्रभावित क्षेत्रों में भी उगाया जा सकता है. यह कम समय और कम पानी में उगाई जाने वाली ऐसी फसल है. जिसकी खेती कर किसान मालामाल हो सकते हैं. इतना ही नहीं कंगनी औषधि गुणों से भी भरपूर होती है. कंगनी को कैंसर टॉनिक के नाम से भी जाना जाता है. अगर इसको नियमित आहार में शामिल कर लिया जाए तो आप को स्वस्थ भी रखेगी. कंगनी में मैग्नीशियम, फाइबर, आयरन, फास्फोरस, कैरोटिन, प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, कैल्शियम, विटामिन, राइबोफ्लेविन और थियामिन प्रचुर मात्रा में पाए जाते है. कंगनी को गर्भवती महिलाओं और बच्चों के लिए बेहद फायदेमंद बताया गया है. कंगनी का उपयोग कई प्रकार के व्यंजनों में किया जा सकता है. इसके अलावा, कंगनी को चारा के रूप में भी इस्तेमाल किया जा सकता है. उन्नत किस्म का करें चयन डॉ. एन सी त्रिपाठी ने बताया कि किसान कंगनी की खेती करते समय अगर उन्नत किस्म का ही चयन करें. जिससे किसानों को अच्छा उत्पादन मिल सकता है. उन्होंने कहा कि कंगनी की राजेंद्र कौनी 1 किस्म जो कि किसानों के लिए बेहद ही अच्छी मानी जाती है. ये किस्म 80 दिन में पक कर तैयार हो जाती है. जिससे किसानों को अच्छा उत्पादन भी मिलता है. कंगनी की खेती करने के लिए हल्की दोमट मिट्टी हो. जिस खेत में कंगनी की बुवाई करें वहां पानी की निकासी बेहतर हो. खास बात यह है कि कंगनी को ऊसर जमीन में भी उगाया जा सकता है. कंगनी की 1 एकड़ फसल से करीब 6 से 7 क्विंटल तक का उत्पादन आसानी से लिया जा सकता है. खेत को ऐसे करें तैयार डॉ. एन सी त्रिपाठी ने बताया कि कंगनी की बुवाई करने के लिए सबसे पहले खेत को मिट्टी पलटने वाले फल से जोत कर फिर दो बार कल्टीवेटर से जुताई करें. उसके बाद 100 क्विंटल गोबर की सड़ी हुई खाद को खेत में डाल दें. फिर खेत को पाटा लगाकर समतल कर लें. समतल करने के बाद 4 से 6 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर के हिसाब से बुवाई करें. बुवाई सीड ड्रिल से करें. कंगनी की बुवाई मई महीने से जुलाई के महीने तक की जा सकती है. यह समय कंगनी की खेती के लिए बेहद उपयुक्त होता है. ऐसे करें रासायनिक उर्वरक का इस्तेमाल डॉ. एन सी त्रिपाठी ने बताया कि कंगनी की बुवाई करते समय रासायनिक उर्वरक का भी इस्तेमाल कर सकते हैं ताकि किसानों अच्छा उत्पादन मिल सके. 20 किलोग्राम फास्फोरस और 20 किलोग्राम पोटाश प्रति हेक्टेयर के हिसाब से बीज के बुवाई के साथ ही दे दें. कंगनी की बुवाई के 30 दिन बाद नाइट्रोजन का हल्का छिड़काव लगा दें. बारिश होने के बाद एक बार फिर से नाइट्रोजन का इस्तेमाल कर सकते हैं. बारिश न होने पर करें हल्की सिंचाई डॉ. एन सी त्रिपाठी ने बताया कि कंगनी की फसल को कम पानी वाले क्षेत्रों में उगाने के लिए बेहतर माना जाता है. ऐसे में अगर बारिश न भी हो तो 2 बार हल्की सिंचाई की जा सकती हैं. पहली सिंचाई बुवाई के 30 दिनों के बाद और दूसरी बुवाई के 50 दिनों के बाद की जानी चाहिए. खरपतवारों का करें नियंत्रण कंगनी की बुवाई करने के 20 दिनों के बाद निराई गुड़ाई कर दें. दोनों कतारों के बीच उगने वाले खरपतवारों को हल या फिर खुरपी की मदद से नष्ट कर दें. कृषि एक्सपर्ट का कहना है कि कंगनी की खेती में दो निराई गुड़ाई होनी चाहिए. ताकि किसानों को अच्छा उत्पादन मिल सके. Tags: Agriculture, Local18, Shahjahanpur News, Uttar Pradesh News HindiFIRST PUBLISHED : June 1, 2024, 19:51 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed