कितने दिन मनाई जाती है कृष्ण जन्माष्टमी ज्योतिषी से जानें पूरा विधान
कितने दिन मनाई जाती है कृष्ण जन्माष्टमी ज्योतिषी से जानें पूरा विधान
Shri Krishan Janmashtami:संजय उपाध्याय ने बताया कि जन्माष्टमी का पर्व गृहस्थ और सन्यासी (महात्मा) दोनों वर्ग के लोग मनाते हैं. गृहस्थ लोगों को अष्टमी तिथि और सन्यासी रोहिणी नक्षत्र को देखकर इस पर्व को मनाते हैं.
अभिषेक जायसवाल/ वाराणसी: कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व आने को बस अब कुछ दिन ही रह गए हैं. लोगों ने अभी से ही उत्सव की तैयारियां शुरू कर दी है. यही कारण है कि भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया जाता है. इस पर्व की तिथियां और इसे कितने दिनों तक मनाया जा सकता है, इस पर शास्त्रों में विस्तृत विवरण मिलता है. प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित संजय उपाध्याय ने शास्त्र सम्मत विधान और तिथियों के बारे में जानकारी दी है.
ज्योतिषाचार्य पंडित संजय उपाध्याय के अनुसार कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व दो दिन तक मनाया जा सकता है और कुछ स्थानों पर इसे तीन दिन तक भी मनाया जाता है. यह पर्व मुख्य रूप से अष्टमी तिथि को मनाया जाता है, लेकिन इसके प्रारंभ और समाप्ति की तिथियां पंचांग और नक्षत्रों के आधार पर निर्धारित होती हैं.
कितने दिन तक मनाई जा सकती है जन्माष्टमी
संजय उपाध्याय ने बताया कि जन्माष्टमी का पर्व गृहस्थ और सन्यासी (महात्मा) दोनों वर्ग के लोग मनाते हैं. गृहस्थ लोगों को अष्टमी तिथि और सन्यासी रोहिणी नक्षत्र को देखकर इस पर्व को मनाते हैं. कई बार इनकी तिथियां अलग अलग होने पर इसे दो दिन या तीन दिन भी मनाया जाता है.
प्रारंभ और समाप्ति की तिथियां
जन्माष्टमी का पर्व तब प्रारंभ होता है जब अष्टमी तिथि प्रारंभ होती है. यह तिथि और समय पंचांग के अनुसार भिन्न हो सकते हैं और यह समय सूर्यास्त के बाद शुरू हो सकता है. कुछ स्थानों पर अष्टमी तिथि की शाम से उत्सव की शुरुआत होती है. जन्माष्टमी का पर्व तब समाप्त होता है जब अष्टमी तिथि समाप्त होती है और नवमी तिथि प्रारंभ होती है. कई स्थानों पर नवमी तिथि के प्रारंभ में भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का उत्सव मनाया जाता है, जिसे ‘नंदोत्सव’ कहते हैं.
दो दिनों का विधान
पहले दिन, भगवान श्रीकृष्ण के जन्म की तैयारी की जाती है. भक्त उपवास रखते हैं, मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना होती है, और रात के बारह बजे भगवान का जन्मोत्सव मनाया जाता है. इस दिन को ‘गोकुलाष्टमी’ भी कहा जाता है. दूसरे दिन, भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का उत्सव मनाया जाता है, जिसे ‘नंदोत्सव’ कहा जाता है. इस दिन भक्तों को भगवान के बाल रूप का दर्शन कराया जाता है और प्रसाद बांटा जाता है.
क्या है शास्त्र सम्मत विधान
शास्त्रों के अनुसार, कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व उस समय तक मनाया जा सकता है जब तक अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र का संयोग होता है. अगर यह संयोग दो दिनों तक बना रहता है, तो जन्माष्टमी का पर्व भी दो दिन तक मनाया जा सकता है. अगर तीन दिनों तक यह संयोग रहता है, तो पर्व का आयोजन तीन दिन तक भी किया जा सकता है.
Tags: Hindi news, Local18, Religion 18, Sri Krishna JanmashtamiFIRST PUBLISHED : August 23, 2024, 14:55 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ेंDisclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Local-18 व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है. Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed