बंगाल से बुरा हाल तो यहां का एक पुलिसवाला कितनी बेटियों को बचाएगा
बंगाल से बुरा हाल तो यहां का एक पुलिसवाला कितनी बेटियों को बचाएगा
कोलकाता के आरजी कर रेप मर्डर मामले में पुलिस पर सवाल उठ रहे हैं. लेकिन आंकड़े बताते हैं कि देशभर में पुलिसवालों की संख्या जरूरत के मुकाबले काफी कम है. बंगाल तो छोड़िए बिहार में तो सिर्फ 75 पुलिसवालों पर एक लाख लोगों को बचाने की जिम्मेदारी है. ऐसे में एक पुलिसवाला कितनी बेटियों को बचाएगा?
कोलकाता में लेडी डॉक्टर की हत्या से पूरी व्यवस्था हिल गई है. डॉक्टर हड़ताल पर हैं. लोग सड़कों पर धरना दे रहे हैं. सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने भी चिंता जताई. ममता सरकार से पूछा, ऐसा लगता है कि आरजी कर कॉलेज में बहुत कुछ गलत चल रहा था, आखिर प्रशासन क्या कर रहा था. अगर महिलाएं काम पर नहीं जा पाएंगी, दफ्तरों में सुरक्षित नहीं होंगी तो हम कैसा समाज बना रहे हैं. कैसे हजारों की भीड़ आरजी कर मेडिकल कॉलेज में घुस गई. लेकिन बात सिर्फ इतनी नहीं है. सुरक्षा कौन करे? आंकड़े बताते हैं कि देश में एक लाख लोगों की सुरक्षा की जिम्मेदारी सिर्फ 152 पुलिसवालों पर है. पश्चिम बंगाल में तो फिर भी ठीक, बिहार में तो सिर्फ 75 पुलिसवालों पर एक लाख लोगों को बचाने की जिम्मेदारी है.
लोकसभा में एक सवाल के जवाब में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने बताया कि सबसे अच्छी स्थिति नागालैंड की है, जहां एक लाख लोगों पर 1189.33 पुलिसकर्मी हैं. यहां स्वीकृत पद 1212.39 हैं. यानी लगभग सारे पद भरे हुए हैं. लेकिन सबसे खराब स्थिति बिहार की है. यहां तो सिर्फ 75.16 पुलिसकर्मी एक लाख लोगों की सुरक्षा के लिए तैनात हैं. इसके बाद पश्चिम बंगाल और राजस्थान का नंबर आता है. पश्चिम बंगाल में 97.66 जबकि राजस्थान में 120.39 पुलिसकर्मियों के हवाले एक लाख लोगों की सुरक्षा है. आप जानकर हैरान होंगे कि दोनों ही राज्यों में महिलाओं से जुड़े अपराध खूब होते हैं, लेकिन कोई खास कार्रवाई नहीं होती.
महिला अपराध में बिहार बंगाल का हाल देखिए…
नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो को देखें तो देश में महिला अपराध के हर घंटे 50 से ज्यादा मामले दर्ज किए जाते हैं. 2022 के आंकड़े बताते हैं कि राजस्थान में महिलाओं के खिलाफ अपराध के 45,058 मामले दर्ज किए गए, जबकि पश्चिम बंगाल में 34738 केस रजिस्टर हुए. बिहार में महिलाओं के खिलाफ कुल 20222 केस दर्ज किए गए. यूपी इस मामले में टॉप पर रहा. लेकिन सबसे चिंता की बात है कि राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में महिलाओं के खिलाफ अपराधों में 144 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई है.
पुलिस पर भरोसा भी नहीं!
नित्यानंद राय ने तब ये भी कहा था कि पुलिसकर्मियों की भर्ती राज्य का विषय है. उन्हें बार-बार सलाह दी जाती है, ताकि ज्यादा भर्तियां मिले और पुलिस प्रशासन में सुधार लाया जा सके. चिंता की बात ये है कि लोगों का पुलिसवालों पर भरोसा भी कम हो रहा है. सीएसडीएस लोकनीति ने 22 राज्यों में 15,562 लोगों पर एक सर्वे किया. पता चला कि सबसे ज्यादा भरोसा लोगों का सेना पर है. 54% लोगों ने उनपर भरोसा जाताया जबकि 25% से भी कम भारतीयों को पुलिस पर भरोसा था.
Tags: Kolkata NewsFIRST PUBLISHED : August 20, 2024, 19:38 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed