68 साल की लड़ाई सरकार को गफलतक्या मीर बख्स को मिलेगा 1061 करोड़ मुआवजा

नरचौक मेडिकल कॉलेज विवादः नरचौक मेडिकल कॉलेज के पास रहने वाले मीर बख्श ने इस पूरे मामले पर न्यूज18 से बातचीत की है.  मीरबख्त ने कहा कि वह इस मसले के समाधान के लिए तैयार हैं, लेकिन कम से कम सरकार वार्ता के लिए तो बुलाए और इस विषय पर बात करे.

68 साल की लड़ाई सरकार को गफलतक्या मीर बख्स को मिलेगा 1061 करोड़ मुआवजा
मंडी. हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले के नरचौक से ऐसा मामला सामने आया है, जो अब सरकार के गले की फांस बन गया है. यह मामला अब सुर्खियां बटोर रहा है. सरकार को या तो शख्स को जमीन देनी होगा या फिर 1061 करोड़ रुपये का मुआवजा देना है. दरअसल, मामला हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले का है. जानकारी के अनुसार, मंडी जिले के नरचौक में मेडिकल कॉलेज की जमीन निजी जमीन निकली है और अब इसके मालिक के पक्ष में हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट से भी फैसला आया है. 92 बीघा भूमि के बदले 1 हजार 61 करोड़ 57 लाख 11 हजार 431 रुपये की मांग की गई है. नरचौक मेडिकल कॉलेज के पास रहने वाले मीर बख्श ने इस पूरे मामले पर न्यूज18 से बातचीत की है.  मीरबख्त ने कहा कि वह इस मसले के समाधान के लिए तैयार हैं, लेकिन कम से कम सरकार वार्ता के लिए तो बुलाए और इस विषय पर बात करे. मीर को इसी बात का मलाल भी है कि इस मामले को इतना लंबा समय बीत गया, लेकिन अभी तक सरकार की तरफ से वार्ता के लिए कोई प्रयास नहीं किया गया. पूर्वजों की जमीन प्रदेश सरकार ने मीर बख्श के पूर्वजों की नेरचौक में 92 बीघा भूमि पर मिनी सचिवालय, कृषि केंद्र, पशु औषधालय और मेडिकल कॉलेज का निर्माण कर दिया है. इस पर हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने मीर बख्श के पक्ष में फैसला सुनाया है. प्रदेश सरकार को जमीन के बदले उसी कीमत की जमीन किसी दूसरे स्थान पर देने का आदेश दिया है, लेकिन अब तक जो जमीन उपलब्ध करवाई गई है. उसे मीर बख्श ने नामंजूर कर दिया है. मीर बख्श ने जमीन के बदले 1 हजार करोड़ से अधिक का मुआवजा मांगा है, लेकिन इसके साथ ही मीर बख्श ने सरकार को यह प्रस्ताव भी दिया है कि अगर सरकार इस विषय पर उन्हें वार्ता के लिए बुलाती है तो वह नेगोसिएशन करने के लिए तैयार हैं. इसके लिए मीर ने कोर्ट में लिखित में भी दे रखा है. 1956 से लड़ रहे हैं लड़ाई, न्याय तो मिला लेकिन सरकार का साथ नहीं न्यूज18 मीर बख्श ने बताया कि उनके स्व. पिता सुल्तान मोहम्मद ने वर्ष 1956 में अपनी जमीन को वापिस हासिल करने की लड़ाई लड़ना शुरू किया था, लेकिन उन्हें इसमें कामयाबी नहीं मिली और वर्ष 1983 को उनका देहांत हो गया. उसके बाद वर्ष 1992 से खुद मीर बख्श ने इस लड़ाई को लड़ा. मीर बख्श 2009 में हाईकोर्ट से इस केस को जीते. सके बाद सरकार ने डबल बेंच और फिर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया लेकिन इसमें जीत मीर बख्श की ही हुई. मीर बख्श का कहना है कि कोर्ट से न्याय तो मिल गया, लेकिन सरकार का साथ आज दिन तक नहीं मिला और उसी के लिए अभी तक जंग जारी है. अपनी ही जमीन को नीलामी में खरीदकर हुई थी नई शुरूआत मीर बख्श ने बताया कि जब विभाजन हुआ तो नेरचौक के बहुत से मुसलमान पाकिस्तान चले गए, लेकिन इनका परिवार यहीं पर ही रहा. सरकार ने यह सोचा कि यह परिवार भी पाकिस्तान चला गया है और इसके चलते निष्क्रांत कानून के तहत इन सभी जमीनों पर सरकार का कब्जा हो गया. मीर बख्श के पिता दिल्ली तक अपनी जमीन वापिस लाने के लिए जाते रहे, लेकिन कहीं कोई सुनवाई नहीं हुई. इसके बाद जब इनके पास अपनी जमीन ही नहीं बची तो नीलामी में खुद अपनी ही जमीन को खरीदना पड़ा. उस समय मीर बख्श के पिता ने 500 रुपये में अपनी ही 9 बीघा जमीन को खरीदकर फिर से नई शुरूआत की थी अकेले मीर बख्श ही नहीं है, मालिक और भी हैं हिस्सेदार 92 बीघा जमीन के अकेले मीर बख्श ही मालिक नहीं है. इसमें उनके बड़े भाई की बेटी और तीन बहनें भी शामिल हैं. क्योंकि बड़े भाई का देहांत हो गया है, इसलिए अब उनकी बेटी के पास इस संपत्ति का मालिकाना हक है. मीर बख्श के तीन बेटे और एक बेटी है. परिवार खेती-बाड़ी के साथ-साथ ट्रांसपोर्ट का कारोबार भी करता है. Tags: Himachal pradesh, Himachal Pradesh Congress, Himachal Pradesh News Today, Indian Muslims, Indo Pak Partition, Mandi CityFIRST PUBLISHED : July 17, 2024, 10:06 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed