जज साहब मंदिर में 10 साल की बच्ची की गुहार HC ने क्यों नहीं दी इजाजत
जज साहब मंदिर में 10 साल की बच्ची की गुहार HC ने क्यों नहीं दी इजाजत
Courtroom Drama: केरल हाईकोर्ट ने 10 साल की बच्ची की याचिका खारिज कर दी. क्योंकि प्रवेश प्रतिबंधों पर 2018 के सबरीमाला फैसले को चुनौती देने वाली समीक्षा याचिका वर्तमान में सुप्रीम कोर्ट में लंबित है.
तिरुवनन्तपुरम: हर धार्मिक लोग मंदिर में दर्शन करना चाहते हैं, चाहे वह कोई बच्चा हो या फिर उम्रदराज. केरल में एक 10 साल की बच्ची ने हाईकोर्ट से सबरीमाला मंदिर में प्रवेश को लेकर गुहार लगाई है. लेकिन हाईकोर्ट ने बच्ची को मंदिर में प्रवेश पर रोक लगा दी है.
बता दें कि प्रसिद्ध मंदिर में 10 से 50 साल की आयु की महिलाओं के प्रवेश पर पारंपरिक रूप से प्रतिबंध है. इसे आम तौर पर मासिक धर्म की आयु वाली महिलाओं और लड़कियों के प्रवेश को कम करने का एक साधन माना जाता है. 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि सभी उम्र की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश की अनुमति दी जानी चाहिए. हालांकि इस फ़ैसले को चुनौती देने वाली एक समीक्षा याचिका शीर्ष अदालत की एक बड़ी बेंच के समक्ष लंबित है. इस प्रकार, वर्तमान में पहले की आयु सीमा लागू होती है.
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बच्ची ने क्यों लगानी पड़ी थी गुहार
जस्टिस अनिल के. नरेन्द्रन और जस्टिस हरिशंकर वी. मेनन की खंडपीठ ने इस सप्ताह लंबित समीक्षा याचिका पर गौर करते हुए 10 वर्षीय लड़की की मंदिर में प्रवेश की याचिका खारिज कर दी. यह याचिका नाबालिग लड़की द्वारा तब दायर की गई थी जब सबरीमाला जाने के लिए उसके ऑनलाइन आवेदन को त्रावणकोर देवस्वोम बोर्ड द्वारा खारिज कर दिया गया था, जो मंदिर के प्रशासन के लिए जिम्मेदार है.
हाईकोर्ट ने क्यों किया मना?
उनका मुख्य तर्क यह था कि 10 साल की आयु सीमा केवल सुविधा के लिए तय की गई थी ताकि यौवन प्राप्त करने वाली लड़कियों को इससे बाहर रखा जा सके. उन्होंने तर्क दिया कि चूंकि वह खुद यौवन प्राप्त नहीं कर पाई हैं, इसलिए वह सबरीमाला की तीर्थयात्रा में भाग लेने की हकदार हैं.
Tags: Kerala High Court, Kerala NewsFIRST PUBLISHED : June 14, 2024, 11:52 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed