Oliver Fredrick/लखनऊः उत्तर प्रदेश और देशभर में लोकसभा का चुनाव अब अपने अंतिम फेज में है. ऐसे में राजनीतिक दलों और प्रत्याशियों के बीच मुकाबला तेज होता जा रहा है. इस समय उत्तर प्रदेश की राजनीति दो दिग्गजों के बदलते राजनीतिक रुख के कारण महत्वपूर्ण हो गई है. खासतौर पर प्रतापगढ़ और जौनपुर की दो लोकसभा सीटों पर, जहां 25 मई को मतदान होना है. वहीं कुछ एक्सपर्ट इसे अन्य अटकलों के मुकाबले ‘ठाकुर राजनीति’ करार दे रहे हैं.
इन सीटों पर चुनाव होना बाकी
बता दें कि 25 मई को सुल्तानपुर, प्रतापगढ़, फूलपुर, इलाहाबाद, अंबेडकरनगर, श्रावस्ती, डुमरियागंज, बस्ती, संत कबीर नगर, लालगंज (एससी), आजमगढ़, जौनपुर, मछलीशहर और भदोही सीट पर मतदान होंगे. इसके अलावा 1 जून को महाराजगंज, गोरखपुर, कुशीनगर, देवरिया, बांसगांव, घोसी, सलेमपुर, बलिया, गाजीपुर, चंदौली, वाराणसी, मिर्जापुर और रॉबर्टसगंज सीट पर चुनाव होंगे.
तटस्थ हुए राजा भैया
20 मई को हुए पांचवें चरण के मतदान से पहले, कुंडा विधायक और जनसत्ता दल (लोकतांत्रिक) के प्रमुख रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया द्वारा तटस्थ रुख बनाए रखने के ऐलान ने राज्य के राजनीतिक परिदृश्य में हलचल मचा दी. अपने समर्थकों को उचित समझकर मतदान करने की सलाह देते हुए, राजा भैया ने किसी भी विशिष्ट उम्मीदवार या पार्टी का समर्थन करने से परहेज किया. जबकि ऐलान से कुछ दिन पहले ही बेंगलुरु में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ उनकी बैठक हुई थी. इसके बाद से अटकलें लगाई जा रही थीं कि अब राजा भैया भारतीय जनता पार्टी को समर्थन दे सकते हैं.
पूर्वांचल के प्रमुख ठाकुर नेताओं में से एक हैं राजा भैया
पर्यवेक्षकों का कहना है कि कुंडा रैली के दौरान शाह के मंच पर राजा भैया की अनुपस्थिति और भाजपा के प्रति उनकी गैर-प्रतिबद्धता अप्रत्याशित थी. जनसत्ता दल (लोकतांत्रिक) ने लोकसभा चुनाव में कोई उम्मीदवार नहीं उतारा है, फिर भी रघुराज प्रताप सिंह का प्रभाव, विशेष रूप से प्रतापगढ़ में, जहां 25 मई को मतदान होगा, महत्वपूर्ण बना हुआ है. पूर्वांचल के प्रमुख ठाकुर नेताओं में से एक राजा भैया 1993 से लगातार कुंडा सीट से विधायक चुने जा रहे हैं, जो उनके गहरे प्रभाव और क्षेत्र में उनकी स्थिति और समर्थकों पर विचार करने के लिए किसी भी राजनीतिक दल की आवश्यकता को रेखांकित करता है.
मैं जनसेवक हूं ना कि ईवीएम से पैदा हुआ राजा- रघुराज प्रताप सिंह
राजा भैया ने केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल पर उनकी पिछले हफ्ते की “राजा-रानी” टिप्पणी पर तीखा हमला किया, जिसमें उन्होंने कहा था कि वह जन सेवक हैं, न कि राजा, जो इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) से पैदा होते हैं. दरअसल, कुछ दिन पहले अनुप्रिया पटेल ने कहा था, ‘राजाओं और रानियों का जन्म होना बंद हो गया है. ना राजा रहे, ना रजवाड़े रहे. देश को आज़ाद हुए 70 साल ऊपर हो गए. रघुराज प्रताप सिंह ने कहा, ‘ईवीएम लोक सेवक पैदा करती है, जो पांच साल के लिए लोगों का प्रतिनिधित्व करते हैं, जिसके बाद जनता ईवीएम बटन दबाकर तय करती है कि प्रतिनिधि को एक और मौका दिया जाना है या नहीं.’
स्वयंभू राजाओं का भ्रम तोड़ने का सुनहरा मौका- अनुप्रिया पटेल
राजा भैया का यह बयान अपना दल (सोनेलाल) की राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल द्वारा शनिवार को बिना किसी का नाम लिए, चल रहे लोकसभा चुनावों में तटस्थ रहने के उनके फैसले के लिए सिंह पर निशाना साधने के बाद आया है. कौशांबी संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले प्रतापगढ़ के कुंडा में एक सार्वजनिक रैली के दौरान, पटेल ने कहा, ‘यह स्वयंभू राजाओं के भ्रम को तोड़ने का एक सुनहरा अवसर है , जो सोचते हैं कि कुंडा उनकी जागीर है. आजाद देश में मतदाता ही सर्वशक्तिमान होता है. राजा और रंक बनाने का काम मतदाताओं के हाथ में है.’ उन्होंने मानिकपुर मिलिट्री बाग इलाके में भाजपा के कौशांबी उम्मीदवार विनोद सोनकर के लिए प्रचार करते हुए कहा था.
जौनपुर में बीजेपी को मिला धनंजय सिंह का साथ
दूसरी ओर, पूर्व सांसद और बाहुबली नेता धनंजय सिंह की पत्नी श्रीकला रेड्डी सिंह ने हाल ही में नई दिल्ली में केंद्रीय मंत्री अमित शाह से मुलाकात की, जिससे उनके भाजपा में शामिल होने की अटकलें तेज हो गईं। जौनपुर में प्रभावशाली धनंजय सिंह पहले ही सार्वजनिक तौर पर बीजेपी को समर्थन देने का ऐलान कर चुके हैं. शुरुआत में, श्रीकला रेड्डी सिंह को बहुजन समाज पार्टी ने भाजपा के कृपाशंकर सिंह के खिलाफ जौनपुर लोकसभा क्षेत्र से अपने उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतारा था. हालांकि, नामांकन दाखिल करने के आखिरी दिन बसपा ने उनकी जगह मौजूदा सांसद श्याम प्रसाद यादव को उम्मीदवार बना दिया, जिससे चुनावी समीकरण में हलचल मच गई.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट
भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय में राजनीति विज्ञान विभाग के प्रमुख शशिकांत पांडे ने कहा कि ठाकुर समुदाय की भागीदारी ने राज्य में चुनावी परिदृश्य को काफी प्रभावित किया है. धनंजय सिंह और राजा भैया के अलावा, अन्य उल्लेखनीय ठाकुर नेताओं जैसे बृजभूषण शरण सिंह, ब्रिजेश सिंह और अभय सिंह ने महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाईं. ये नेता, जिनका प्रभाव उनके निर्वाचन क्षेत्रों से परे तक फैला हुआ है, पूर्वी यूपी में पर्याप्त प्रभाव रखते हैं, जहां ठाकुर मतदाता बड़ी संख्या में हैं और उनका समर्थन महत्वपूर्ण है.
Tags: Loksabha Election 2024, Raja bhaiya, UP newsFIRST PUBLISHED : May 22, 2024, 11:31 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed