इटावा में है प्राचीनतम स्मारकजानिए क्यों इल्तुतमिश के मकबरे को देता है चुनौती

Etawah News: इटावा का बाइस ख्वाजा स्मारक भारतीय इतिहास में मोहम्मद गौरी के 22 सेनापतियों की कब्रों के रूप में महत्वपूर्ण है. यह स्थान 1193 में गौरी की सेना की पराजय की याद दिलाता है.

इटावा में है प्राचीनतम स्मारकजानिए क्यों इल्तुतमिश के मकबरे को देता है चुनौती
इटावा: महाभारत कालीन सभ्यता से जुड़े उत्तर प्रदेश के इटावा का नाम इतिहास के एक ऐसे पन्ने में दर्ज है जो इसे प्राचीनतम बता रहा है. असल में, भारत पर आक्रमण के समय मुगल आक्रमणकारी मोहम्मद गौरी जब इटावा पर हमला करने आया, तो उसका मुकाबला कन्नौज के राजा जयचंद के सामंत इटावा के राजा सुमेर सिंह की सेना से 1193 में हुआ. जिसमें गौरी के 22 हजार सैनिक और 22 सेनापति मारे गए. 22 प्रमुख सेनापतियों के शव इटावा में दफनाए गए, उस स्थान को आज बाइस ख्वाजा के नाम से जाना जाता है, लेकिन दिल्ली में मुगल शासक इल्तुतमिश के मकबरे को प्राचीनतम मकबरे के रूप में दर्ज माना जाता है. यह मकबरा खुद इल्तुतमिश ने 1235 में दिल्ली में स्थापित कराया. इतिहासकारों की राय इतिहासकार मानते हैं कि बेशक इल्तुतमिश के मकबरे को भारतीय इतिहास में पहला मकबरा कहा जा रहा हो, लेकिन हकीकत में इटावा में स्थापित मोहम्मद गौरी के 22 सेनापतियों की कब्रें भारतीय इतिहास में सबसे प्राचीनतम हैं. विदेशी आक्रमणकारी मोहम्मद गौरी और हिंदू राजा जयचंद के बीच हुए युद्ध में मारे गए 22 मुस्लिम सरदारों की कब्रें इटावा में दफन हैं. इटावा का बाइस ख्वाजा इस्लामिक परंपराओं से जुड़े स्मारकों में भारत में स्थापित प्राचीनतम माना जाता है, जबकि भारतीय इतिहास में प्रथम मुस्लिम मकबरा इल्तुतमिश का माना जाता है. बाइस ख्वाजा की महत्ता उत्तर प्रदेश के इटावा जिला मुख्यालय पर लाइन सफारी रोड पर यह बाइस ख्वाजा बना हुआ है. इसे इटावा शहर का सबसे बड़ा दफीना स्थल मुस्लिम तबके से जुड़ा हुआ माना जाता है. इस स्थान पर मोहम्मद गौरी के 22 सरदारों की कब्र है. मोहम्मद गौरी और राजा जयचंद के बीच इटावा में हुए युद्ध में गौरी की सेना का बड़ा नुकसान हुआ और हजारों सैनिक मारे गए. उसी युद्ध में गौरी के 22 महत्वपूर्ण सरदार भी मारे गए, जिन्हें जिस स्थान पर दफनाया गया, बाद में उसे बाइस ख्वाजा का नाम दिया गया. युद्ध का वर्णन कहा जाता है कि कन्नौज के राजा जयचंद्र के सामंत वीरसेन ने देश पर आक्रमण करने वाले लुटेरे मोहम्मद गौरी की फौज से मोर्चा लिया. घमासान युद्ध हुआ और जयचंद्र की जीत हुई. वर्ष 1149 में गौरी ने पूरी तैयारी के साथ असाई पर आक्रमण किया. राजा जयचंद और उसके साथियों ने प्रतिरोध किया, और यह घमासान युद्ध इटावा और इकदिल के पास मैदान में लड़ा गया. इस युद्ध में गौरी के 22 हजार सैनिक और 22 फौजी अफसर मारे गए थे. आज भी उन 22 अफसरों की कब्र इटावा में प्रदर्शनी स्थल के निकट बनी हुई है, जो बाइस ख्वाजा के नाम से प्रसिद्ध है. जबकि जिस स्थान पर मारे गए 22 हजार सैनिक एक साथ दफन किए गए, वह अब भी ‘बाईसी’ के नाम से जाना जाता है. ऐतिहासिक स्रोत और तथ्य ऐतिहासिक स्रोत बताते हैं कि मोहम्मद गोरी के इटावा आक्रमण के समय सुमेर सिंह के साथ उसका तीव्र युद्ध हुआ था. युद्ध में मुहम्मद गोरी के बाइस प्रमुख सरदार मारे गए थे. इन्हीं के स्मारकों को यहां गौरी की आज्ञा से स्थापित कराया गया. इस तथ्य के आधार पर इस्लामिक परंपराओं से जुड़े स्मारकों में भारत में स्थापित ये प्राचीनतम हैं, जबकि भारतीय इतिहास में प्रथम मुस्लिम मकबरा इल्तुतमिश का माना जाता है. क्या कहते हैं इतिहासकार? इटावा के इतिहासकार और चौधरी चरण सिंह पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज के प्राचार्य डॉ. शैलेंद्र शर्मा लोकल 18 को बताते हैं कि मोहम्मद गोरी जब भारत में आक्रमण करता है और इटावा से होकर उसकी सेना गुजरती है, तो तुर्क मुस्लिम मोहम्मद गौरी को इटावा में बड़ी चुनौती दी जाती है. उस समय इटावा के राजा सुमेर सिंह ने मोहम्मद गौरी और उसकी सेना को बड़ी चुनौती दी. जबरदस्त संघर्ष में मोहम्मद गौरी के 22 सरदार मारे जाते हैं, जिन्हें एक स्थान पर दफनाया जाता है, उनकी कब्र बनती है, जिसको बाद में बाइस ख्वाजा के नाम से जाना जाता है. स्मारकों की अद्वितीयता सबसे बड़ी और खास बात यह है कि भारत में बने सबसे प्राचीन स्मारकों में एक इटावा में स्थापित बाइस ख्वाजा को माना जाता है, जहां पर मोहम्मद गौरी के 22 सेनापतियों का दफन किया गया है. यह अपने आप में एक अद्वितीय उदाहरण है. उनका कहना है कि मुगल शासक इल्तुतमिश के मकबरे को भारत में स्थापित पहला मकबरा माना जाता है. इसके पहले 1193 में इटावा में मोहम्मद गौरी के 22 सेनापतियों की कब्र बनाई गई थी, जिसे भारत में स्थापित सबसे प्राचीनतम कब्र माना जाता है. उस वीरांगना के शौर्य की कहानी, जिसने राम मंदिर तोड़ने वाले मीर बाकी से लिया बदला बेशक, इल्तुतमिश ने मकबरा जरूर बनाया होगा, जिसे भारत का पहला मकबरा कहा जाता है. यह शोध का विषय होना चाहिए कि इटावा में मोहम्मद गौरी के 22 सेनापतियों की कब्रें प्राचीनतम हैं या फिर दिल्ली में स्थापित मुगल शासक इल्तुतमिश का मकबरा. Tags: Etawah news, Local18, UP newsFIRST PUBLISHED : September 24, 2024, 13:40 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed